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एक सप्ताह पहले ही कन्नूर के स्वयंसेवकों एवं अन्य मानवतावादियों ने वी़ ए. गंगाधरन की शहादत की 35वीं बरसी मनाई थी। इस दुखद मौके पर आंखों में आंसू भरे उनकी मां लक्ष्मी ने कहा, ''मुझे विश्वास नहीं होता कि 35 वर्ष हो गए। मेरा बेटा शांत स्वभाव का मासूम लड़का था। मुझे अभी तक नहीं पता कि उसे क्यों मारा।''
सजीव उस समय कक्षा छह के छात्र थे, जब उनके बड़े भाई को वामपंथी हत्यारों ने मार दिया था। वे कहते हैं, ''वह बेहतरीन वक्ता और लेखक थे। उनके भाषण से लोग संघ और भाजपा की ओर खिंचे चले आते थे। वह तलासेरी के ब्रेनन कॉलेज में सक्रिय अभाविप कार्यकर्ता और तालुक इकाई सचिव और राज्य समिति के सदस्य रहे। उन्होंने बहुत जल्दी समाचार पत्रों और कॉलेज पत्रिकाओं के लिए लिखना शुरू कर दिया था। इसलिए कम्युनिस्टों को वे बौद्धिक तौर पर खतरनाक लगने लगे थे। उन्हें इसलिए मारा गया क्योंकि उन्होंने माकपा और उसके सहयोगी संगठनों की लोकतंत्र विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई थी।''
स्नातक करने के बाद गंगाधरन को कलयास्सेरी पंचायत दफ्तर में बिल कलेक्टर की नौकरी मिल गई। नौकरी के लिए उन्होंने 1 अप्रैल को घर छोड़ा था। वे अपने दफ्तर के पास ही एक अन्य कार्यालय में रह रहे थे क्योंकि उनका दफ्तर गांव से कुछ दूर था। आंखों में आंसू भरे उनकी मां बताती हैं, ''1 अप्रैल को नाश्ता करने के बाद वह नौकरी पर जाने के लिए रवाना हुआ। मेरा बेटा केवल 24 वर्ष का था। उसे बिना किसी कारण के मार डाला गया था। उसकी मौत की खबर हमें तब मिली जब पुलिस उसका शव लेकर हमारे घर पहुंची थी।''
भाजपा के चुनाव अभियान में उनका भाषण ही वामपंथी नेताओं द्वारा उन्हें दुश्मन घोषित करने के लिए काफी था। वामपंथियों ने फैसला किया कि गंगाधरन को हमेशा के लिए शांत कर दिया जाए। उस समय उस क्षेत्र में माकपा की राजनीतिक हिंसा जोरों पर थी।
अपने भाई की हत्या वाले उस दिन को याद करते हुए सजीव कहते हैं, ''नौकरी पर जाने के छठे दिन मेरे भाई की हत्या कलयास्सेरी गांव कार्यालय में हुई थी। वह सप्ताहांत पर परिवार से मिलने घर आने वाले थे। लेकिन इससे पहले कि वह घर आ पाते, एक जीप भरकर लोग वहां पहुंचे और उन्हें चाकुओं से गोद डाला था।'' उचित साक्ष्यों के अभाव में इस मामले को निचली अदालत में ही रद्द कर दिया गया। गंगाधरन की हत्या के बाद भी उनके परिवार को वामपंथियों द्वारा तंग किया जाना जारी रहा।
आज भी उनकी मां रुआंसी होकर बड़बड़ाती हैं, ''किसी मां की किस्मत मेरे जैसी न हो।''
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