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जशपुरनगर। वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर आदिवासी समाज द्वारा मनाये जाने वाले पूजा महोत्सव में नगर के बांकी टोली में स्थित कटहल बगीचा में हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के श्रद्धालु एकजुट हुए। पारम्परिक वेशभूषा और मांदर की थाप के साथ विशाल व भव्य शोभायात्रा कटहल बगीचा से डिपू बगीचा के लिये रवाना हुई। शोभायात्रा आराम निवास, जिला जेल, जिला चिकित्सालय, महाराजा चौक, बिरसा मुंडा चौक होते हुए डिपू बगीचा पहुंचकर सभा में बदल गई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा कि धरती मां की आराधना करने वाले सभी लोग भाई हैं। वनवासी और नगरवासी में भेद करना गलत है। कुछ लोग आपस में फूट पैदा कर भारतभूमि को बांटने का सपना देख रहे हैं। लेकिन वे कभी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हांेगे। वनवासी कल्याण आश्रम के संस्थापक स्व. बाला साहेब देशपांडे का स्मरण करते हुए श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि जशपुर की धरती से ही बालासाहेब देशपांडे ने तू और मैं एक रक्त का नारा देकर एकता का मंत्र दिया था। कुछ लोग वनवासियों के हिंदू न होने का दुष्प्रचार कर रहे हैं। यह सही नहीं है क्योंकि वनवासी समाज प्राचीन समय से ही भगवान शिव, माता पार्वती और धरती मां की पूजा करता आया है। आज वनवासी समाज को कन्वर्जन से बचाने की आवश्यकता है। केन्द्रीय इस्पात व खान मंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से अपील की कि सभी लोग बालासाहेब देशपांडे व दिलीप सिंह जूदेव के बताये हुये रास्ते का अनुसरण करें।
सांसद रणविजय सिंह जूदेव ने कहा कि धरती माता व प्रकृति की पूजा हिंदू धर्म की प्राचीन परम्परा रही है। हिंदू समाज पहले भी संगठित था और आगे भी संगठित रहेगा। पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने कहा कि सरहुल पूजा शक्ति की उपासना है। इस पूजा के माध्यम से हम विश्व कल्याण के लिये भगवान शिव व माता पार्वती के साथ धरतीमाता से शक्ति की कामना करते हैं। ल्ल प्रतिनिधि
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