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इस्लामिक शिक्षा और संस्कृति की संस्था दारुल उलूम देवबंद ने भारत माता की जय बोलने के खिलाफ फतवा जारी करने के बाद रहस्यमय चुप्पी साध ली है। अपने विचारों और शिक्षा को लेकर कट्टर छवि के लिए जानी-जाने वाली इस संस्था का ऐसे मामलों यह रुख हैरान करने वाला है।
कुछ वर्ष पूर्व वंदेमातरम् के विषय पर इलाके में तनाव और गुस्से का माहौल बन जाने के दौरान मध्यस्थता के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर को दारुल उलूम आना पड़ा था। उनके हस्तक्षेप से तब बड़ी मुश्किल से हालात सामान्य हुए थे और किसी तरह लोगो का गुस्सा शांत हुआ था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक श्री मोहनराव भागवत ने भारत माता की जय बोलने को लेकर एक सामान्य सा बयान दिया था तो पहले एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्ीन ओवैसी ने उसका कड़े शब्दों में विरोध किया, फिर 31 मार्च को दारुल उलूम देवबंद ने उसके खिलाफ फतवा जारी किया जिसमें कहा गया कि एक इंसान ही दूसरे इंसान को जन्म दे सकता है और भारत की जमीन को माता कहना तर्क के विरुद्ध है। फतवा विभाग ने इस संबंध में संस्था से पूछे गए सवाल पर कहा कि मुसलमानों के लिए भारत माता की जय बोलना इस्लामिक नजरिए से कतई जायज नहीं होगा और उन्हें इस नारे से खुद को पूरी तरह से अलग कर लेना चाहिए।
यह विवादित फतवा संस्था के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी की अनुपस्थिति में जारी किया गया जो उमरे के लिए सऊदी अरब गए हुए हैं। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक सवाल करने वालों ने भारत माता की तस्वीर दारुल उलूम को भेजकर भारत माता की जय बोलने पर फतवा दिए जाने की मांग की थी। फतवा जारी किए जाने को लेकर संस्था में ऊहापोह की स्थिति थी। 19 मार्च को लिखा गया फतवा 31 मार्च को सार्वजनिक हुआ तो देश भर में उसके विरोध में स्वर बुलंद होने लगे।
संस्था के जन संपर्क अधिकारी अशरफ उस्मानी का कहना था कि संस्था की उसके द्वारा जारी फतवों पर कदम वापस नहीं खींचने की रवायत (परंपरा) है। दारुल उलूम का यह ताजा फतवा मुसलमानों के साथ-साथ देश के किसी भी वर्ग के लोगोें के गले नहीं उतरा। भारत के लोगों में दारुल उलूम के फतवे से जहां भारी नाराजगी थी, वहीं वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी अरब के रियाद में बुर्कानशीं मुस्लिम औरतों के भारत माता की जय के नारों से किए गए स्वागत सेेेे भाव-विभोर हो गए।
बहरहाल भारत माता की जय बोलने को लेकर देश के मुसलमानों के एक तबके के साथ-साथ दारुल उलूम के विरोधी स्वरों कोे लेकर देशभर में बहस जारी है और इससे राष्ट्रवाद की भावना कमजोर पड़ने के बजाय और मजबूत हुई है। -प्रतिनिधि
'करियर सलाह' शिविर से जुड़े युवा
हापुड़। पिछले पांच साल से बढती संख्या में युवक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निकट आकर देश-हित में अपने जीवन को समर्पित करने का पाठ सीख रहे हैं। करियर चयन के मामले में यदि नवाचार (इनोवेशन) का सहारा लिया जाये तथा राष्ट्रभाव से प्रेरित ध्येयवाद (मिशन) हृदय में रहे तो न केवल निज जीवन सफल बनेगा, अपितु भारत महान राष्ट्रों की पंक्ति में शीघ्र अग्रणी स्थान पा सकेगा। यह आशावाद व्यक्त हुआ पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के संघ-प्रचारक आलोक कुमार के उद्बोधन में। वे हापुड़ जिले के पिलखुआ गांव में रा.स्व. संघ द्वारा आयोजित करियर सलाह सम्मेलन, जिसे युवा चैतन्य सम्मेलन का नाम दिया गया था, में बोल रहे थे। ये कार्यक्रम जिले के गढ़मुक्तेश्वर तथा कुचेसर रोड पर भी आयोजित किये गए। 20 मार्च को संपन्न हुए इन तीन कार्यक्रमों में कुल 1,192 युवाओं ने भाग लिया, इनमें एक हजार से अधिक युवा ऐसे थे जो पहली बार संघ के किसी आयोजन में आये और जिन्होंने संघ की प्रार्थना बोली।
हापुड़ के जिला प्रचारक वेद प्रकाश ने जिले की कुल 273 ग्राम-पंचायतों में नौजवानों को साथ लाने और उनके जीवन को राष्ट्रोपयोगी दिशा देने के लिए एक अभिनव कार्यक्रम की संरचना की। इस तरह प्रथम बार 'युवा चैतन्य सम्मेलन' नाम देकर हापुड़ जिले के 6 विकास खंडों के युवाओं को तीन स्थानों पर बुलाया गया। इसमें जो प्रतिसाद मिला, वह बेहद उत्साहजनक है। ल्ल अजय मित्तल
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