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कैथल। विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत बंटा पहले है और आजाद बाद में हुआ है, जबकि देश की जनता पूरे आजाद हिन्दुस्थान को चाहती थी। पर अंग्रेजों ने 'बांटों और राज करो' की धूर्त्त नीति के सहारे हिंदू-मुस्लिम एकता में सेंध लगाई और द्विराष्ट्रवाद के विचार को बढ़ावा दिया। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने सत्तासीन होने के लालच में ही भारत विभाजन को स्वीकृति दी थी, उसके नेताओं में दूरदर्शी सोच का अभाव था।
कांग्रेस ने पाकिस्तान से उजड़े हुए तीन करोड़ लोगों व आजादी के समय मारे गए दस लाख लोगों का पुनर्वास नहीं किया। संघ ने उन्हें संभाला। कांग्रेस इन तीन करोड़ उजड़ने वाले लोगों और दस लाख मौतों की जिम्मेदार है। जरूरत इस बात की है कि हम आज जाति, उपजाति, पंथ, उपपंथ व भूगोल से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद के बारे में सोचें।
हरियाणा में पिछले दिनों हुई अनहोनी घटनाओं की चर्चा करते हुए श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात कहने का, अपने अधिकारों की मांग करने का अधिकार है, लेकिन हिंसा कतई स्वीकार्य नहीं है। हमें जातिवाद, सामप्रदायिकता और समाज को डसने वाली दूसरी बुराईयों से समाज को बचाना होगा। यह समय अपने भविष्य को संवारने का समय है। कृषि वैज्ञानिक श्री ईश्वर कुंडू ने कहा कि हम सभी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें। समाजसेवी बीरभान सैनी ने कहा कि सभी वर्ग के लोगों को समाज को संगठित करने के लिए आगे आना चाहिए। मंच का संचालन प्रो़ प्रेमचंद मित्तल ने किया। प्रतिनिधि
भगतसिंह के परिजनों द्वारा विरोध
होशियारपुर। अमर हुतात्मा भगतसिंह के परिजनों ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर द्वारा देशद्रोह के आरोपों से घिरे जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की महान क्रांतिकारी शहीद-ए-आजम भगतसिंह से तुलना की तीव्र भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि थरूर ने देशवासियों की भावनाओं को आहत किया है और इसे शहीदों का अपमान बताते हुए कांग्रेस पार्टी से माफी मांगने को कहा है।
होशियारपुर में अपने निवास पर भगत सिंह की भतीजी भूपिन्द्र कौर व नाती एडवोकेट सुखविन्द्रजीत सिंह संघा ने इसकी तीखी आलोचना करते हुए थरूर के इस कृत्य को शर्मनाक करार दिया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए लड़ते हुए भगत सिंह 'भारत मां की जय' का नारा लगाते हुए फांसी चढ़ गए थे। भगत सिंह से कन्हैया की तुलना करना स्वतंत्रता सेनानियों तथा सभी देशभक्तों का घोर अपमान है। प्रतिनिधि
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