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महाराष्ट्र के प्रसिद्ध अखबार 'लोकमत' की रविवार पत्रिका 'मंथन' ने 'इसिसचा पैसा' (आईएसआईएस का पैसा) शीर्षक से गत 29 नवंबर को एक लेख के साथ रेखाचित्र प्रकाशित किया था। रेखाचित्र में 'पिगी बैंक' (बच्चों की गुल्लक) पर आईएस का चिह्न और उर्दू में की कुछ पंक्तियां लिखी हुई थीं। लेख में बताया गया था कि आतंकी संगठनों की आर्थिक आपूर्ति के मार्ग कौन -कौन से हैं। मामले ने तूल इसलिए पकड़ लिया क्योंकि 'पिगी बैंक' शूकर की शक्ल में था और उस पर ही वह मजहबी पंक्तियां लिखी थीं। लेख आने के बाद मजहबी उन्मादियों की भावनाएं भड़क उठीं और उन्होंने महाराष्ट्र मंे लोकमत के दस से अधिक कार्यालयों पर उग्र प्रदर्शन कर तोड़फोड़ व आगजनी की। उन्मादियों ने औरंगाबाद, पुणे, बीड़ और जलगांव स्थित लोकमत के दफ्तरों को अपना निशाना बनाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल महाराष्ट्र पुलिस ने अखबार के दफ्तर पर पुलिस बल तैनात कर दिया। उन्मादियों का आरोप है कि इस लेख से उनकी भावनाएं आहत हुई हैं।
इतना ही नहीं उन्होंने 'पिगी बैंक' पर लिखी पंक्तियों और प्रतीक चिह्न पर बावेला मचा दिया कि यह मजहब की तौहीन है। हालांकि मामला गर्माता देख, अखबार ने माफी मांगते हुए कहा कि इस चित्र से अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो अखबार उसके लिए क्षमाप्रार्थी है।
समाचारपत्र ने तत्काल अपनी वेबसाइट से इस लेख और रेखाचित्र को हटा लिया। लेकिन इसके बाद भी कई मजहबी संगठनों और कट्टरवादियों ने अखबार के लेख पर तीखी टिप्पणियां कीं और कई स्थानों पर पुलिस में रपट भी दर्ज कराई है। ल्ल मोरेश्वर जोशी
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