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कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि भारत जैसे देश के लिए लोगों की परस्पर भावनात्मक एकता बहुत महत्वपूर्ण कारक है। कुछ लोग इसे भारतीय संस्कृति कहते हैं। जो भी हो देश को संचालित करने की मूल अवधारणा लोगों की भावनात्मक एकता में ही निहित है।
श्री मोहनराव भागवत साइंस सिटी सेण्टर ऑडिटोरियम, कोलकाता में राम कोठारी और शरद कोठारी बंधुओं की श्रद्धांजलि सभा में बोल रहे थे। राम कोठारी और शरद कोठारी बाबरी ढांचे के ध्वंस के दो वर्ष पूर्व 1990 में अयोध्या में सांकेतिक कारसेवा के दौरान पुलिस गोलीबारी में मारे गए थे। श्री भागवत ने आगे कहा कि कहा कि सोमनाथ मंदिर पर कई बार आक्रमण किये गये थे क्योंकि वह हमारी समृद्ध संस्कृति का प्रतीक था। इसी प्रकार अमरीका में उन्मादियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर आक्रमण किया क्योंकि यह उस देश की आर्थिक समृद्धि का प्रतीक था।
ऐसे लोग जो इस प्रकार के कृत्य करते हैं वे कहीं न कहीं किसी देश के गौरव और भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। दुनिया में हमारी संस्कृति ही ऐसी है जो सबको स्वीकारती है और सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करती है। धर्म हमें अतिवाद की शिक्षा नहीं देता यह हमें प्रत्येक व्यक्ति को साथ लेकर चलते हुए मध्य मार्ग स्वीकारने की सलाह देता है। अयोध्या में राममंदिर पर उन्होंने आशा व्यक्त की कि मंदिर निर्माण का लक्ष्य भी जरूर
पूरा होगा।
त्रिपुरा के राज्यपाल प्रो. तथागत राय ने इस श्रद्धांजलि सभा में अयोध्या के हुतात्मा बंधुओं राम कोठारी और शरद कोठारी की तुलना अमर बालिदानी खुदीराम बोस, कन्हैयालाल दत्ता और चारु बसु से करते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन आदर्शों के लिए सर्वस्व अर्पित किया। ल्ल प्रतिनिधि
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