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पाकिस्तान की लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता फौजिया सईद ने कहा है कि ‘पाकिस्तान और बंगलादेश में रहने वाले लोग मूलत: हिंदू ही हैं। कुछ मामलों में वे बौद्ध हो सकते हैं।’ फौजिया सईद ने एक टीवी साक्षात्कार में ये बातें कहीं। उनका कहना है कि पाकिस्तान और बंगलादेश के लोगों को यह तथ्य स्वीकार करने में वक्त लगेगा कि उनके पूर्वज हिंदू थे जिन्हें तलवार के दम पर इस्लाम में कन्वर्ट किया गया था। फौजिया ने बताया कि पाकिस्तान के मुस्लिम मानते हैं कि वे उन अरब हमलावरों के वंशज हैं, जो इस्लामिक धरती से उपमहाद्वीप पर हमला करने आए थे, लेकिन यह गलत है। फौजिया ने कहा कि इस बात का भी झूठा प्रचार किया गया है कि पाकिस्तान के मुस्लिम अरब या तुर्की के हमलावरों के वंशज हैं। पाकिस्तान और भारत में आज जो मुस्लिम रह रहे हैं उन्हें सूफी संतों ने कन्वर्ट किया था। 99 फीसदी पाकिस्तानियों के पूर्वज हिंदू ही थे। दुर्भाग्य यह है कि पाकिस्तानी इस कड़वी सच्चाई को सुनने और स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने दावा किया है कि उपमहाद्वीप का इतिहास बताता है कि हिंदुओं को मारा गया और मुस्लिम हमलावरों ने जबरन उनको कन्वर्ट किया। यही वजह है कि चीमा, बाजवा, सेठी, सहगल और घाखर जैसे उपनाम दोनों मतों में होते हैं। फौजिया सईद ने कहा कि ‘मैं अपने आपको इस धरती से जोड़ती हूं और कोई बेहोशी में बोले कि हम ये थे, वो थे, हम फलाने थे। तो हम वो नहीं थे। वे आक्रमणकारी लोग थे। उन्होंने हम पर हमला किया और हमसे दूसरा मजहब कुबूल करवाया। हम इस धरती के लोग हैं। और मेरा ये ख्याल है कि हमारे पांव जमीन को छूने चाहिएं और हमारा सर जो बादलों में होता है उसको बादलों से निकलना चाहिए, जो असली समस्याएं हैं उनको देखना चाहिए हमें। अगर दुनिया हमें समझती है कि हम आतंकवादी हैं तो वह इतना गलत भी नहीं समझती। क्योंकि ओसामा हमारे यहां से ही पांच साल बाद निकला है।’
हकीकत यह है कि यहां हमारी सोच है इंसानों के साथ बुरे बर्ताव की, मजहबी कट्टरता की और किसी दूसरे मत को बर्दाश्त न कर पाने की। आपने दूसरे मजहब के लोगों के त्योहारों में जरूर आग लगानी होती है। आप उनको गद्दार कहकर पकड़ के कुछ भी कर देते हैं़.़.़ और (हम) अपनी इस तरह की मानसिकता पर क्यों पर्दा डालें? यह सच्चाई है और हमें इससे निपटना है।’
मैं समझती हूं कि अगर हम यह स्वीकार कर लेंगे की हम में ये बुराइयां हैं तो शायद हमारी आंखें ज्यादा खुली रहें। अगर ख्वाबों और ख्यालों में हम अपने पुराने जमाने के रोमांस ढूंढते रहेंगे तो कुछ नहीं होने वाला है।’फौजिया ने ये बातें जैद हामिद से टीवी साक्षात्कार के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवादी राष्टÑ कहने में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि वह लंबे समय से आतंकियों को पनाह दे रहा है। इसका खुलासा उस वक्त हो गया था जब पाकिस्तान में अमरीकी हमले में अल कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन मारा गया था।
फौजिया सईद से जब संवाददाता ने पूछा कि जैद हामिद कह रहे हैं कि अगर पाकिस्तान में शरिया कानून लगता, अल्लाह का कानून लगता तो क्या यहां की सारी दिक्कतें हल हो जातीं? तो इसके जवाब में फौजिया सईद ने जवाब दिया, ‘जैद हामिद ख्वाबों और ख्यालों की दुनिया में रहते हैं और दिन में सपने देखते हैं। यहां सीधे-सीधे पाकिस्तान में ह्यूमन राइट्स की समस्या है। आतंकवाद की समस्या है। कोई हिन्दू अपनी दुकान करता है और अगर मुसलमान उसको जला देता है, तो उस पर कोई एक्शन नहीं होता है। अब इसमें आप पता नहीं कौन सा शरिया कानून लाने की बात कर रहे हैं।’
यहां हकीकत यह है कि हमारी सोच ही बन गई है इंसानों के साथ बुरे बर्ताव की, मजहबी कट्टरता की। किसी मजहब को हम बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। आपने दूसरे मजहब के लोगों के त्योहारों में जरूर आग लगानी होती है। आप उनको गद्दार कहकर पकड़ के कुछ भी कर देते हैं़.़.़ और अपनी इस तरह की मानसिकता पर क्यों पर्दा डालें? ये सच्चाई है और हमें इससे निपटना है।’
मैं समझती हूं कि अगर हम यह स्वीकार कर लेंगे कि हम में ये बुराइयां हैं तो शायद हमारी आंखें ज्यादा खुली रहें। अगर ख्वाबों और ख्यालों में हम अपने पुराने जमाने के रोमांस ढूंढते रहेंगे तो कुछ नहीं होने वाला है।’भारत में रा. स्व. संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत जब यह कहते हैं कि भारत में रहने वाले सभी हिन्दू हैं चाहे वे किसी भी पूजा-पद्धति को मानते हों, तो हमारे देश में ही लोगों को एतराज हो जाता है। वोट बैंक की राजनीति करती पार्टियों को फौजिया सईद का यह वीडियो जरूर देखना चाहिए। फौजिया का जन्म लाहौर में 3 जून 1959 को हुआ था। उन्होंने बहुत सारी किताबें भी लिखी हैं। वे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा पाकिस्तान हेरिटेज संस्था लोकविरसा की महानिदेशक बनाई गई हैं। प्रस्तुति: सतीश पेडणेकर
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