|
तीन दिनों (4 से 6 अक्तूबर) की भारत यात्रा पर आईं जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल 18 समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने, रक्षा क्षेत्र में विकास, व्यापारिक और तकनीकी क्षेत्र के समझौते शामिल हैं। इन समझौतों में दोनों देशों के बीच जर्मन निवेश को तेजी से मंजूरी देने की प्रक्रिया भी शामिल है। भारत की ओर से जर्मनी को आश्वासन दिया गया है कि उसकी कंपनियों के निवेश प्रस्तावों पर तेजी से फैसला लेने के लिए विशेष व्यवस्था होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल के बीच हैदराबाद हाउस (नई दिल्ली) में तीन घंटे तक बातचीत हुई। इसके बाद एक साझा बयान जारी किया गया, जिसमें दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ युद्ध और रक्षा के साथ ही व्यापार और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हुए समझौतों की जानकारी दी गई। भारत और जर्मनी के बीच कृषि के विकास को लेकर भी वार्ता हुई। कृषि मंत्रालय में हुई समझौता वार्ता में खेती और खाद्य सुरक्षा से जुड़े कई मसलों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस वार्ता में जर्मनी के उपभोक्ता संरक्षण, खाद्य सुरक्षा संघ और भारत के कृषि मंत्रालय के बीच पौध संरक्षण, कृषि उत्पाद के साथ खाद्य सुरक्षा व उन्नत कृषि प्रणाली के मामले में सहयोग के लिए संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
उल्लेखनीय है कि भारत की इंजीनियरिंग और आईटी कंपनियों के लिए जर्मनी एक बड़ा बाजार है। वर्तमान में दोनों देशों के बीच 17 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार होता है। वहीं जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था। जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है। जानकारों का मानना है कि जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल की भारत यात्रा के दौरान जो समझौते हुए हैं उससे भारत-जर्मनी के व्यापारिक रिश्ते और बेहतर होंगे।
दोनों देशों के बीच हुए ज्यादातर समझौते आर्थिक सहयोग से जुड़े हैं। स्पष्ट है कि इन समझौतों से भारत में निवेश बढ़ेगा और भारत सुरक्षा, जल संचयन, ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्र में जर्मन तकनीक का फायदा भी उठा सकेगा। कुछ महीनों पहले केंद्रीय विद्यालयों में जर्मनी भाषा की पढ़ाई बंद करने का मामला सुर्खियों में रहा था। एंजेला मार्केल के दौरे के बाद यह मुद्दा भी सुलझ गया है। केंद्रीय विद्यालयों में अब अतिरिक्त विदेशी भाषा के तौर पर जर्मन की पढ़ाई भी होगी। इससे भी दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे। गत 6 अक्तूबर को बेंगलुरु में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एंजेला मार्केल के साथ मंच साझा करते हुए भारत और जर्मनी के शीर्ष उद्योगपतियों के बीच अपनी बात रखी। उन्होंने उद्योगपतियों को आश्वस्त किया कि निवेशकों को भारत में कारोबार करने के लिए हर तरह की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
तकनीकी क्षेत्र में निवेश पर जोर देते हु्रए उन्होंने कहा कि भारत आईटी क्रांति की चौखट पर खड़ा है। आने वाले दिनों में भारत के सॉफ्टवेयर से ही दुनिया का हार्डवेयर चलेगा। जानकारों की मानें तो वर्तमान में वैश्विक राजनीति में भारत और जर्मनी दोनों की महत्वाकाक्षाएं काफी मिलती-जुलती हैं।
दोनों ही देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्यता चाहते हैं। दोनों देश इसके लिए प्रयासरत हैं। एंजेला ने इस बारे में कहा, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए मैं मोदी के साथ मिलकर काम कर रही हूं। दोनों देश परिषद में स्थायी सीट के लिए एक दूसरे का समर्थन करते हैं।' बहरहाल यदि भारत और जर्मनी के बीच हुए सभी समझौतों पर अमल होता है तो अगले कुछ वर्षों में जर्मनी द्वारा अरबों डॉलर का निवेश होगा। जिसका दोनों देशों को फायदा होगा।
लौटाई मां दुर्गा की मूर्ति
जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने कश्मीर के एक मन्दिर से लगभग दो दशक पहले चोरी हुई दसवीं सदी की मां दुर्गा की प्रतिमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी। पिछले तीन वर्षों से यह मूर्ति जर्मनी में स्थित स्टुटगार्ड के अजायबघर में रखी हुई थी। प्रधानमंत्री ने इसके लिए मार्केल और जर्मनी की जनता को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह प्रतिमा बुराई पर अच्छाई की प्रतीक है। जानकारी के अनुसार 1990 के दशक में महिषासुरमर्दिनी की यह प्रतिमा पुलवामा के एक मंदिर से चोरी हो गई थी। वर्ष 2012 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को इसके स्टुटगार्ड में होने का पता चला था। मूर्ति लौटाने के बाद जर्मन चांसलर ने कहा कि हमें खुशी है कि हम दुर्गा की प्रतिमा भारत को सौंपने में सफल रहे। यह प्रतिमा इस देश के लिए बहुत महत्व रखती है।
ल्ल
टिप्पणियाँ