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नई दिल्ली
नई दिल्ली में 25 सितम्बर को केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयन्ती के अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया। इसी के साथ पंडित दीनदयाल के अन्त्योदय दर्शन पर आधारित संस्कृति मंत्रालय के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की शुरुआत भी हुई। इसकी मुख्य अतिथि थीं लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन। सम्मानित अतिथि के रूप में गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा ने की। कार्यक्रम में पंडित दीनदयाल जी के जीवन पर आधारित वृत्तचित्र भी दिखाया गया। इस अवसर पर श्री अरुण जेटली ने कहा कि दीनदयाल जी में संगठक, विचारक और अर्थशास्त्री का गुण था एवं उसके साथ-साथ राजनीति और नैतिकता को भी जोड़ने का गुण था। इसी आधार पर वे कार्यकर्ताओं को भी संगठन से जोड़ लेते थे। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दीनदयाल जी के राजनीतिक और आर्थिक दर्शन दोनों का मूल-मंत्र था अन्त्योदय। अन्त्योदय का मतलब है समाज के अंतिम श्रेणी पर, अंतिम छोर पर बैठे हुए अंतिम व्यक्ति का विकास। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने आज से अन्त्योदय कार्यक्रम का शुभारंभ किया है, जो एक वर्ष तक चलेगा। इसका लक्ष्य है समाज के हर उस वंचित व्यक्ति को अपने पैरों पर खड़ा करना, जो किसी पर आधारित न रहकर अपना खुद का विकास कर अपने साथ-साथ समाज और समुदाय को सबल एवं सक्षम बनाए। श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि हम सबको पंडित जी के दर्शन खासकर, उनके एकात्मवाद और अन्त्योदय दर्शन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना होगा। उनके दर्शन से समाज को संतुलित रखने की सीख मिलती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय
'मानव के भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिकता का सम्मिश्रण होना जरूरी है तभी सही अर्थों में विकास की अवधारणा फलीभूत होती है। हमारे यहां अर्थोपार्जन के लिए मनाही नहीं है लेकिन वह धर्म की परिधि में रहे तो ही अच्छा होता है। लालच या गलत तरीके से कमाया धन मनुष्य के पतन का कारण भी बन जाता है। पं. दीनदयाल उपाध्याय ने भौतिकता और आध्यात्मिकता के समन्वय का विचार दिया था।' यह कहना था पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी का। वे गत 25 सितम्बर को दिल्ली विश्वविद्यालय में पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस पर आयोजित एक गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। डॉ. स्वामी ने आगे कहा कि मनुष्य की मंशा सही हो तो वह बड़े से बड़ा कार्य कर सकता है, अन्यथा एक सिंह भी पिंजरे में कैद होकर अपना मूल स्वभाव भुला देता है और कायरों जैसा व्यवहार करता है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी की सोच के आधार पर चलें तो स्वदेशी के साथ ही विकेन्द्रीकरण करके विकास को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने मांग की कि देश के हर विश्वविद्यालय में दीनदयाल जी के नाम पर एक 'चेयर' होनी चाहिए और उन पर एक अनिवार्य प्रश्नपत्र होना चाहिए।
मुख्य वक्ता के नाते केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलपति डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि ये अच्छी बात है कि आज दीनदयाल जी के विचारों को मूर्तरूप देने के प्रयास चल रहे हैं। दीनदयाल जी का कहना था कि सृष्टि को समग्र दृष्टि से देखना चाहिए। सृष्टि में जड़-चेतन आपस में एक-दूसरे के पूरक हैं। अरुणाचल से आए पूर्व सांसद रिंचन खिरमे ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर स्थित सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जनजातीय बहुल अरुणाचल अगर आज भारत की सीमाओं को सुरक्षित रखे है तो वह वहां के जनजातीय समाज की भारत-भक्ति की वजह से है। वहां लोग मिलते हैं तो आपस में जय हिन्द बोलते हैं।
कार्यक्रम में केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के डॉ. सुदेश गर्ग, पंजाब खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष श्री हरजीत सिंह ग्रेवाल सहित राजधानी दिल्ली के अनेक समाजसेवी, शिक्षक और छात्र उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन गोष्ठी के संयोजक और स्थानीय निगम पार्षद श्री अरविन्द गर्ग ने किया।
नगला चन्द्रभान
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मस्थान नगला चन्द्रभान (मथुरा) में 25 सितम्बर को नेहरू युवा केंद्र संगठन की ओर से आयोजित राष्ट्रीय पुनर्जागरण यात्रा का समापन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से लगभग 10 हजार युवा आए थे। यह यात्रा 2 अक्तूबर, 2014 को शुरू हुई थी और इस दौरान 100 जिलों एवं 10 हजार ग्रामों तक गई। समारोह को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि युवा देश में गरीबी और बेरोजगारी को दूर कर सकते हैं। युवाओं की शक्ति को अगर सबसे पहले किसी ने पहचाना तो वह केवल पं़ दीनदयाल ही थे। पं़ दीनदयाल ने ही सर्वप्रथम 'हर हाथ को काम, हर खेत को पानी' देने का स्वप्न देखा था। केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि अगर देश को विश्व का सबसे मजबूत राष्ट्र बनाना है तो पं़ दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को मान्यता देनी पड़ेगी। पंडित जी ने कहा था कि जो परिश्रम करेगा, वही उद्देश्य प्राप्त करेगा। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि यह सौभाग्य का विषय है कि हजारों युवा पं़ दीनदयाल जी की जन्मभूमि पर उपस्थित होकर देशवासियों को पुनर्जागरण का संदेश दे रहे हैं। नेहरू युवा केंद्र संगठन के महानिदेशक मेजर जनरल बिलावल सिंह ने यात्रा के घटक व उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यात्रा के उद्देश्य के बारे में कहा कि विकास की प्रक्रिया में युवाओं को सहभागी बनाने के लिए इस यात्रा का आयोजन नेहरू युवा केंद्र संगठन ने किया था।
इलाहाबाद
इलाहाबाद में पं दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर स्वदेशी जागरण मंच की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि पं दीनदयाल जी मूल्य आधारित राजनीति के हिमायती और जातिवादी राजनीति के प्रबल विरोधी थे। उन्होंने छात्र राजनीति में लिंगदोह समिति की सिफारिशों को नकारे जाने पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि अगर छात्र ही मूल्य आधारित राजनीति से दूर रहेंगे तो देश के राजनीतिक भविष्य का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सत्य, धर्म और न्याय की लड़ाई लम्बी होती है, किंतु विजय उसे ही मिलती है। दीनदयाल जी और गांधी जी के विचारों में काफी समानता थी। उन्होंने कहा कि जब देश में समाजवाद, साम्यवाद और पूंजीवादी विचारों का बोलबाला था, ऐसे में दीनदयाल जी ने एकात्म मानववाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। स्वदेशी आंदोलन उन्हीं के विचारों को स्थापित करने का आंदोलन है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर बी़ एऩ सिंह ने कहा कि समाज के आखिरी व्यक्ति को केंद्र में रखकर पं दीनदयाल जी ने विकास के जिस सिद्धांत का प्रतिपादन किया वही एकात्म मानववाद है। वह कृषि पर आधारित विकास के पक्षधर थे। उनकी अर्थनीति, अर्थ संस्कृति पर आधारित थी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय मिनिस्टीरियल एण्ड टेक्निकल स्टाफ यूनियन के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि आज समाज में विचार शून्यता की स्थिति है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के काशी प्रांत संयोजक डॉ. निरंजन सिंह ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच आज से शुरू स्वदेशी सप्ताह में पं दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को देशभर में जन-जन तक पहुंचाने के लिए व्यापक कार्यक्रम करेगा।
चित्रकूट
चित्रकूट स्थित दीनदयाल शोध संस्थान में दीनदयाल जी की जयन्ती मनाई गई। दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन और अन्य कार्यकर्ताओं ने लगभग 15 फीट ऊंची पं़ दीनदयाल जी की प्रतिमा पर पुष्पाजलि अर्पित की। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं एवं बच्चों द्वारा पं़ दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन से जुड़े प्रेरणादायी प्रसंगों को दैनिक जीवन में आत्मसात करने हेतु मंचन भी किया गया। योग सदन, आरोग्यधाम के प्रशिक्षक सत्यनारायण शर्मा अतिथि के नाते उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि पं़ दीनदयाल जी का विचार दर्शन और जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायी है। समारोह का संचालन कर रहे सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय के प्राचार्य मदन तिवारी ने बताया कि राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख ने 1968 में पं़ दीनदयाल जी के निर्वाण के उपरांत दीनदयाल स्मारक समिति बनाकर उनके काम को आगे बढ़ाने की नींव दिल्ली में रखी थी। नानाजी ने दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना कर दीनदयाल जी के एकात्म मानवदर्शन को व्यावहारिक रूप में धरातल में उतारने का कार्य सामूहिक पुरुषार्थ से कराकर दिखा दिया।
गांधीनगर
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में 14 सितम्बर को एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें वक्ताओं ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर गुजराती पत्रिका 'साधना' के पूर्व सम्पादक श्री विष्णु पण्ड्या द्वारा लिखित पुस्तक 'भारतीय विचारधारा के दर्शक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानवदर्शन' का लोकार्पण भी हुआ। लोकार्पणकर्ता थीं गुजरात की मुख्यमंत्री श्रीमती आनन्दीबेन पटेल। इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे। -प्रतिनिधि
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