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राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के बोरिंग रोड, पटना स्थित कार्यालय में उत्सव सा माहौल है। पार्टी के बड़े पदाधिकारी दबी जुबान से स्वीकार करते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उम्मीद से ज्यादा दिया है। पार्टी को 20 सीटें मिलने का अनुमान था लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने 23 सीटें दे दीं। यही दृश्य अन्य दलों के कार्यालय में भी देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में सहयोगी दलों के लिए सीटों का निर्धारण लोकसभा चुनाव के आधार पर किया। विधानसभा चुनाव में सहयोगी दलों की सहभागिता ज्यादा सुनिश्चित करने के लिए उसने सबों को अनुमान से अधिक सीटें प्रदान की। पिछले लोक सभा चुनाव में रामविलास पासवान की लोजपा 6 सीटों पर तथा उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा 3 सीटों पर लड़ी थीं। उस हिसाब से देखें तो लोजपा का 37 सीटों पर तथा उपेन्द्र कुशवाहा का 18 सीटों पर दावा बनता है। लोकसभा चुनाव में जीतनराम मांझी का हिन्दुस्थान आवाम मोर्चा 'हम' राजनैतिक परिदृश्य पर नहीं था लेकिन मौजूदा राजनैतिक हालात में 'हम' भी सामने आया। 'हम' के 13 विधायक राजग के साथ हैं। वैसे (सिवान जिले) के युवा सामाजिक एवं राजनैतिक कार्यकर्ता कुमार आयुष मल्ल का मानना है कि सीट बंटवारे में भाजपा ने सदाशयता दिखाई है। हालांकि मांझी को कुछ सीटें और दी जानी चाहिए थीं।
राजनीति के जानकार पहले से अनुमान लगाये थे कि भाजपा अपने सहयोगियों के पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 2 सीटों से ज्यादा नहीं देगी लेकिन जब पूरा देश हिन्दी दिवस मना रहा था उस दिन दिल्ली में सुबह से ही अलग राजनैतिक खिचड़ी पक रही थी। एक-एक सीट पर व्यापक चर्चा के बाद शाम को सीट बंटवारे की घोषणा कर दी गई। राजनीतिक विश्लेषकों के पूर्वानुमान को धत्ता बताते हुए एक संयुक्त प्रेस वार्ता में भाजपा अध्यक्ष अमित साह ने सीट बंटवारे की घोषणा कर दी। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 160 सीटों पर, लोजपा 40 सीटों पर, रालोसपा 23 सीटों पर तथा 'हम' 20 सीटों पर लड़ेगी। हम के कुछ कार्यकर्ताओं को भारतीय जनता पार्टी अपने चुनाव-चिन्ह पर चुनाव मैदान में उतारेगी। ऐसे विधानसभा क्षेत्र एवं उम्मीदवार का निर्धारण का दायित्व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं 'हम' के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी को सौंपा गया है। रालोसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शंभूनाथ सिन्हा ने सीट निर्धारण में संतोष प्रकट करते हुए कहा कि सीट बंटवारे से उनकी पार्टी पूरी तरह संतुष्ट है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सीट बंटवारे से पूर्व सीटों का निर्धारण हो जाना चाहिए था।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने सीटों का बंटवारा कर महागठबंधन की नींद उड़ा दी है। एक ही दांव में उसने महागठबंधन को चित्ता कर दिया है। महागठबंधन के नेताओं ने घोषणा की थी कि वे पहले अपनी सीटों का बंटवारा कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं कर सके। भाजपा जहां अपने सहयोगी दलों को एकजुट रखने में सफल है वहीं महागठबंधन के दल एक-एक कर अलग होते जा रहे हैं। सीट बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी राकंापा पहले ही अलग हो चुकी है। 30 अगस्त को महागठबंधन द्वारा पटना के गांधी मैदान में आयोजित स्वाभिमान रैली में मुलायम सिंह यादव ने न आकर संकेत दे दिया था कि सपा महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनने जा रही है। सीट बंटवारे को लेकर नीतीश कुमार बैकफुट पर चले गये थे। 2005 से आठ साल तक भारतीय जनता पार्टी को अपनी शतार्ें पर मजबूर करने वाले नीतीश कुमार सीट बंटवारे के समय पहली बार खुद बैकफुट पर दिखे। 117 विधायकों वाली पार्टी 100 सीटों पर लड़ने को तैयार हो गई।
महागठबंधन में सीट बंटवारे का हिसाब भी रोचक ढंग से हुआ। राजद और जदयू ने आपस में 100-100 सीटों का बंटवारा कर लिया। 40 सीटों पर कांग्रेस तथा 3 सीट पर राकांपा का लड़ना तय हुआ। राकांपा के तारिक अनवर कटिहार लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। इस हिसाब से राकांपा को कम-से-कम 6 सीटें मिलनी चाहिए थीं लेकिन आनन-फानन में पार्टी को 3 सीटों पर ही निपटा दिया गया। महागठबंधन अगुवाई का दायित्व समाजवादी पार्टी निभा रही थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में उसके लिए पहले एक भी सीट नहीं दी गई। प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र यादव ने जब इसका पुरजोर विरोध किया और महागठबंधन के नेताओं को मुलायम सिंह की नाराजगी महसूस होने लगी तो राजद ने अपने हिस्से की तीन सीटें देने की बात कही। लेकिन लालू प्रसाद के समधी और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के गले यह बात नहीं उतरने वाली थी। अंतत: सपा महागठबंधन से अलग हो गयी।
महागठबंधन की नींद अब एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी उड़ा रहे हैं। उन्होंने घोषणा कर रखी है कि पूर्णिया और कोसी प्रमंडल की 25 सीटों पर ओवैसी अपने उम्मीदवार उतारेंगे। ओवैसी को लेकर मुस्लिम युवाओं में दीवानगी है। किशनगंज के युवा मतदाता मोहम्मद सुलेमान ओवैसी के पक्ष में जमकर नारेबाजी करते हुए कहते हैं कि भाजपा के नाम पर महागठबंधन के नेताओं ने उन्हें खूब धमकाया। आजादी के 68 साल बाद भी इस इलाके में आज भी हालात बदतर हैं। ओवैसी उनके लिए रहनुमा बनकर आये हैं।
पटना के होटल मौर्या में 15 सितंबर को एक निजी टीवी चैनल (आज तक) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ओवैसी जदयू के प्रवक्ता डॉ़ अजय आलोक को देखते ही उखड़ गये। उन्होंने कहा, ''आपने मुझपर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पैसे लेकर सीमांचल में उम्मीदवार उतारने का आरोप लगाया था। बतायें कहां हैं मेरे पास नमो का पैसा? सबूत दें। मैं इन पैसों को जदयू के फंड में डाल दूंगा।'' ओवैसी ने जदयू के नेताओं को बुजदिल तक कह दिया। उन्होंने कहा कि वे खुलकर अपनी बात कहते हैं। जदयू के नेताओं जैसी दबी ढंकी बातें नहीं करते। उन्होंने लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए कहा कि जब उन्होंने 2005 में लालू प्रसाद के लिए प्रचार किया था तो वे कट्टरपंथी नहीं थे लेकिन इस चुनाव में कट्टरपंथी हो गये हैं। वोटकटवा के सवाल पर उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद अपने समधी से क्यों नहीं पूछते कि वे वोटकटवा हैं या नहीं? बिहार में पहले चरण के लिए अधिघोषणा जारी हो चुका है। पहले चरण में 12 अक्तूबर को 49 सीटों के लिए चुनाव होगा। यह क्षेत्र ज्यादातर नक्सल प्रभावित हैं। दूसरे चरण का चुनाव 16 अक्तूबर को 32 सीटों के लिए तथा तीसरा चरण का चुनाव दशहरा पूजा के बाद 28 अक्टूबर को 50 सीटों के लिए होगा। इसमें राजधानी पटना एवं सारण प्रमंडल के ज्यादातर क्षेत्र हैं। चौथे चरण का चुनाव 01 नवंबर को होगा। इसमें 55 सीटों पर मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। अंतिम चरण का चुनाव 4 नवंबर को 27 सीटों के लिए होगा। चुनाव को लेकर नित्य नये परिदृश्य उभर रहे हैं। देखते हैं इस बार किसके सिर सेहरा सजता है़?
संजीव कुमार
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