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नई दिल्ली में 2, 3 एवं 4 सितम्बर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समन्वय बैठक आयोजित हुई। इसमें 15 संगठनों के 93 प्रमुख कार्यकर्ता तीन दिन तक उपस्थित रहे। बैठक के अन्तिम दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विचार रखे, जबकि समापन भाषण सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दिया। बैठक की समाप्ति पर सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने पत्रकारों को बताया कि बैठक में अनेक विषयों पर चर्चा हुई और विचार-अनुभवों का आदान-प्रदान हुआ। समाज जीवन में कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव रखे। इसी प्रकार राजनीतिक क्षेत्र में कार्य कर रहे संघ के स्वयंसेवकों और देश की बागडोर संभाल रहे स्वयंसेवकों ने भी अपने अनुभव बताए कि कार्य कैसा चल रहा है, कैसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि समन्वय चिंतन बैठक निर्णय लेने वाली बैठक नहीं थी, न ही बैठक में सरकार के कामकाज की समीक्षा की गई। केवल विचारों, अनुभवों का आदान-प्रदान हुआ। उन्होंने कहा कि 14 माह के कार्यकाल में केन्द्र सरकार की दिशा सही है, उसमें लगन और प्रतिबद्धता है। जनता में विश्वास उत्पन्न हुआ है, तो पूरा विश्वास है कि कार्य सही दिशा में आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में शासन-सत्ता का महत्व है। इसे संघ भी मानता है, लेकिन देश में शासन किसका है, इससे संघ का कार्य नहीं चलता। संघ समाज की ताकत के आधार पर कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि संघ ने सरकार को न तो कोई एजेंडा दिया है और न ही 'रिमोट कंट्रोल' जैसी कोई बात है। सरकार जनता द्वारा प्रदत्त एजेंडे पर कार्य कर रही है। उन्होंने कांग्रेस द्वारा 'रिमोट कंट्रोल' से सरकार चलाने के आरोपों पर कहा कि कांग्रेस क्या कहती है, संघ इस पर टिप्पणी नहीं करेगा। पर 'रिमोट कंट्रोल' से चलने वालों को सवाल उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक देश के नागरिक हैं, संघ कोई गैर-कानूनी संस्था नहीं है। सरकार के मंत्री जैसे अन्य स्थानों, कार्यक्रमों, समूहों, प्रेस वार्ता में अपनी बात रखते हैं, वैसे ही यहां भी बात रखी। कहीं कोई गोपनीयता, नियम का उल्लंघन नहीं हुआ। मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है। बैठक काफी लाभकारी रही।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि आर्थिक विकास के समस्त मॉडल निष्फल हो चुके हैं। इसलिए बैठक में भारतीय विचार, चिंतन के आधार पर युगानुकूल मॉडल विकसित करने पर चर्चा हुई, जिससे आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी हो। उन्होंने कहा कि कमाई, पढ़ाई, दवाई के लिए ग्रामीण गांव से शहर की तरफ भाग रहे हैं। गांव के अंदर ये सुविधाएं उपलब्ध हों, इसे लेकर ग्राम विकास के अनुभवों का आदान-प्रदान हुआ। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा का भारतीयकरण हो, आधुनिकता को भी शामिल किया जाए, देश में शिक्षा के दायरे से कोई बाहर न रहे, साक्षरता दर को आने वाले वषार्ें में 100 प्रतिशत तक कैसे पहुंचाया जाए, शिक्षा महंगी न हो, व्यावसायीकरण पर रोक लगे तथा इसमें समाज, सामाजिक संस्थाओं की भी भागीदारी हो, इसे लेकर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि समाज का कमजोर, दुर्बल वर्ग स्वाभिमानी हो, सभी की रोटी, कपड़ा, मकान की आवश्यकता पूरी हो, इसके लिए योजना बने। सेवा क्षेत्र के स्वयंसेवकों ने अपने कार्य अनुभव बताए। सरकार इस पर काम कैसे कर सकती है, इसकी चर्चा हुई। हालांकि सभी को 100 प्रतिशत संतुष्ट करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक महत्व के स्थानों की देखरेख सही ढंग से हो, इस पर चर्चा हुई, जिससे विदेश से आने वाले पर्यटकों में सही संदेश जाए। उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक-बाह्य सुरक्षा के मामले पर भी चर्चा हुई। इस मामले पर संघ का स्वयंसेवक जागरूक रहता है। सरकार भी तंत्र को मजबूत करने के लिए शीघ्र कदम उठाए। पाक के रवैये पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि कौरव और पांडव भी भाई थे, लेकिन धर्म की संस्थापना के लिए कुछ भी करना पड़ता है। राम मंदिर के विषय पर उन्होंने कहा कि संघ कोई कार्यक्रम तय नहीं करता है। इस पर धर्म संसद, संत और धर्माचार्य निर्णय लेते हैं। संघ उस निर्णय के अनुसार ही कार्य करता है।
संघ का मानना है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण देश की आस्था और जनभावनाओं का सम्मान है। उन्होंने कहा कि हालांकि वर्तमान में यह मामला सवार्ेच्च न्यायालय में विचाराधीन है, फिर भी सरकार अपने अनुसार सकारात्मक कार्य करेगी, ऐसा मानना है। पंथ आधारित जनगणना पर उन्होंने कहा कि इस पर कार्यकर्ताओं की एक टीम बनाई गई है। कार्यकर्ता जनगणना आंकड़ों का अध्ययन कर रपट तैयार करेंगे, जिसे रांची में होने वाली कार्यकारी मंडल की बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा। ल्ल प्रतिनिधि
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