|
सच बोला तो नप जाओगे
आम आदमी पार्टी में सिर्फ एक ही व्यक्ति की मनमानी चलती है, जिसके बारे में सभी जान चुके हैं। पार्टी में अरविंद केजरीवाल का विरोध करने वालों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। दिल्ली में हाल ही में कानून मंत्री के पद से हाथ धोने वाले कपिल मिश्रा हों या फिर पंजाब के दोनों सांसद हरिंदर सिंह खालसा और डॉ. धर्मवीर सिंह गांधी ही क्यों न हों, जो भी केजरीवाल की नीति पर सवाल उठाएगा उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
इससे पहले पार्टी के 'थिंक टैंक' माने जाने वाले प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यह सब सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल के इशारे पर ही हो रहा है, बेशक पार्टी से नेताओं को दरकिनार करने के पीछे वजह कुछ भी गिनाई जाए, लेकिन मकसद साफ है कि केजरीवाल के सामने पार्टी में किसी नेता का अस्तित्व नहीं है। दिल्ली में मात्र ढाई माह में ही कपिल मिश्रा को कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया और उनकी जगह मनीष सिसौदिया की ताजपोशी कर दी गई। मिश्रा पर कार्य का दबाव व उनकी व्यस्तता का हवाला देते हुए विधि विभाग ले लिया गया, लेकिन सचाई कुछ और ही है। जल बोर्ड के अध्यक्ष के नाते मिश्रा ने दिल्ली जल बोर्ड में हुए टैंकर घोटाले की जांच पूरी होने का जिक्र करते हुए केजरीवाल को हाल ही में पत्र लिखकर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध मामला दर्ज करने की सिफारिश की थी।
भ्रष्टाचार विरोधी होने की छवि का दिखावा करने वाले केजरीवाल को यह बात नागवार गुजरी और आनन-फानन में मिश्रा से कानून मंत्रालय जबरन ले लिया गया। केजरीवाल की कथनी और करनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली मंे एक तरफ वे कांग्रेस के साथ गठबंधन से इंकार करते हैं तो दूसरी तरफ बिहार के चुनाव में उन्हें कांग्रेस से कोई ऐतराज नहीं है और भ्रष्टाचार में लिप्त बिहार के नेताओं के साथ मंच साझा करने से भी वे पीछे नहीं रहे।
कपिल मिश्रा की तर्ज पर ही केजरीवाल ने पिछले कुछ दिनों से आंखों में खटक रहे पंजाब के दो सांसद धर्मवीर गांधी व हरिंदर सिंह खालसा को निलंबित कर अपनी तानाशाही का प्रमाण दे दिया। गत 29 अगस्त को रक्षाबंधन के अवसर पर पंजाब में आआपा दोफाड़ हो गई। बाबा बकाला में कांग्रेस और अकालियों की ही तरह आआपा ने भी रैली की, लेकिन इससे बड़ा जनसमूह आआपा के दो बागी सांसदों धर्मवीर गांधी (पटियाला) और हरिंदर सिंह खालसा (फतेहगढ़ साहिब) की रैलियों में जुट गया जिससे आआपा के खेमे में खलबली मच गई।
बागियों की रैली आआपा की रैली से एक किलोमीटर दूर हुई थी। इसे पार्टी के विरुद्ध बताते हुए आआपा ने दोनों सांसदों को निलंबित कर दिया। इससे आगे की कार्रवाई तीन सदस्यों वाली राष्ट्रीय अनुशासन कार्रवाई समिति करेगी। तीन सदस्यीय समिति में पंकज गुप्ता, दिलीप पांडे और दीपक वाजपेयी हैं। समिति दोनों सांसदों के विरुद्ध शिकायतों की विस्तृत जांच कर अपनी सिफारिश देगी। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने देश भर में 400 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे केवल पंजाब में ही चार सीटों पर जीत मिली थी। इसलिए दिल्ली के बाद आआपा को सबसे ज्यादा उम्मीद पंजाब से ही है, लेकिन यहां लड़ाई अरविंद केजरीवाल बनाम योगेंद्र यादव बन गई है। इन बागी सांसदों की रैली में सूफी गायक रब्बी शेरगिल मंच पर पहंुचे हुए थे। रैली में उमड़े जनसमूह को देखकर सांसद गांधी ने कहा कि 'ये भीड़ बता रही है कि पंजाब की जनता किसके साथ है।' खालसा और गांधी ने यहां तक कह दिया कि 'आआपा के संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर और संजय सिंह कौन होते हैं पार्टी चलाने वाले। हम स्वराज की नीति पर काम कर रहे हैं।' उधर पार्टी की रैली में सुच्चा सिंह छोटेपुर, सांसद भगवंत मान, सांसद प्रो. साधु सिंह धर्मसोत और पार्टी प्रभारी संजय सिंह मंच पर पहुंचे, लेकिन रैली में आए लोगों के बीच बागी नेताओं की रैली की चर्चा जारी रही। दोपहर 3:15 बजे संजय भाषण देकर हटे। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने तभी मंच के निकट खड़ी कार में काफी देर तक बैठकर फोन पर अरविंद केजरीवाल से बात की। उसके बाद उन्होंने तुरंत उक्त दोनों सांसदों को निलंबित करने का आदेश दे दिया। इससे साफ है कि केजरीवाल के समक्ष यदि कोई आवाज उठाएगा तो उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
केजरीवाल गुट का विरोध करने की सजा
ये दोनों सांसद काफी समय से अरविंद केजरीवाल के निशाने पर थे। इन सांसदों ने योगेन्द्र यादव को आआपा से निष्कासित करने का न केवल विरोध किया था, बल्कि उनकी स्वराज यात्रा का स्वागत भी किया था। हरिंदर सिंह खालसा ने इस कार्रवाई के लिए अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी संजय सिंह की तानाशाही को जिम्मेदार ठहराया है। आआपा दिल्ली से लोगों को भेजकर राज्य में संगठन चलाना चाहती है, लेकिन उन्हें पंजाब के लोगों का स्वभाव समझना चाहिए था।
मुझे लोगों ने संसद में भेजा है। उनका विश्वास नहीं तोड़ूंगा। इस्तीफा नहीं दूंगा। कुछ वरिष्ठ नेता अपने सिद्धांत भूल गए हैं। हम स्वराज सिद्धांत पर काम करते रहेंगे।
-धर्मवीर गांधी, सांसद, पटियाला
पार्टी में कोई ऐसा मंच नहीं बचा है, जहां पर बात रखी जा सके। हमें लोगों ने चुना है। उनकी हमसे अपेक्षाएं हैं, लेकिन पार्टी में उन लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है जो नकारे जा चुके हैं।
-हरिंदर सिंह खालसा, सांसद,फतेहगढ़ साहिब
राहुल शर्मा/राकेश सैन
टिप्पणियाँ