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लश्कर ए तैयबा संगठन की नजर अब पाकिस्तान में नशाखोरी करने वाले युवाओं पर रहती है
भारत की सीमा में लश्कर के दो कमांडर छोड़ने आए थे नावेद को
ऊधमपुर से गिरफ्तार नावेद एनआईए को पूछताछ में आए दिन रोचक तथ्यों का खुलासा कर रहा है। नावेद को भारत की सीमा तक छोड़ने के लिए लश्कर ए तैयबा के दो कमांडर भी आए थे। भारत में आतंकवाद के पांव पसारने के लिए नशे की लत का शिकार बन चुके युवाओं को आतंकवादी संगठन में शामिल किया जा रहा है। आतंकवादी प्रशिक्षण केन्द्र मंे भी युवकों को नशीले पदार्थ मुहैया कराए जाते हैं।
एनआईए को पूछताछ में नावेद ने पाकिस्तान में चल रहे तीन आतंकवादी प्रशिक्षण केन्द्र और प्रशिक्षण देने वाले दो दर्जन से अधिंक प्रशिक्षकों के बारे में बताया। इन जानकारियों को भारत- पाकिस्तान से साझा करने की तैयारी कर रहा है। इस आधार पर पाकिस्तान से शिविरों और प्रशिक्षकों का खुलासा करने के लिए कहा जाएगा। नावेद ने बताया कि पहले कश्मीरी युवक आसानी से आतंकवादियों के बहकावे में आ जाते थे, लेकिन अब युवकों के आतंकवादियों के संपर्क में आने के मामले में गिरावट आई है। इसके बाद से लश्कर ए तैयबा की नजर अब नशाखोरी करने वाले युवकों पर रहती है, जो कि नशे की खातिर कुछ भी करने से पीछे नहीं रहते हैं। इसके लिए जुआ खेलने वालों को भी चुना जाता है। नावेद ने बताया कि वह खुद भी नशे की लत का शिकार था और एक बार 30 हजार रुपए जुए में हार गया था। उसने जांच में बताया कि फैसलाबाद के एक मौलवी ने ही उसे आतंकवादी संगठन में शामिल होने के लिए तैयार किया था और वह स्वयं उसे प्रशिक्षण शिविर तक छोड़कर आया था। नावेद चार महीने तक प्रशिक्षण लेकर गत मई माह में भारत के लिए रवाना हुआ था। उसे भारत की सीमा में छोड़ते समय लश्कर के कमांडरों ने 50 हजार रुपए, गोला-बारूद, नक्शा और अन्य उपकरण मुहैया कराए थे। ल्ल
मदरसों में हो ध्वजारोहण : उच्च न्यायालय
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी को मदरसांे में भी राष्ट्रीय ध्वज फहराना सुनिश्चित किया जाए। इस संबंध में दाखिल एक जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने तीन सप्ताह के भीतर राज्य सरकार को जबाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 22 सितम्बर को होगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायाधीश यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने अलीगढ़ निवासी अजीत गौड़ द्वारा दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि उ. प्र. के हरेक मदरसे में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाना चाहिए। इसके लिए राज्य के प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग से कहा गया है कि वह सभी विद्यालयों और कॉलेजों सहित मदरसों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाना तय करें। साथ ही उनसे पूछा गया है कि ध्वजारोहण को लेकर शिक्षा विभाग के क्या दिशा-निर्देश हैं? उन्हीं को मामले की निगरानी सौंपी गई है। दरअसल याचिका दायर करने वाले अजीत का कहना था कि सभी मदरसों में राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया जाता है। इसके जवाब में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि अलीगढ़ के मदरसों में ध्वजारोहण किया जाता है। साक्ष्य के तौर पर राष्ट्रगान गाते हुए बच्चों के चित्र भी दिखाए गए, इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह मामला केवल अलीगढ़ से संबंधित नहीं है। प्रतिनिधि
तीन सप्ताह के भीतर राज्य सरकार को देना होगा जवाब
याचिका में कहा गया कि मदरसों में नहीं होता ध्वजारोहण
एक लाख उपभोक्ता रहे
नि:शुल्क जल से वंचित
दिल्ली में करीब एक लाख उपभोक्ता जून-जुलाई माह में नि:शुल्क पानी लेने से वंचित रहे। यह जानकारी जल बोर्ड द्वारा जारी की गई रपट में दी गई। नि:शुल्क पेयजल लेने वालों का आंकड़ा जारी किए जाने पर इसका खुलासा हुआ है। जल बोर्ड की रपट के अनुसार मार्च, अप्रैल और मई माह में करीब 7 लाख उपभोक्ताओं ने नि:शुल्क पेयजल का उपयोग किया था, लेकिन जून-जुलाई में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या घटकर 6 लाख रह गई। साथ ही बंगले में रहने वाले लोग भी नि:शुल्क पेयजल का लाभ उठा रहे हैं। जल बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार गर्मी मंे पानी की मांग बढ़ने पर लोग अधिक पानी का उपभोग करते हैं। ऐसे में जिन उपभोक्ताओं ने 20 हजार लीटर प्रति माह से अधिक पानी का उपयोग किया उन्हें पूरे बिल का भुगतान करना पड़ा। इसी कारण एक लाख उपभोक्ता नि:शुल्क पेयजल की व्यवस्था का लाभ नहीं उठा सके। प्रतिनिधि
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