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रक्षा बंधन के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों ने देश के अनेक भागों में कार्यक्रम आयोजित किए। कहीं समसामयिक विषयों पर गोष्ठी आयोजित हुई, कहीं लोगों ने देश रक्षा का संकल्प लिया, तो कहीं सामाजिक समरसता पर जोर दिया गया। यहां कुछ स्थानों के समाचार प्रस्तुत हैं-
लखनऊ
लखनऊ के निराला नगर स्थित सरस्वती कुंज में रक्षा बंधन की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्री तरुण विजय ने कहा कि भारत की सीमाएं असुरक्षित हैं। हमारा देश दो परमाणु ताकतों से आक्रान्त है। दोनों भारत में किसी न किसी रूप में आतंक को बढ़ावा दे रही हैं। विदेशी धन और विदेशी मन का नतीजा है कि आज नक्सलवाद बढ़ रहा है। रक्षा बंधन उत्सव इन सभी चीजों का रक्षा कवच है। उन्होंने कहा कि यह वह देश है जब आज से दो हजार वर्ष पहले दुनिया के अन्य देशों के लोग जंगलों में रहते थे उस समय तक्षशिला विश्वविद्यालय में 30 लाख हस्तलिखित पुस्तकें थीं। यह हजारों वर्ष पुरानी हमारी ज्ञान साधना का प्रतीक है। कार्यक्रम के प्रारंभ में लोकहित प्रकाशन की ओर प्रकाशित 'सामाजिक समरसता' पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ ने की। इस अवसर पर क्षेत्र कार्यवाह श्री रामकुमार वर्मा, प्रान्त संघचालक श्री प्रभुनारायण श्रीवास्तव, वरिष्ठ प्रचारक श्री ओम प्रकाश, प्रान्त प्रचारक श्री संजय, सह प्रान्त प्रचारक श्री रमेश आदि उपस्थित थे।
कानपुर
कानपुर में आयोजित रक्षा बंधन उत्सव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार ने स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि वे समाज के वंचित एवं पिछड़े लोगों को रक्षासूत्र बांधकर सामाजिक समरसता का संचार करें। आज संघ इसी भाव को लेकर रक्षा बंधन का पर्व मनाता है। आज समाज में एकात्मता की जरूरत है जो समरसता से ही संभव है। उन्हांेने कहा कि रक्षा बंधन सामुदायिक, सामाजिक समरसता का जीता-जागता उदाहरण है।
समारोह की अध्यक्षता जी़ एस़ वी़ एम़ मेडिकल कॉलेज, कानपुर के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ़ एस़ के. कटियार ने की।
इलाहाबाद
इलाहाबाद में 29 अगस्त को रक्षा बंधन उत्सव आयोजित हुआ। यहां भी श्री अरुण कुमार का ही उद्बोधन हुआ। उन्होंने कहा कि सेवा का संकल्प लेकर सामाजिक समरसता के लिए बड़ा जनान्दोलन चलाना होगा। भेदभावपूर्ण व्यवस्था समाप्त करने के लिए सभी संकल्प लें।
समारोह के अध्यक्ष और राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एम़ पी़ दुबे ने कहा कि समुदाय का भाव और देशपे्रम की भावना पैदा करके ही सामाजिक समस्या का समाधान हो सकता है। हमारे उत्सव सामुदायिक भावनाओं को जागृत करते हैं। रक्षा बंधन उन्हीं में से एक है। – प्रतिनिधि
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