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मध्य प्रदेश के हरदा में 4 अगस्त की रात कामायनी और जनता एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रसत होने पर 29 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 300 से अधिक घायल हो गए। तेज बरसात के बाद रेलवे लाइन के नीचे की मिट्टी बैठ जाने से यह हादसा हो गया। मात्र दो मिनट के अंतराल पर यहां से गुजरने वाली दो रेलगाडि़यांे के 17 डिब्बे और एक इंजन माचक नदी में जा गिरे।
हादसे की जानकारी मिलने के तुरंत बाद युद्धस्तर पर राहत कार्य शुरू कर दिया गया। करीब 250 लोगों को सकुशल बचा लिया गया। बहाव के कारण कुछ लोगों के शव पानी में बह गए। मुंबई से वाराणसी जा रही कामायनी एक्सप्रेस माचक नदी के पुल से गुजरते समय दुर्घटना का शिकार हो गई। इसी दौरान जबलपुर से मुंबई जा रही जनता एक्सप्रेस भी दुर्घटना का शिकार हो गई। बाढ़ के कारण माचक नदी में पानी का बहाव भी काफी ज्यादा था। डिब्बे नदी में गिरने के कारण यात्रियों के शव कई किलोमीटर दूर तक बह गए। पानी रेलवे लाइन तक पहंुच गया था। हादसे के दो दिन बाद भी मृतकों के शव तलाशने का अभियान जारी रहा। हादसे की जानकारी मिलने पर ग्रामीण और रा. स्व. संघ के स्वयंसेवक घटनास्थल पर मदद के लिए दौड़ पड़े। उनकी मदद से घायलों को समय रहते उपचार के लिए अस्पताल पहंुचाया जा सका। क्षतिग्रस्त डिब्बों में फंसे यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहंुचाया गया।
इस दौरान दो हजार यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया। इसके बाद रेलवे, राज्य पुलिस बल और एनडीआरएफ के दस्ते ने भी मोर्चा संभाल लिया। अलग हुए रेल के डिब्बों को जोड़कर दूसरे इंजन की मदद से घटनास्थल से हटाया जा सका। हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मृतकों के प्रति सांत्वना व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री राहत कोष से मदद की घोषणा की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपए, जबकि गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक मदद करने की घोषणा की गई।
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