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हमें आजाद हुए 69 साल हो गए। इस दौरान दुर्भाग्य से, यहां सत्ता अधिष्ठान पर ऐसे लोगों का दबदबा रहा जो हर चीज को पश्चिमी चश्मे से देखते हैं और भारत के भाग्य का फैसला उस दिमाग से करते हैं जो विदेशी शिक्षा से बना है। नतीजा, भारत का आज जो चित्र उभरा है उसमें भारतीयता बमुश्किल ही दिखती है। शिक्षा, संस्कृति, भाषा, इतिहास, खेल से लेकर हमारी फिल्मों तक में भारत झलके, ऐसा आग्रह करने वालों की संख्या अब बढ़ रही है। इन्हीं सब बिन्दुओं को छूते विशेषज्ञों के विचारोत्तेजक आलेखों से गुंथा होगा हमारा अलगा अंक, जो है स्वाधीनता दिवस विशेषांक।
अपनी प्रति आज ही सुरक्षित कराएं।
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