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पिछली सदी के 7वें दशक में लगभग 20 वर्षों तक आतंकवाद का दंश झेल चुके देश के सीमावर्ती राज्य पंजाब में देशद्रोही शक्तियां फिर से सिर उठाती दिखाई दे रही हैं। बहाना बनाया जा रहा है उन सिख कैदियों की रिहाई का जो आतंकवाद के समय हत्या, लूटपाट और विध्वंस की गतिविधियों में संलग्न रहे हैं। इस मांग को लेकर एक वृद्ध सिख बाबा सूरत सिंह खालसा काफी समय से लुधियाना के हसनपुर गांव में भूख हड़ताल पर बैठे हैं जिसको लेकर पूरे प्रदेश में संदिग्ध लोग धरना-प्रदर्शन करके राज्य के वातावरण को विषाक्त कर रहे हैं।
केवल इतना ही नहीं इस प्रकरण पर विदेशों में बैठे खालिस्तान आतंकवाद के बचे समर्थक भी सक्रिय हो गए हैं। आंदोलनकारी बाबा सूरत सिंह का कहना है कि आतंकी गतिविधियों में होशियारपुर की जेल में बंद डॉ. आसा सिंह की उम्र 94 साल, लुधियाना की जेल में बंद मान सिंह की उम्र 70 साल, कपूरथला की जेल में बंद अवतार सिंह की उम्र 76 साल, मोहन सिंह की उम्र 72 साल, हरभजन सिंह की उम्र 84 साल, सेवा सिंह की उम्र 73 साल, सरूप सिंह की उम्र 66, सुरिंदर सिंह की उम्र 62 साल, नाभा की केंद्रीय जेल में बंद आतंकी गुरजंट सिंह की उम्र 73 साल, हरजिंद्र सिंह की उम्र 55 साल हो चुकी है। उनका यह भी कहना है कि उक्त आतंकी कानून अनुसार दी गई अपनी सजा की अवधि पूरी कर चुके हैं परंतु उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा। बाबा सूरत सिंह दया और सजा पूरी करने के आधार पर इनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। याद रहे कि पूर्व आतंकी गुरबख्श सिंह खालसा विगत वर्ष हरियाणा में इस तरह का आंदोलन कर चुका है।
बाबा सूरत सिंह के आंदोलन से किसी को कोई एतराज नहीं हो सकता, क्योंकि आंदोलन करना देश के हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन चिंता तो इस आंदोलन के नाम पर देश और विदेश में लामबंद हो रही देशद्रोही शक्तियों को लेकर है। बाबा सूरत सिंह के समर्थन में होने वाले प्रदर्शनों में सरेआम खालिस्तान के पक्ष में नारे लग रहे हैं। अभी तरनतारन व पटियाला में हुए प्रदर्शनों के दौरान न केवल देशद्रोहपूर्ण नारे लगे बल्कि तरनतारन में तो प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वालों पर पथराव तक कर दिया जिसमें पंजाब पुलिस के पुलिस उपाधीक्षक तिलकराज सहित अनेक पुलिसकर्मी घायल हो गए। यहां गुरुद्वारा शहीद बाबा दीप सिंह जी से करीब 200 करीब लोग मार्च में हिस्सा लेने आए थे। अरदास के बाद अजनाला-अमृतसर मुख्य मार्ग पर रोष मार्च शुरू करने पर पुलिस ने रोकने की कोशिश की। इसी बीच पुलिस द्वारा एक युवक की पिटाई की खबर फैलने पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर बरसा दिए। इससे पुलिस उपाधीक्षक जख्मी हो गए। राज्य में वाहनों, टी-शर्टों पर जरनैल सिंह भिंडरांवाला की तस्वीरें दिखना आम बात है। प्रदेश में अब की बार पहली बार ऐसा हुआ कि वर्ष 1984 में श्री हरिमंदिर साहिब में छिपे बैठे आतंकियों को बाहर निकालने के लिए किए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए आतंकियों की स्मृति में जगह-जगह मीठे जल की छबीलें लगाई गईं।
'आआपा' की संदिग्ध भूमिका
पंजाब में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। पंजाब में 'आआपा' की कमान सुच्चा सिंह छोटेपुर के हाथ में है, जो पूर्व विधायक हैं और किसी समय खालिस्तानी विचारधारा के समर्थक रहे हैं। 2015 के लोकसभा चुनावों में इस पार्टी को चार सीटों पर मिली जीत के बाद इस पार्टी का पंजाब पर विशेष ध्यान है। पटियाला के सांसद डॉ. धर्मपाल गांधी हसनपुर में आंदोलन कर रहे बाबा सूरत सिंह से मिल चुके हैं और उनके आंदोलन को अपना समर्थन दे चुके हैं। राज्य में व्यवस्था विरोधी भावना और सांप्रदायिकता के सहारे 'आआपा' राज्य की कुर्सी तक पहुंचना चाहती है।
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