वरिष्ठ प्रचारक वीरेन्द्र भटनागर नहीं रहे
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वरिष्ठ प्रचारक वीरेन्द्र भटनागर नहीं रहे

by
Aug 1, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 01 Aug 2015 12:54:14

कुछ लोग हर परिस्थिति में प्रसन्न रहकर सबको प्रसन्न रखते हैं। श्री वीरेन्द्र भटनागर ऐसे ही संघ प्रचारक थे। उनके पिता श्री ज्ञानेन्द्र स्वरूप भटनागर लखनऊ  के मुख्य डाकपाल कार्यालय में काम करते थे। किसी विवाह कार्यक्रम में वे परिवार सहित मथुरा आए थे। वहीं 15 जून, 1930 को वीरेन्द्र जी का जन्म हुआ। इसलिए इनकी दादी प्यार से इन्हें 'मथुरावासी' कहती थीं।
वीरेन्द्र जी बालपन में ही शाखा जाने लगे थे। 1947 में काशी से प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग करते हुए उन्होंने प्रचारक बनने का निर्णय ले लिया। 1948 में संघ पर प्रतिबन्ध लग गया। इसके विरुद्ध वे लखनऊ  जेल में रहे। जेल से आने के बाद उन्हें उ़ प्ऱ में सीतापुर जिले के खैराबाद में भेजा गया। वहां किसी समय उनके दादा जी स्थानीय तालुकेदार के मुंशी रह चुके थे। अत: उनके भोजन, आवास आदि का प्रबन्ध हो गया। प्रतिबन्ध के कारण उन दिनों शाखा लगाना मना था। अत: वे लोगों से सम्पर्क कर उन्हें संघ के बारे में जानकारी देते रहे। इसी बीच उन्होंने इंटर की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली।
प्रतिबन्ध के बाद उन्हें सीतापुर जिले में ही सिधौली भेजा गया। इसके बाद वे रायबरेली नगर और फिर 1962 में गाजियाबाद तहसील प्रचारक बनाए गए। वीरेन्द्र जी 1962 से 86 तक उ़ प्ऱ में मजदूर संघ के विभिन्न दायित्वों पर रहे।  उन्होंने सर्वप्रथम उ़ प्ऱ रोडवेज में इकाई गठित कर काम प्रारम्भ किया और फिर उसके महामंत्री बने। इस दौरान बरेली, बनारस आदि कई स्थानों पर उनका केन्द्र रहा। 1986 में वीरेन्द्र जी को उ़ प्ऱ में सेवा कायार्ें के विस्तार का काम मिला। इस हेतु उन्होंने 10 वर्ष तक व्यापक प्रवास किया और फिर उत्तरकाशी के भूकम्पग्रस्त क्षेत्र में चलाये जा रहे विद्यालय, छात्रावास, ग्राम्य विकास आदि सेवा कायार्ें की देखरेख करने लगे। वहां रहते हुए उन्होंने गढ़वाल के वीर एवं वीरांगनाओं के जीवन तथा सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन पर अनेक लघु नाटक लिखकर सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनका मंचन कराया।
शरीर शिथिल होने पर वे मेरठ के प्रांतीय संघ कार्यालय (शंकर आश्रम) तथा मेरठ में पूवार्ेत्तर भारत के बच्चों के लिए चलाये जा रहे छात्रावास में रहने लगे।  25 जनवरी, 2015 को वृद्धावस्था सम्बन्धी अनेक समस्याओं के कारण मेरठ में ही उनका निधन हुआ।     
    ल्ल प्रतिनिधि
समस्या-मुक्त भारत बनाने का आह्वान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल के सदस्य श्री इंद्रेश कुमार ने लोगों
का आह्वान किया है कि वे ऐसा भारत बनाने में जुटें, जहां दंगा-फसाद, बलात्कार और भू्रण हत्या जैसी घटनाएं न हांे और कोई भूखे पेट न सोए।  वे 18 जुलाई को देवबंद में आयोजित गुरु दक्षिणा उत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कन्वर्जन, गोहत्या और आतंकवाद के लिए भारत में कोई जगह नहीं है। देश में 26 करोड़ लोग सभी सुख-सुविधाओं और जीवन-यापन के लिए जरूरी संसाधनों से वंचित हैं। हमें उनकी चिंता करनी होगी। अन्न की कमी न होते हुए भुखमरी का होना अत्यंत चिंता का विषय है। सामर्थ्यवान लोगांे का यह कर्तव्य है कि वे वंचित नागरिकों के हितों को आगे आकर पूरा करें। भोजन के बजाए प्रसाद की संस्कृति को अपनाएं। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुरेंद्र पाल सिंह ने की। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।     ल्ल सुरेन्द्र सिंघल
घुमंतु जातियों के कल्याण पर मंथन
रोहतक में 26 जुलाई को 'हरियाणा विमुक्त, घुमंतु, अर्द्धघुमंतु एवं टपरीवास जनजाति कल्याण संघ' के तत्वावधान में एक विचार गोष्ठी आयोजित हुई। इसमें घुमंतु जातियों की समस्याओं और उनके कल्याण के लिए कई विषयों पर चर्चा की गई। गोष्ठी  में तय किया गया कि 30 अगस्त को मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या पर प्रांत स्तर का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। साथ ही प्रदेश स्तर पर सर्वेक्षण किया जाएगा। गौरतलब है कि घुमंतु जातियों को 31 अगस्त, 1952 को अंग्रेजों के काले कानूनों से आजादी मिली थी। इसी संदर्भ में विमुक्त जाति संघ इस दिन को मुक्ति दिवस के रूप में मनाते हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी के प्रांत उपाध्यक्ष राजीव जैन ने की। उन्होंने कहा कि भाजपा इन जातियों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार ने भी इन जातियों के उत्थान के लिए आयोग की स्थापना की है। हरियाणा सरकार ने भी इन जातियों के विकास के लिए अनेक योजनाएं चला रखी हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता राजेश ने संघ के कायार्ें और जातियों की स्थिति और कल्याण संघ के संबंध में विस्तार से चर्चा की। डॉ. बलवान सिंह ने बताया कि आगामी दिनों में संघ विमुक्त जातियों के कल्याण के लिए विस्तृत योजना बनाकर उस पर काम करेगा।
    ल्ल वि.सं.के., रोहतक
ताम्रकार नहीं रहे
गत 14 जुलाई को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महाकौशल प्रान्त के पूर्व प्रांत संघचालक श्री शंकर प्रसाद ताम्रकार का निधन हो गया। 84 वर्षीय श्री ताम्रकार कुछ दिनों से अस्वस्थ थे और मुम्बई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती थे। वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अन्तिम संस्कार उनके गृह नगर सतना में किया गया।
अन्तिम संस्कार में रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख श्री विनोद, क्षेत्र कार्यवाह श्री माधव, वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री श्रीकृष्ण माहेश्वरी, प्रांत प्रचारक श्री श्रीरंग राजे सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। श्री ताम्रकार दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, मानस संघ, रामवन के उपाध्यक्ष, भारत विकास परिषद्, वनवासी विकास परिषद्, सेवा भारती सहित स्थानीय सरस्वती विद्यालयों के संरक्षक एवं मार्गदर्शक भी रहे थे। उन्होंने आई़ आई़ टी़, खड़गपुर से पढ़ाई पूरी की थी।     ल्ल प्रतिनिधि

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