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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने 10 वर्ष के कार्यकाल में अपनेे आलाकमान और उसके चहेतों को खुश करने में ही लगे रहे थे, जिसके लिए उन्होंने केवल नियमों को ही ताक पर नहीं रखा, बल्कि सरकारी खजाने को भी नुकसान पहुंचाया। तब भूमि अनुबंध में जिस तरह अनदेखी की गई उससे प्रदेश के किसानों को भी भारी खामियाजा उठाना पड़ा। वाड्रा प्रकरण में फजीहत झेल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा पर पंचकुला में 14 औद्योगिक भूखण्डों के आबंटन में की गई धांधली भी भारी पड़ रही है। आरोप है कि ये भूखण्ड हुड्डा के करीबी लोगों को दिए गए। इस पर न्यायालय ने भी सरकार को प्रगति रपट पेश करने को कहा है। उधर प्रदेश भाजपा सरकार ने वाड्रा-डीएलएफ करार सहित सभी मामलों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग कीही है। सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ भूमि सौदे की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग की अधिसूचना जारी कर उसे 6 महीने के भीतर अपनी रपट पेश करने को कहा है। ऐसा हुड्डा और चौटाला सरकार के कार्यकालों में भूमि अधिग्रहण के नोटिस जारी हो जाने के बाद भी भूमि देने के मामलों की जांच का निर्णय लिया गया है। ऐसी करीब 20 हजार एकड़ भूमि है जिसके आबंटन में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ भूमि अनुबंध
आखिर करीब साढे़ तीन वर्ष के बाद रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ भूमि अनुबंध की सचाई का खुलासा होने की उम्मीद जगी है। भाजपा सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस. एन. ढींगरा को वाड्रा-डीएलएफ भूमि सौदे की जांच का जिम्मा सौंपा है। इसके साथ ही सरकार ने गुड़गांव के सेक्टर-83 में 'टाउन एंड कंट्री प्लानिंग' विभाग द्वारा दिए गए सभी व्यावसायिक लाइसेंसों की जांच करवाने का फैसला लिया है।
अनुबंध मामला एवं अधिकारी की रपट
रॉबर्ट वाड्रा मामला गुड़गांव के शिकोहपुर गांव की 3़ 53 एकड़ जमीन से सम्बंधित है, जिसमें तत्कालीन हुड्डा सरकार पर सभी नियमों को ताक पर रखकर सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा। मामले का खुलासा तब हुआ जब अनुबंध को खत्म करने में जल्दबाजी का संदेह हुआ और उसे तत्कालीन निदेशक (चकबंदी) भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अशोक खेमका ने 15 अक्तूबर, 2012 को डीएलएफ का करार रद्द कर दिया। पर तब की सरकार ने अधिकारी के इस फैसले को अनुचित ठहराते हुए खेमका का ही स्थानांतरण कर दिया। खेमका ने अपनी रपट में स्पष्ट किया था कि डीएलएफ को दो बार लाइसेंस देने से इनकार किया जा चुका था, लेकिन जैसे ही वाड्रा की कंपनी इसमें शामिल हुई, उसे लाइसेंस जारी हो गया। इसके बदले में वाड्रा की कंपनी को प्रति एकड़ 15 करोड़ 78 लाख रुपए का प्रीमियम मिला। फरवरी, 2008 में वाड्रा की कंपनी स्काईलाईट हॉस्पिटेलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से शिकोहपुर गांव में 3़ 53 एकड़ भूमि खरीदी थी। 'सेल डीड' में 7.5 करोड़ रुपए के चेक से भुगतान का जिक्र है। उन्होंने कहा कि जो चेक दिया गया यदि उसकी बैंक रपट को देखें तो उस दौरान वाड्रा के बैंक खाते में सौदे से संबंधित पर्याप्त राशि ही नहीं थी जिससे चेक फर्जी होने की पुष्टि होती है। उन्हांेने कहा कि फरवरी में सौदा हुआ और मार्च, 2008 में हरियाणा सरकार के 'डिपार्टमेंट ऑफ टाउन एंड कंट्री प्लानिंग' (डीटीसीपी) से वाड्रा की कंपनी ने व्यावसायिक कॉलोनी का लाइसेंस प्राप्त किया। अगस्त, 2008 में वाड्रा की कंपनी ने यह भूमि 58 करोड़ रुपए में डीएलएफ को बेच दी, जिस पर अप्रैल, 2012 में डीटीसीपी ने डीएलएफ को कॉलोनी का लाइसेंस स्थानांतरित करने की अनुमति दी। गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ अनुबंध से सम्बंधित भूमि खसरा संख्या-730 में है। शुरू में 9 एकड़ भूमि को 21 फरवरी, 2006 में मालिक बदलू राम ने लक्ष्य बिल्डर्स को बेचा, जिसे बाद में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज को बेचा गया। इसी भूखण्ड में से 3़ 53 एकड़ भूमि पर वाड्रा-डीएलएफ अनुबंध हुआ। स्काईलाईट प्रॉपर्टीज के मालिक खुद रॉबर्ट वाड्रा हैं, जबकि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के मालिक सत्यानंद काजी हैं। इसी मामले में तत्कालीन अधिकारी खेमका ने जब आरटीआई के तहत सम्बंधित फाइल की कॉपी मांगी तो फाइल पूरी नहीं थी, उससे कुछ महत्वपूर्ण पृष्ठ गायब थे। उनमें हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान जांच के लिए जो बोर्ड गठित किया गया था और जिसने वाड्रा फर्म को 'क्लीनचिट' देकर सही ठहराया था, उसकी पूरी जानकारी थी। लेकिन अब ये पृष्ठ मिलने की बात कही जा रही है।
महालेखा परीक्षक रपट में खुलासा
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जहां सरकारी खजाने को कर के रूप में एक कौड़ी भी नहीं मिल सकी उसमें बिल्डरों ने 215 करोड़ रुपए की कमाई की है। इसमें रियल एस्टेट से जुड़ी बड़ी कंपनियों को लाभ मिला है। इन कंपनियों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी 'स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड' व 'उप्पल हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड' के नाम भी शामिल है। किसानों से तो जमीन कौडि़यों के भाव पर खरीदी गई, लेकिन मुनाफा कई गुना कमाया गया। नियमानुसार कंपनियों को 15 फीसद से अधिक लाभ पर एक राशि सरकार के पास जमा करवानी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने गुड़गांव के शिकोहपुर गांव की भूमि को मूल लागत से 7़ 73 गुना से भी ज्यादा कीमत पर डीएलएफ यूनिवर्सल को बेचा। तीन कंपनियों-'सन स्टार बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड', 'विटनेस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड' और 'बोटिल ऑयल टूल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' ने 300 से लेकर करीब पौने 900 गुना तक मुनाफा कमाया। उप्पल समूह ने भी मार्च, 2013 में अपनी सहायक कंपनी 'सौम्य रियलटेक' को कई गुना दाम पर यानी 69़ 50 करोड़ रुपए में भूमि बेची।
पंचकुला में14 औद्योगिक भूखण्डों का आबंटन
हुड्डा सरकार के कार्यकाल में पंचकुला के 14 औद्योगिक प्लॉटों के आबंटन में भी प्रश्न चिह्न लगा है। इसमें चहेतों को भूखण्ड देने का आरोप पूर्व मुख्यमंत्री पर लगा है। यह मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। ल्ल
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