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नेपाल में आई दैवीय आपदा में राष्ट्रीय सेवा भारती ने अनेक संगठनों के साथ लगकर रातदिन सेवा कार्य किया है। हमारे कार्यकर्ताओं ने देर न करते हुए नेपाल की पीड़ा को अपनी पीड़ा जैसा समझा और उनके दुख दर्द को बांटने का एक छोटा सा प्रयास किया। अभी भी वहां की स्थिति बड़ी दयनीय है। हमने नेपाल में सड़क,रेल व हवाई मार्ग से सहायता भेजने का कार्य किया है। लेकिन आने वाले समय में पड़ोसी देश में जबरदस्त सहायता की आवश्यकता है और राष्ट्रीय सेवा भारती बराबर इसकी चिंता कर रही है। यह बात गत दिनों दिल्ली में राष्ट्रीय सेवा भारती द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश टोंक ने कहीं। श्री टोंक ने पत्रकारों के सवालांे का जवाब देते हुए कहा कि नेपाल में अपार जन-धन की हानि हुई है। एक अनुमान के अनुसार जो 8 हजार लोगों की मृत्यु की बात सामने आ रही है उससे कई गुना अधिक लगभग 15 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौतें हुई हैं।
काठमांडू समेत नेपाल के विभिन्न भागों में अनेक मठ-मंदिर और पुरातात्विक महत्व की धरोहर धराशायी हो गई हैं। राष्ट्रीय सेवा भारती हिन्दू स्वयंसेवक संघ नेपाल, जन कल्याण प्रतिष्ठान, पशुपति शिक्षा समिति, प्राज्ञिक विद्यार्थी परिषद नेपाल,वि.हि.प.नेपाल, जनजाति कल्याण परिषद नेपाल और सेवा इंटर नेशनल नेपाल के स्वयंसेवक बचाव व राहत के लिए अपने 1600 से अधिक स्वयंसेवकों के साथ बराबर कार्य कर रहे हैं और अभी तक तिरपाल, चावल,अरहर दाल, खाद्य तेल, तंबू, बिस्कुट तैसी 200 टन से अधिक राहत सामग्री वितरित कर चुके हैं। अभी भी सेवा भारती समेत अनेक संगठन बराबर राहत कार्यों में लगे हुए हैं। उन्होंने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि हिन्दू स्वयंसेवक संघ राहत कार्यों को पूरा करने के बाद शीघ्र ही पुनर्वास कार्यक्रम की योजना पर कार्य करेगा। नेपाल के लोग हिम्मत के धनी है। अगर उन्हें थोड़ी सी सहायता मिल जायेगी तो वह आसानी से इस आपदा से निकलकर बाहर आ जाएंगे और अपने घरों को पुन: बसा लेंगे। इस अवसर पर सेवा इंटरनेशनल के सचिव श्री श्याम परांडे भी उपस्थित थे। उन्होंने भी नेपाल में आपदा के समय रहकर जो दु:खद अनुभव महसूस किया उनको पत्रकारों के समक्ष
साक्षा किया। ल्ल प्रतिनिधि
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