|
एक ऐसे व्यक्ति की कल्पना करें, जिनके समर्थकों का मानना हो कि वह देश की राजनीति में साफ-सफाई ला सकता है और वह निर्णय लेने की प्रक्रिया में आम आदमी की भूमिका बढ़ा सकता है।
ल्ल उस व्यक्ति ने मात्र तीन वर्ष में एक दल बनाया और उसे एक बड़ा दल बना डाला।
– तमाम अखबारों की सुर्खियों पर वही व्यक्ति डटा हुआ है।
-पेशे से बेवसाइट बनाने वाला एक व्यक्ति, जो कभी सामने नहीं आता है, उस व्यक्ति के लिए सुनने, समझने और नीतियां-रणनीतियां बनाने का काम करता है।
– पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे उस व्यक्ति के दल को 26 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलते हैं।
– दूसरे दलों और दूसरे दलों के नेताओं को उस व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखने और उसके लिहाज से खुद को ढालने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
– छात्रों के (एक वर्ग के) लिहाज से
वह व्यक्ति उम्मीद की एकमात्र किरण होता है।
– मंदी, बेरोजगारी और गरीबी उस व्यक्ति के पसंदीदा मुद्दे हैं।
– वह व्यक्ति व्यवस्था में पारदर्शिता चाहता है, हालांकि उस व्यक्ति की अपनी नीतियों-रणनीतियों के बारे में जरा भी पारदर्शिता नहीं होती है।
– मिलने-जुलने वाले ज्यादातर लोगों को वह व्यक्ति व्यावहारिक और दृढ़निश्चयी नजर आता है।
– वह व्यक्ति अपने विरोधियों पर बहुत करारा हमला करता है। अपने हर विरोधी को वह किसी न किसी षड्यंत्र का हिस्सा करार
देता है।
– उस व्यक्ति के कुछ बयान इस प्रकार हैं -यह लोकतांत्रिक नाराजगी की जीत है। वे (दूसरे नेता) नाकाम रहे हैं। चाहे वे किसी भी पार्टी के हों़.़ इतने बरसों से वे लोग सत्ता पर काबिज रहे हैं और उन्होंने देश को इस हालात में लाकर खड़ा कर दिया है। ये लोग अब जरा भी नहीं टिक सकेंगे।….एक साल के अंदर हमारा आंदोलन सारी तस्वीर बदल कर रख देगा।….मैं किसी भी दल के साथ न गठबंधन करूंगा।…ना समर्थन दूंगा, ना लूंगा।…मैं सारी पार्टियों को छह महीने का समय देता हूं़.़ हम सरकार का सारा ढांचा पूरी तरह साफ करके रख देंगे।….मैं नेता नहीं हूं, सिर्फ गारंटी दे रहा हूं।…हम युवा हैं (नया दल हैं).़ हमारा कोई ढांचा नहीं है (हमारी पार्टी में) कोई बड़ा या छोटा नहीं है, कोई नेता और कोई सचिव नहीं है, हमें किसी और से आदेश नहीं लेना होता है।….पुरानी पार्टियां खत्म होने जा रही हैं… जो कुछ उन्होंने चुराया है, उन्हें वह लौटाना होगा।…. वे या तो हमारे साथ आएं वरना खत्म हो जाएंगी….
– अगर आपको लगता है कि उपरोक्त बातें अरविंद केजरीवाल के बारे में थीं, तो आप गलती पर हैं। ये सारी बातें इटली में चले 5 स्टार आंदोलन के नेता, ब्लॉगर और हंसोड़ (कमेडियन) बेपे ग्रिलो की हैं।
– जिस जर्मनी की प्रेरणा से बेपे ग्रिलो ने राजनीति की, उस जर्मनी की एक प्रतिष्ठित पत्रिका डेर स्पीगेल इंटरनेशनल ने ग्रिलो को ग्रीन फासिस्ट और यूरोप का सबसे खतरनाक आदमी करार दिया। पहले दांव में 26 प्रतिशत वोट लेकर धूम मचा देने वाले बेपे ग्रिलो अब इटली में मजाक के पात्र हैं। उन पर चुटकुले बनते हैं, चुनावों में उनका अच्छा-खासा सफाया हो चुका है, और अब वह सिर्फ कौतुक की नजर से देखे जाते हैं।
– यह जरा भी आवश्यक नहीं है कि आम आदमी पार्टी या अण्णा का अनशन नाम के प्रयोग वास्तव में इन्हीं में से किसी से प्रेरित हों।
– लेकिन समान परिस्थितियों, समान भोज्य पदाथोंर्, समान तापमान, आर्द्रता और दबाव में समान किस्म के रोगाणु पनपते हैं। और वे किसी अच्छे-खासे स्वस्थ शरीर पर जो असर डालते हैं, उसके लक्षण समान ही होते हैं।
– बाकी इस पर निर्भर करता है कि उस स्वस्थ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसी है।
– और पुन: हम अरविंद केजरीवाल की बात नहीं कर रहे हैं।
टिप्पणियाँ