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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद श्रीलंका ने उन पांच भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया है,जिन्हें 30 अक्तूबर,2014 को कोलंबो उच्च न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई थी। ये पांच मछुआरे हैं-एमरसन, पी.अगस्तस, आर.विल्सन, के.प्रसाद और जे.लैंगलेट। इन पांचों को 2011 में गिरफ्तार किया गया था। इन पर मादक पदार्थों की तस्करी का आरोप था। इनकी सजा की खबर मिलते ही तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। प्रदर्शनकारी तभी से लगातार वहां के कई शहरों में तोड़फोड़ कर रहे थे। इन विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे से बातचीत की और उनसे मछुआरों को जीवनदान देने की अपील की थी। जानकारों का कहना है कि राजपक्षे ने काडमांडू में होने वाले दक्षेस सम्मेलन से पूर्व भारत के इस निवेदन को स्वीकार कर भारत के साथ सम्बंध सुधारने की एक कूटनीतिक पहल की है। उल्लेखनीय है कि भारत और श्रीलंका के बीच कई ऐसे मामले हैं, जिन पर श्रीलंका को भारत से कुछ अपेक्षाएं हंै। अभी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और वहां की ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाने में भारत की बड़ी भूमिका है। श्रीलंका में रेल मार्ग और सड़कों के निर्माण में भारत सहयोग कर रहा है।
कुछ ही समय पहले भारत की मदद से कोलंबो से जाफना तक एक रेलगाड़ी चली है। यह रेलगाड़ी लिट्टे के हमलों के कारण बन्द कर दी गई थी। लगभग तीन दशक तक कोलंबो और जाफना के बीच रेलगाड़ी नहीं चलने से यह पूरा रेल मार्ग खत्म हो गया था। भारत के सहयोग से इस रेल मार्ग को फिर से बनाया गया। श्रीलंका के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के अन्य कार्य भारत के सहयोग से चल रहे हैं। इसलिए श्रीलंका सरकार भारत के साथ ऐसा कुछ नहीं करना चाहेगी जो दोनों देशों के सम्बंधों में दरार पैदा करे। ल्ल
45 वर्ष बाद रूसी रक्षा मंत्री इस्लामाबाद में
वर्षों बाद रूस और पाकिस्तान एक-दूसरे के नजदीक आ रहे हैं। 20 नवम्बर को इस्लामाबाद में रूस के रक्षा मंत्री सर्जेई सोइगु और पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। माना जा रहा है कि रूस लड़ाकू एम.आई. हेलीकॉप्टर पाकिस्तान को बेचने के लिए तैयार हो गया है। लेकिन कुछ ही समय बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की होने वाली भारत यात्रा को देखते हुए रूस ऐसी कोई घोषणा करने से परहेज कर रहा है। 45 वर्ष बाद किसी रूसी रक्षा मंत्री का पाकिस्तान पहंुचना दुनियाभर के मीडिया के लिए एक बड़ी खबर है। इससे पहले 1969 में तत्कालीन सोवियत संघ के रक्षा मंत्री आंद्रे गेच्को पाकिस्तान गए थे। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार रूस ने भारत की अमरीका के साथ बढ़ती नजदीकी से खफा होकर ऐसा किया है। ल्ल
पाकिस्तानी पुचकार से फुफकारते आतंकी
शायद ही कोई ऐसा दिन बीतता होगा जब पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों से जानमाल का नुकसान न होता हो। इसके बावजूद पाकिस्तान कहता है कि 'जो (आतंकवादी) पाकिस्तान के लिए खतरा नहीं हैं, उन पर हमला क्यों करें।' यह बयान दिया है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने। अजीज के इस बयान को तालिबान के हक्कानी गुट से जोड़कर देखा जा रहा है। हक्कानी गुट अफगानिस्तान के उन आतंकवादियों ने बनाया है जो अमरीकी हमले के बाद पाकिस्तान में आए थे। अमरीका चाहता है कि पाकिस्तान इस आतंकवादी गुट के खिलाफ कार्रवाई करे, लेकिन पाकिस्तान इस कार्रवाई से बचना चाहता है। आतंकवादियों को लेकर पाकिस्तान के इस रवैये से पूरी दुनिया हैरान है। इस समय जिहादी आतंकवादी पूरी दुनिया के लिए खतरा बने हुए हैं। आतंकवादियों ने पूरी दुनिया में 2012 में लगभग 10 हजार और 2013 में करीब 18 हजार लोगों को मौत के घाट उतारा है। वहीं 2014 में अब तक 28,800 लोग आतंकवादी घटनाओं में मारे जा चुके हैं। यानी पिछले वर्ष की तुलना में इस संख्या में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ल्ल
सबसे युवा देश भारत
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की एक रपट के अनुसार भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। इस समय भारत में युवाओं की संख्या 35.6 करोड़ है। दूसरे क्रमांक पर चीन है, जहां युवाओं की आबादी 26.9 करोड़ है। इसी रपट के अनुसार इंडोनेशिया में 6.7 करोड़, अमरीका में 6.5 करोड़, पाकिस्तान में 5.9 करोड़, नाइजीरिया में 5.7 करोड़, ब्राजील में 5.1 करोड़ और बंगलादेश में 4.8 करोड़ युवा हंै। '1.8 अरब लोगों की शक्ति' शीर्षक से प्रकाशित इस रपट की दिलचस्प बात यह है कि इसमें कहा गया है कि चीन की जनसंख्या भारत से अधिक होने के बावजूद भारत में युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। रपट में पहली बार दुनिया की बढ़ती जनसंख्या को सकारात्मक रूप में दिखाया गया है। इससे पहले की रपटों में बढ़ती जनसंख्या को विकास के लिए बाधक बताया जाता था। युवा आबादी सबसे अधिक विकासशील देशों में बढ़ रही है। इन देशों के चिन्तकों, विचारकों और कई नेताओं का मानना है कि यदि युवाओं की रुचि के अनुसार उन्हें प्रशिक्षित किया जाए तो ये युवा पूरी दुनिया में कुशल कामगारों की बढ़ती मांग की भरपाई कर सकते हैं। इन युवाओं के जरिए विकासशील देश अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पश्चिमी देशों में बच्चे पैदा न करने का एक चलन चल पड़ा है। इस कारण इन देशों में प्रशिक्षित कामगारों की बड़ी मांग है।
प्रस्तुति : अरुण कुमार सिंह
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