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दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में 12 अक्तूबर को संस्कार भारती द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और शरद-काव्योत्सव 'काव्य-कौमुदी' आयोजित हुआ। इस अवसर पर पद्मभूषण गोपालदास नीरज सहित देश के शीर्षस्थ कवियों ने अपनी काव्य-प्रस्तुति द्वारा उपस्थित श्रोताओं को भारतीय संस्कृति एवं साहित्य से जोड़ने का प्रयास किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में ओज के कवि मनवीर मधुर ने राष्ट्रप्रेम एवं शहीदों को याद करते हुए शानदार काव्य पाठ किया। गोपालदास नीरज की कविता, 'अब तो मजहब भी कोई ऐसा चलाया जाए जिसमें इन्सान को इन्सान बनाया जाए' पर लोगों ने भरपूर तालियां बजाईं।
मशहूर गीतकार एवं गजलकार डॉ. कुंवर बेचैन ने अपने गीत एवं गजल से लोगों में सकारात्मकता का भाव भरने का प्रयास किया। इसके बाद कवि रमेश उपाध्याय 'बांसुरी' और युवा रचनाकार चरणजीत चरण ने श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी। मशहूर शायर मुनव्वर राणा की इन पंक्तियों 'नए कमरे में चीजें पुरानी कौन रखता है, परिंदों के लिए प्याले में पानी कौन रखता है, हमीं थे जो थामे रहे गिरती दीवारों को, वरना सलीके से बुजुगोंर् की निशानी कौन रखता है' ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। जाने-माने गीतकार डॉ. ़विष्णु सक्सेना, ओज के सुविख्यात कवि गजेन्द्र सोलंकी, कवयित्री सीता सागर ने भी अपनी काव्य प्रतिभा का लोहा मनवाया। हास्य के प्रसिद्ध कवि सुरेन्द्र शर्मा ने लोगों को हंसाते-गुदगुदाते हुए गंभीर विषय के साथ कवि सम्मेलन का समापन किया। समारोह को स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का सान्निध्य मिला, जबकि मुख्य अतिथि थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार। अन्य अतिथियों में प्रमुख थे सवार्ेच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आऱ सी़ लाहोटी, रोशनलाल गोरखपुरिया, श्रीमती किरण चोपड़ा आदि। समारोह में डॉ. कुंवर बेचैन को 'गोपालकृष्ण अरोड़ा सम्मान' एवं डॉ. रमेश उपाध्याय 'बांसुरी' को 'माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर सम्मान' से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में काव्य पाठ करने वाले अन्य कवियों में आचार्य देवेन्द्र देव, डॉ. ध्रुवेंद्र भदौरिया, रमेश शर्मा, राजेश चेतन एवं बालकृष्ण बालेन्दु प्रमुख रहे। – प्रतिनिधि
'जेएनयू बन रहा है वैमनस्य का अड्डा'
पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू.) में एक बार फिर से मां दुर्गा का अपमान किया गया। वामपंथी संगठनों से जुड़े जे.एन.यू. के कुछ शिक्षकों और छात्रों ने 'महिषासुर शहादत दिवस' की आड़ में मां दुर्गा के लिए आपत्तिजनक बातें कीं और 'फारवर्ड प्रेस' नामक पि़त्रका में निन्दनीय चित्र प्रकाशित किए गए। इसका विरोध जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के राष्ट्रवादी छात्रों, इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद् और अन्य हिन्दू संगठनों ने जमकर किया। इन छात्रों ने वसंतकंुज थाने में प्रथम सूचना रपट (एफ.आई.आर.) दर्ज कराई।
इसके बाद पुलिस ने नेहरू प्लेस स्थित 'फारवर्ड प्रेस' के कार्यालय को बन्द कर दिया और 5 लोगों को गिरफ्तार किया। हालांकि अब वे लोग जमानत पर बाहर आ गए हैं।
लोगों का कहना है कि कुछ वामपंथियों और उन्मादी तत्वों की वजह से विश्वभर में प्रसिद्ध इस विश्वविद्यालय का माहौल खराब हो रहा है। विद्या के इस मन्दिर में हिन्दू संस्कृति पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है। जे.एन.यू. में होने वालीं हरकतों की निन्दा करते हुए इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद् ने कहा है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अब वैमनस्य का अड्डा बनता जा रहा है।
इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद् के महामंत्री रामकृष्ण श्रीवास्तव ने कहा है कि जे.एन.यू. में कभी मां दुर्गा का सरेआम अपमान होता है, कभी असुरों का महिमा-मण्डन। कभी गो-मांस की पार्टी होती है, तो कभी सूअर मांस की। कभी कश्मीरी अलगाववादियों को सम्मानित किया जाता है, तो कभी नक्सलवादियों को। कभी तिरंगे का अपमान किया जाता है, तो कभी राष्ट्रीय चिन्ह अशोक को जूतों तले रौंदा जाता है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर मजहबी घृणा व उन्मादी वातावरण बनाने का षड्यंत्र रचने वाले तथाकथित विद्यार्थियों व प्राध्यापकों को यह भी समझना चाहिए कि इस अधिकार की भी एक सीमा है जिसका बार-बार अतिक्रमण किया जा रहा है। जब शिक्षा के मंदिर में ही इस प्रकार के अक्षम्य अपराध होंगे तो आखिर हमारी युवा पीढ़ी क्या संस्कार लेकर वहां से निकलेगी?
उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि वातावरण को विषाक्त बनाने वाले विष-धारियों को विश्वविद्यालय से अविलम्ब बाहर करें। -प्रतिनिधि
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