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भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर 16 सितम्बर को नई दिल्ली से जम्मू-कश्मीर के बाढ़ पीडि़तों के लिए राहत सामग्री भेजी। पहली खेप में 8 ट्रकों को रवाना किया गया, जिसमें 1500 कम्बल, 3000 तिरपाल, 14 टन चावल, 9 लाख की दवाइयां एवं अन्य दैनिक उपयोग की चीजें शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि भाजयुमो के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने एक सप्ताह पहले ही देश के युवाओं से बाढ़ पीडि़तों की मदद के लिए अपील की थी। इसके बाद युवा मोर्चा की राज्य एवं जिला इकाइयांे ने पूरी तन्मयता के साथ बाढ़ पीडि़तों के लिए राहत सामग्री एकत्रित की और यह कार्य अभी भी जारी है।
इस अवसर पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आई आपदा देश के युवाओं के लिए एक चुनौती है और युवा मोर्चा की अगुवाई में युवा शक्ति इस चुनौती से निपटने से पीछे नहीं हटेगी। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) रामलाल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन, राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव आदि उपस्थित थे। जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके लौटे डॉ़ हर्षवर्धन ने इस मौके पर बताया कि राहत एवं बचाव कार्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों के स्वास्थ्य की पूरी चिन्ता की जा रही है और चिकित्सकों की टोलियां वहां लगातार भेजी जा रही हैंं।
जम्मू-कश्मीर में बाढ़ पीडि़तों की मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और सेवा भारती के कार्यकर्ता भी दिन-रात कार्य कर रहे हैं। ये कार्यकर्ता पानी कम होने के बाद घरों की सफाई से लेकर बीमार हुए लोगों तक का इलाज करा रहे हैं। ल्ल प्रतिनिधि
ह्यप्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देनी चाहिएह्ण
हिन्दी दिवस के अवसर पर 14 सितम्बर को वाराणसी में बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार ने ह्यभारतीय भाषा सम्मान एवं सूचना क्रांति, भारतीय भाषाएं और पत्रकारिताह्ण विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इसके मुख्य वक्ता थे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव। उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। चरित्र निर्माण के लिए कक्षा सात तक देश के हर बच्चे को अपनी मातृभाषा में शिक्षा मिलनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने जापान और चीन जैसे देशों का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्रारंभ में जापानियों ने अमरीका जाकर अंग्रेजी भाषा सीखी और अमरीका की सारी तकनीकी शिक्षा को अपने यहां ले आए और उसके बाद जापानी भाषा में उस शिक्षा का विकास किया। परिणाम यह हुआ कि बाद में अमरीकी भी उनकी इस बुद्धिमत्ता के आगे नतमस्तक हो गए। चीन में भी इसी तरह मातृभाषा का विकास हो रहा है और वहां के लोग अपनी भाषा के प्रति समर्पित हैं, लेकिन भारत में आजादी के बाद से ही भारतीय भाषाओं के विकास पर ध्यान नही दिया गया, जो दु:ख का विषय है। उन्होंने कहा कि अधिकतर भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत है। अत: हमें भारतीय भाषाओं के साथ संस्कृत को भी पुनर्जीवित करना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दुस्थान समाचार के मार्गदर्शक श्री लक्ष्मी नारायण भाला ने की।
ल्ल प्रतिनिधि
ह्यत्यागवादी है भारत की राष्ट्रीयताह्ण
हिन्दी दिवस के अवसर पर मेरठ में ह्यहिन्दी पत्रकारिता में राष्ट्रवादह्ण विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित हुई। संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि राष्ट्र कोई वाद नहीं है। इसलिए संगोष्ठी के विषय का शीर्षक ह्यहिन्दी पत्रकारिता में राष्ट्रीयताह्ण होना चाहिए। भारत की राष्ट्रीयता को हिन्दू आध्यात्मिकता की देन बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां विविधता में एकता का भाव इस विचार से पनपा है कि सर्वत्र एक ही चेतना व्याप्त है। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीयता भोगवादी नहीं, त्यागवादी है। इसीलिए भारत में राष्ट्र की कल्पना यूरोप से अलग है। भारत की राष्ट्रीयता धर्म आधारित है, जबकि यूरोप में धर्म के लिए कोई शब्द ही नहीं है। भारत की राष्ट्रीयता भारतीय भाषाओं द्वारा ही अभिव्यक्त हो सकती है, बाहर की भाषाओं द्वारा नहीं। वहां उपस्थित छात्रों के एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि हम अंग्रेजी भाषा के गुलाम न बन कर उसके स्वामी बनें, पर गर्व हिन्दी पर ही करें। शिक्षण संस्थान आई.आई.एम.टी. के परिसर में आयोजित इस संगोष्ठी की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष श्री योगेश मोहन ने की। उन्होंने कहा कि हिन्दी और संस्कृत उस संस्कृति की वाहिका हैं, जिसके आकर्षण में बंधे भगवान भारत की धरती की ओर खींचे चले आते हैं, अवतार लेते हैं। इस अवसर पर अनेक लोग उपस्थित थे। ल्ल
वडोदरा में संघ का राहत कार्य
पिछले दिनों गुजरात में भारी बारिश के बाद वडोदरा सहित अनेक नगर-उपनगर जलमग्न हो गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ वडोदरा का पश्चिमी हिस्सा। लगभग दो लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए। सेना की मदद से लोगों तक खाद्य सामग्री पहुंचाई गई। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अन्य सामाजिक संगठनों ने भी राहत कार्य किए। संघ के स्वयंसेवकों ने बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहंुचाने के साथ-साथ उनके लिए अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं। स्वयंसेवकों ने मुसलमान-बहुल इलाकों में भी राहत कार्य किया, जिसकी वहां के लोगों ने बड़ी तारीफ की। -प्रतिनिधि
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