|
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सहारनपुर रेलवे स्टेशन से इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी एजाज शेख को गिरफ्तार किया है, जो कि मूल रूप से महाराष्ट्र के पुणे का रहने वाला और 'आईटी एक्सपर्ट' भी है। सहारनपुर में एजाज का जाना पिछले दिनों वहां हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद नये सदस्यों को आतंकी संगठन में शामिल करने की दृष्टि से जोड़कर भी देखा जा रहा है। उससे गुप्तचर ब्यूरो और राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा पूछताछ की जानी बाकी है।
गुप्त सूचना के आधार गत 5 सितम्बर की रात रेल से मुरादाबाद से सहारनपुर पहंुचे एजाज को गिरफ्तार कर लिया गया था। एजाज गुपचुप तरीके से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों को हवाला के जरिये रकम और सदस्य मुहैया कराता था। उसके पास से काफी मात्रा में पेन ड्राइव, सिम कार्ड, डाटा कार्ड और मोबाइल फोन बरामद किए गए। 2010 में जामा मस्जिद में हुए विदेशी पर्यटकों पर हमले और वाराणसी के शीतलाघाट पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद 'मीडिया हाउस' को एजाज ने ही 'अल अरबी' के नाम से ईमेल भेजने की जिम्मेदारी ली थी। 2010 में हुए जर्मन बेकरी कांड के लिए एजाज ने ही यासीन भटकल को विस्फोटक सामग्री, मोबाइल फोन, सिम कार्ड और भारती विद्यापीठ पुणे में किराये पर कमरा भी मुहैया कराया था। यासीन भटकल के पकड़े जाने के बाद से एजाज को डर था कि कहीं वह उसका खुलासा न कर दे। इसके बाद वह नेपाल भाग गया था।
एजाज आईएम के आतंकियों के लिए फर्जी पहचानपत्र बनाने और उनके ठहरने का बंदोबस्त भी कराता था। एजाज ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह मोहसीन चौधरी का साला है। वह वर्ष 2008 में आईएम से जुड़ा था। बटला हाउस कांड के बाद आईएम के कई 'मॉड्यूल' ध्वस्त होने के बाद मोहसीन, इकबाल और रियाज को गहरा झटका लगा था। इसके बाद वह पाकिस्तान चला गया था और कुछ दिनों तक आईएसआई के संपर्क में भी रहा।
कुछ समय बाद एजाज पाकिस्तान से भारत लौट आया और पर्दे के पीछे रहकर उसने मोहसीन, रियाज और इकबाल के इशारे पर काम करना शुरू कर दिया। एजाज ने मोहसीन के कहने पर ही कम्प्यूटर हार्डवेयर का डिप्लोमा किया था और वह इंटरनेट आदि के इस्तेमाल करने में माहिर था। यही नहीं उसने अपनी सच्चाई छिपाने के लिए और नई-नई तकनीक जानने के लिए पुणे के एक कॉल सेंटर में भी नौकरी की और वहां किसी को शक न हो इस लिए परिवार के साथ रहता था। ल्ल प्रतिनिधि
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को आतंकी बना रहे ठिकाना
पश्चिमी उत्तर प्रदेश आतंकियों के छिपने का ठिकाना बनता जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने सहारनपुर से इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी एजाज शेख को गिरफ्तार किया है। इससे कुछ समय पूर्व ही मेरठ से भी एक आईएसआई एजेंट को उ. प्र. एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। आंतकी एजाज शेख गत 5 सितम्बर को मुरादाबाद से सहारनपुर बिना रोक-टोक रेल से यात्रा करने में सफल रहा जिससे स्पष्ट होता है कि उ. प्र. की पुलिस, जीआरपी एवं आरपीएफ की नजरें उस पर नहीं पड़ीं। सहारनपुर पुलिस के अधिकारियों को मलाल है कि दिल्ली पुलिस चुपचाप आतंकी को गिरफ्तार कर ले गई और उन्हें भनक तक नहीं लगी। यही नहीं दिल्ली पुलिस ने गत शनिवार 6 सितम्बर को जब एजाज शेख की गिरफ्तारी की जानकारी मीडिया को दी तो प्रदेश पुलिस के महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस महानिदेशक आनंद लाल बनर्जी ने जब इस बाबत संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली तो उन्हें खबर तक नहीं थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ जोन के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, गाजियाबाद एवं बुलन्दशहर आदि ऐसे जिले माने जाते हैं, जो कि आतंकियों के शरण लेने के सबसे सुरक्षित स्थान हैं, जहां उनके मजबूत संपकार्ें का जाल फैला हुआ है। इन क्षेत्रों में आतंकवादियों की रणनीति यह रहती है कि वे वहां किसी कार्रवाई को अंजाम न दें केवल उन जगहों का इस्तेमाल वहां शरण लेने तक सीमित रखें। ल्ल सुरेन्द्र सिंघल
सारदा घोटाले में पूर्व पुलिस महानिदेशक मजूमदार गिरफ्तार
सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित सारदा चिट फंड घोटाले में पूर्व पुलिस महानिदेशक व तृणमूल कांग्रेस के नेता रजत मजूमदार को गिरफ्तार किया है। इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तृणमूल कांग्रेस के सांसद अहमद हसन इमरान से भी पूछताछ की गई है।
सारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और तृणमूल कांग्रेस से निलंबित सांसद कुणाल घोष ने रजत मजूमदार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। वह पश्चिम बंगाल में सशस्त्र पुलिस के महानिदेशक रहे थे। आरोप था कि मजूमदार उनसे हर माह 10 लाख रुपए बतौर वेतन लेता था, लेकिन कभी उसका हिसाब नहीं दिया। यह भी आरोप है कि विदेश में हुए एक सम्मेलन के लिए मजूमदार ने उनसे 4 करोड़ रुपये लिए थे। इन्हीं आरोपों को ध्यान में रखते हुए सीबीआई ने गत 9 सितम्बर को मजूमदार से घंटों पूछताछ की थी। इससे पूर्व 14 अगस्त को उसके घर से तलाशी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए थे। सीबीआई को उम्मीद है कि पूर्व पुलिस महानिदेशक से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी। गत 9 सितम्बर को ही तृणमूल कांग्रेस नेता के करीबी आसिफ खान और कुणाल से भी पूछताछ की गई थी। गौरतलब है कि सारदा घोटाले का गत वर्ष खुलासा हुआ था। सारदा समूह पर हजारों निवेशकों को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामले की जांच कर रही सीबीआई अभी तक इस मामले में चार एफआईआर दर्ज कर चुकी है।-प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ