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मुंबई के पुलिस आयुक्त राकेश मारिया को 25 जुलाई को आईएम (इंडियन मुजाहिदीन) की एक धमकी भरी चिट्ठी मिली है। इसमें लिखा गया है कि 'गाजा के लिए हम बदला लेंगे'। इस पत्र के मिलने के बाद से मुंबई में अलर्ट जारी कर दिया गया है, साथ ही दिल्ली पुलिस से भी इस पत्र में लिखी बातों को साझा किया गया है।
जानकारी के मुताबिक 25 जुलाई को मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया के नाम नियंत्रण कक्ष में एक चिट्ठी भेजी गई। उस पर इंडियन मुजाहिदीन के नाम से ही हस्ताक्षर किए गए हैं। चिट्ठी में पुलिस आयुक्त के नाम स्पष्ट किया गया है कि '1993 में आपको मौका मिला था, लेकिन अब की बार मौका नहीं मिलेगा रोक सको तो रोक लो' चिट्ठी में हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का इस्तेमाल किया गया है और आतंकी हमले की चेतावनी दी गई है। मुंबई पुलिस इस चिट्ठी की प्रामाणिकता का पता तो लगा ही रही है, लेकिन साथ ही धमकी को गंभीरता से ले रही है। दरअसल वर्ष 1993 में मारिया पुलिस उपायुक्त के पद पर कार्यरत थे और उस समय उन्होंने सिलसिलेवार विस्फोटों की जांच करते हुए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी लोगों को गिरफ्तार किया था।
पुलिस आयुक्त मारिया ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि मंुबई में त्योहारों के मद्देनजर पहले केविस्फोटग्रस्त क्षेत्रों में पुलिस को विशेष ध्यान देने के लिए आगाह किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक 10 जुलाई को पुणे में हुए कम क्षमता वाले विस्फोट में भी आईएम की संलिप्तता होने के संकेत मिले हैं। एनआईए और पुलिस को पता लगा है कि पाकिस्तान में बैठे आईएम के आकाओं के
इशारे पर भारत में मौजूद आईएम के स्लीपर सेल के बीच बातचीत में पुणे विस्फोट को लेकर इंटरनेट पर हुई बातचीत का कुछ हिस्सा मिला है। पुणे पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज भी हाथ लगा है।
गौरतलब है कि गत 02 जुलाई को कोलकाता पुलिस ने वर्ष 2010 में हुए पुणे विस्फोट में लिप्त एक संदिग्ध आतंकवादी जाहिद हुसैन को गिरफ्तार किया था, जो कि मूलत: बंगलादेश का रहने वाला है। जाहिद आईएम को हथियार और नकली मुद्रा मुहैया कराने का काम करता था। पुणे में मोटरसाइकिल पर किया गया बम धमाका कम तीव्रता वाला जरूर था, लेकिन इसे आतंकी साजिश का ही संकेत माना जा रहा है। खुफिया एजेंसियों की मानें तो यह धमाके से पहले का ट्रायल है। आईएम हमेशा से बड़ी वारदात करने से पहले इस तरह का ट्रायल जरूर करता है।
बहरहाल महाराष्ट्र एटीएस की दस अलग-अलग टीमें मामले की जांच में जुटी हैं। दरअसल मार्च में आईबी की सूचना के आधार पर एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी) की टीम ने पटना रैली सीरियल ब्लास्ट मामले में सिमी और आईएम के जुड़े होने का खुलासा किया था।
हालांकि गृह मंत्रालय के शीर्षस्थ सूत्रों के मुताबिक पुणे में हुए बम धमाके के मद्देनजर किसी आतंकी संगठन ने धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन खुफिया एजेंसियों का मानना है कि आईएम ही इस धमाके के पीछे है, क्योंकि गत 02 जुलाई को ही 'जर्मन बेकरी ब्लास्ट' मामले में फरार चल रहे जाहिद हुसैन को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था।
'आईएम' की भूमिका
इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) एक ऐसा आतंकी संगठन है जो पिछले एक दशक से देश में लगातार सक्रिय है। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हूजी से निकलकर इंडियन मुजाहिदीन का गठन हुआ है। भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कट्टरवादी सोच वाले मुसलमान युवाओं को भड़काकर उन्हें आतंकवादी गतिविधियों का अंजाम देने के लिए नए नाम से एक आतंकी संगठन बनाया गया। इसे नाम दिया गया 'आईएम'। पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई इन तमाम आतंकी संगठनों की सरपरस्त है। सिमी इंडियन मुजाहिदीन के सहयोगी संगठन की भूमिका निभाता है। अगस्त, 2013 में भारत में आईएम के सरगना यासीन भटकल के नेपाल सीमा पर गिरफ्तार होने के बाद माना जा रहा था कि आईएम का भारत में नेटवर्क लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है? लेकिन पुणे में जिस तरह से किए गए विस्फोट में एक सिपाही समेत चार लोग घायल हो गए उससे आशंका जताई जा रही है कि आईएम फिर से किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है।
कैसे बना आईएम
भारत में 90 के दशक में लगातार हो रहे आतंकी हमलों में हर बार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए -तैयबा व हूजी का नाम आता था। इसे लेकर भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाता था और हर बार पाकिस्तान भारत में हुए विस्फोट के लिए दोषी ठहराया जाता था। इस बीच स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी ) ने भी भारत में अपनी जड़ें फैला ली थीं, लेकिन अमरीका में 9/11 के हमले के बाद भारत सरकार द्वारा वर्ष 2001 में सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उसके बाद से आईएम ने तेजी से अपना संगठन पूरे भारत में फैलाना शुरू कर दिया। सबसे पहले कर्नाटक के भटकल इलाके में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए, संगठन को खड़ा करने के लिए एक बैठक की गई। बैठक की अगुवाई भटकल भाइयों रियाज भटकल और इकबाल भटकल (अभी दोनों के पाकिस्तान में होने की सूचना है) ने की थी । इस कोर बैठक में 8 से 10 लोग शामिल थे। इसी बैठक के बाद से आतंकियों ने आईएम नाम का संगठन बनाकर अपनी गतिविधियां भारत में शुरू कर दीं। आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए चार बिग्रेड तैयार की गईं , साउथ, नॉर्थ, वीआईपी और आत्मघाती ब्रिगेड। हालांकि कोर टीम के कुछ सदस्य पूरी तरह से सक्रिय होना नहीं चाहते थे, लिहाजा शुरुआती दौर में आईएम किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे सका। जब यासीन भटकल उर्फ शाहरुख उर्फ अहमद सिद्दी बापा को इंडिया ऑपरेशनल हेड बनाया गया तो आईएम देश के तमाम हिस्सों में फैलता चला गया। नॉर्थ मॉड्यूल की कमान संभालने वाले आतिफ अमीन, जो बाद में बटला हाउस मुठभेड़ में मारा गया था। उसने ताबड़तोड़ आधा दर्जन वारदातों को देश के विभिन्न हिस्सों में अंजाम दिया था। इसके लिए आजमगढ़ के नौजवानों को आतिफ ने अपने मॉड्यूल में शामिल किया था।
2007 में पहली बार आईएम ने ली जिम्मेदारी
23 नवंबर, 2007 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ, फैजाबाद और वाराणसी जिलों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से कुछ पहले एक मीडिया हाउस को ईमेल भेजकर बम धमाकों की जिम्मेदारी ली थी। इन सिलसिलेवार बम धमाकों में 14 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 50 लोग घायल हुए थे। धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट, वाल बेयरिंग और लोहे की कीलों का प्रयोग किया गया था। -राहुल शर्मा/आदित्य भारद्वाज
64 लोगों की मौत हुई थी 13 मई 2008 को जयपुर बम धमाकों में
140 लोग हुए थे घायल, साइकिल का हुआ था इस्तेमाल
26 लोगों की मौत हुई थी 13 जुलाई 2011 को मुंबई में
130 लोग घायल हुए थे ओपेरा हाउस, जावेरी हाउस और दादर वेस्ट में
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