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इराक में अब तक हजारों लोगों को मार देने वाले आई.एस.आई.एस. के जिहादियों ने अल्पसंख्यक ईसाइयों को कहा है कि मुसलमान बनो, वरना इराक छोड़ दो। जो ईसाई ऐसा नहीं करेंगे उनसे जजिया कर वसूला जाएगा। जो ईसाई जजिया कर नहीं देंगे उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा। इस धमकी के बाद आई.एस.आई.एस. के कब्जे वाले मोसुल शहर से सैकड़ों ईसाई परिवार पलायन कर गए हैं। खाली हुए ईसाइयों के घरों पर जिहादियों ने कब्जा भी जमा लिया है। जिहादियों के इस कदम का इराक के प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी, संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान-की-मून और पोप ने विरोध किया है। इसके बावजूद जिहादियों ने अपने कब्जे वाले हिस्सों से ईसाइयों को भगाना जारी रखा है।
जिहादियों के इस कारनामे से संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् भी चिन्तित है। सुरक्षा परिषद् ने एक प्रस्ताव पारित कर जिहादियों को चेतावनी दी है कि वे अल्पसंख्यक ईसाइयों के साथ ऐसा न करें। किसी व्यक्ति पर उसके मजहब के आधार पर हमला करना मानवता के विरुद्ध अपराध है। सुरक्षा परिषद् ने इराक सरकार से मांग की है कि जो ईसाई विस्थापन को मजबूर हो रहे हैं उनके लिए हर तरह का इंतजाम करे। विश्वव्यापी निन्दा के बाद भी जिहादी टस से मस नहीं हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस समय इराक में लगभग साढ़े चार लाख ईसाई रहते हैं। इराक में अमरीकी हमले से पहले वहां दस लाख से भी अधिक ईसाई रहते थे। अमरीकी हमले के बाद ईसाइयों और उनके पूजा स्थलों को कट्टरवादियों ने अपने निशाने पर ले लिया था। कट्टरवादियों का कहना है कि ईसाई पश्चिमी देशों के प्रति निष्ठा रखते हैं। इस कारण इराक में पिछले दस वर्ष के अन्दर अनेक चर्च ढहाए गए हैं और लाखों ईसाइयों को इराक से भगाया गया है।
इराक से आई उस खबर ने पूरे यूरोप को सकते में डाल दिया है, जिसके अनुसार पिछले दिनों मोसुल शहर में आत्मघाती हमला करने वाला जिहादी मेलबोर्न का था। इससे साफ है कि इराक में यूरोप के मुसलमान युवक भी जिहाद कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यूरोपीय देशों में बड़ी संख्या में एशियाई देशों के लोग बस रहे हैं। यूरोपीय देशों में जन संसाधन की कमी से एशियाई देशों के लोगों को आसानी से काम मिल जाता है। इस कारण यूरोपीय देशों में एशियाई देशों के लोगों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इस जनसंख्या में मुसलमानों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। कुछ वर्ष पहले यूरोपीय देशों में दंगे हुए थे। उस समय लोगों का कहना था कि इन दंगों में प्रवासी मुसलमानों का हाथ है। अब ये लोग जिहाद भी कर
रहे हैं। आश्चर्य है कि जिहादियों की इन करतूतों पर पूरा इस्लामी जगत चुप है। गाजा पट्टी पर इस्रायली हमले के विरोध में दुनियाभर में मुसलमान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत की सेकुलर जमात तो संसद में इस्रायल के विरुद्ध प्रस्ताव पारित करवाना चाहती है, लेकिन सरकार ने उनकी मांग को खारिज कर दिया है। ल्ल
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