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पिछले दिनों यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने कहा है कि फ्रांस में बुर्का पहनने पर लगाया गया प्रतिबंध सही है। इसका अर्थ यह हुआ कि अब फ्रांस में कोई भी महिला या पुरुष चेहरा ढककर सार्वजनिक स्थान पर नहीं जा सकता है। उल्लेखनीय है कि 2010 में फ्रांस सरकार ने एक कानून बनाया था,जिसके अनुसार कोई भी महिला या पुरुष सार्वजनिक स्थान पर बुर्का पहन कर नहीं जा सकता। इसका उल्लंघन करने वाले पर 150 यूरो का जुर्माना लगाया जाता है। तत्काल प्रभाव से इस कानून को लागू भी कर दिया गया था। यह प्रतिबंध उन लोगों पर लागू नहीं होता है,जो बीमार हैं,जो अपने किसी मजहबी कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं या मोटर साइकिल या स्कूटर चला रहे हैं। इसके खिलाफ फ्रांस के कई मुस्लिम संगठनों ने आवाज उठाई थी। कुछ लोगों ने न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। फ्रांसीसी अदालतों ने सरकार के इस कदम को सही ठहराया था। इसके बाद फ्रांस की एक मुस्लिम महिला ने यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय में इस कानून को चुनौती दी थी। 24 वर्षीया उस महिला का कहना था कि सार्वजनिक स्थलों पर बुर्के पर प्रतिबंध उसकी मजहबी तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है, लेकिन अदालत ने उसके तर्क को नहीं माना। अब इस मामले को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है,क्योंकि मानवाधिकार न्यायालय का निर्णय अन्तिम होता है। उल्लेखनीय है कि यूरोप में फ्रांस ऐसा पहला देश है,जिसने सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहन कर जाने पर प्रतिबंध लगाया है। 2011 में बेल्जियम ने भी ऐसा कानून बनाया है।
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