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हरियाणा में गो तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है। इस घिनौने कार्य में जहां गो तस्कर चालाकी से अपने कार्य को अंजाम देने में जुटे हैं। वहीं पुलिस की मिलीभगत व संलिप्तता भी उजागर होने लगी है। प्रदेश के करनाल में इस साल जनवरी में ऐसे 10 पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ तो मामला दर्ज किया गया है, लेकिन हर जिले में ऐसे अनेक पुलिस कर्मचारी अभी भी खुले घूम रहे हैं, जो आए दिन गो तस्करों के साथ लेन-देन करके इस तस्करी में भागीदार बने हैं।
इन सबके बावजूद हिन्दू संगठनों एवं गो रक्षा दल के ऐसे सैंकडों युवक तैनात हैं, जो अपनी जान पर खेलकर और निजी कार्यों को दरकिनार कर गो सेवा में जुटे हैं। ये तस्करों की धरपकड़ के लिए न केवल प्रशासन को सहयोग कर रहे हैं, बल्कि स्वयं भी पीछा करने में जुटे हैं। यही नहीं हर कोने में गो तस्करी के खिलाफ लोगों में रोष पनपने लगा है। इसके चलते कई बार तस्करों के वाहनों को निशाना बनाया गया और चेतावनी दी गई यदि वे तस्करी से बाज नहीं आए तो उन्हें उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उधर प्रदेश के लोगों का कहना है कि हरियाणा की हुड्डा सरकार न केवल गोचरान भूमि खाली कराने में नाकाम रही है, बल्कि वह कांग्रेस की कुनीतियों को आगे बढ़ाते हुए पशु सरंक्षण के लिए काम न करके बूचड़खाने खोलने का काम कर रही है। एक दैनिक समाचार पत्र ने जब गो तस्करी को लेकर बनाए गए कानून पर जनमत जाना तो 80 प्रतिशत लोगों ने इसे नाकाफी बताया और सख्त से सख्त कानून बनाने की मांग की। वहीं 78 प्रतिशत लोगों ने गो तस्करी रोकने के लिए पुलिस द्वारा की जा रही कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा किया।
प्रदेश सरकार की गो धन विरोधी नीतियों से न केवल पशु संख्या घट रही है, इससे सरंक्षण एवं संवर्धन भी हाशिए पर जा रहा है। सरकार न तो गोचरान भूमि खाली कराने की ओर कदम बढ़ा रही है और न ही गोशालाओं में रह रहे पशुओं की ओर कोई ध्यान दिया जा रहा है। इसके चलते हजारों बेजुबान गोवंशज आज सड़कों पर भटकने को मजबूर हैं। गो तस्करों का हांैसला इतना बढ़ गया है कि वे न आवारा बना दिए गए पशुओं को निशाना बनाते हैं, बल्कि ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जब उन्होंने गोशालाओं में भी हमला किया और पशुओं को निकाल ले गए। पुलिस आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में हर साल पशु तस्करी के 600 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। वर्ष 2014 में पशु तस्करी के 754 मामले दर्ज किए गए, 992 पशु तस्करों को गोभक्तों की मदद से पकड़ा गया। सूत्रों की मानें तो हर साल 10 हजार से अधिक गोवंशों क ी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के बूचड़खानों में हलाल करने के लिए आपूर्ति की जाती है और लाखों वंशज तस्करी में हलाल हो जाते हैं। गोभक्तों में इसी बात को लेकर हुड्डा सरकार के प्रति रोष व्याप्त है कि सरकार की कमजोरी से प्रशासन नाकाम बना हुआ है और आए दिन गोवंशजों की निर्मम हत्या की जा रही है। देखें तो यमुनानगर करनाल, जींद, फरीदाबाद, मेवात, फतेहबाद सहित ऐसे अनेक स्थान हैं जहां आए दिन तस्करी को अंजाम दिया जाता है। वहीं पशुओं के साथ बैलगाड़ी में गुजरते कई बागडि़यों को भी संदेह के अंतर्गत देखा जा रहा है। गोभक्त प्रवेश कुमार, सुनील भट्ट, रामधनी भारद्वाज, प्रदीप सहगल, विजयपाल चौहान ने कहा कि गोतस्करों पर सख्त प्रावधान के अंतर्गत मामला दर्ज हो और उन्हें जमानत न देकर सख्त से सख्त सजा दी जाए। उन्होंने खेद जताया कि पशु क्रूरता के अंतर्गत जो पशु तस्कर पकड़े जाते हैं, उन्हें गवाहों की कमजोरी के कारण आसानी से जमानत ही नहीं मिलती, बल्कि पशु ले जाने की सुपुर्ददारी भी मिल जाती है। उधर संत गोपाल दास ने कहा कि उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा फिर से धोखा दिया गया है। फरीदाबाद में हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा इस यांत्रिक पशु बूचड़खाने की जगह एक पशु चिकित्सालय एवं आवारा पशुओं के लिए गो सदन खोलने की घोषणा किये जाने के बावजूद यह घोषणा अमल में नहीं लाई गई। बाद में उन्हें जबरन एम्स मंे भर्ती करवा दिया गया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अस्पताल से वापस फरीदाबाद जाने की कोशिश की तो उन्हें अधिकारियों द्वारा एक फरमान थमा दिया गया जिसके मुताबिक वे 2 महीने तक फरीदाबाद में प्रवेश नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि एक सत्याग्रह आंदोलन को दबाने की यह सरकार का निरंकुश एवं बर्बर षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि गोचरान आंदोलन को दबाने के लिए यह बूचड़खाना खोला जा रहा है जिससे गोवंश की समाप्ति के बाद सरकार को लिए यह बहाना मिल जायेगा कि जब हरियाणा में जब गो ही नहीं बची तो यह गोचरान आंदोलन की क्या जरूरत है। संत गोपाल दास ने कहा कि हरियाणा में प्रति 1000 मनुष्यों पर आज केवल 28 पशु बचे हैं। इससे लोग नकली दूध पीने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि इस बूचड़खाने को फौरन बंद करवाया जाये।
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