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.उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी को ट्रांजिट रूट बनाकर नेपाल व बिहार से महिला व बच्चों की तस्करी की जा रही है। हालत यह है कि बरामद होने पर युवती व किशोरियों को सामाजिक कलंक के कारण उनके घर वाले तक स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इस वजह से ये दोबारा घर छोड़ने को मजबूर हो जाती हैं।
बीती 22 जनवरी को जलपाइगुड़ी जिला परिषद में ह्यजिला चाइल्ड प्रोटेक्शन सोसायटीह्ण की ओर से ह्यनारी व शिशु तस्करीह्ण पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारी और जलपाइगुड़ी के पुलिस उपाधीक्षक अनिरुद्ध ठाकुर(अपराध) भी उपस्थित थे। सोसायटी के संयोजक सौभीक बोस ने कहा कि स्वीकृत वेश्यालय के अलावा शहरों के बहुमंजिल फ्लैटों में चोरी-छिपे देह व्यापार का व्यवसाय धड़ल्ले से चल रहा है। युवती व किशोरियों के माध्यम से मसाज पार्लरों व होटलों के कमरों में देह व्यापार का कारोबार कराया जा रहा है। दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, हैदराबाद व बेंगलूरू की तरह ही शहर में लगातार व्यवसाय बढ़ रहा है। इसके साथ ही शिशु व नारी की तस्करी की घटनाएं बढ़ गई हैं। पश्चिम बंगाल के विशेष रूप से जलपाइगुड़ी, मालदा, दार्जिलिंग, उत्तर व दक्षिण 24 परगना से 10-14 वर्ष की बच्चियों की तस्करी हो रही है।
इस अवसर पर पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि तस्करी को रोकने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और विचार विभाग को तालमेल से कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि जलपाइगुड़ी जिले के चायबागान और सीमावर्ती इलाकों में काफी बड़े पैमाने पर तस्करी हो रही है। पिछले एक साल में जिले में 181 महिलाएं व बच्चों की तस्करी दर्ज हो चुकी है। इनमें से 66 मामले सुलझे हैं। उन्होंने कहा कि किशोरियों के बरामद होने के बाद भी पुलिस को समस्याओं को सामना करना पड़ा है। राज्य महिला आयोग के उत्तर बंगाल की सदस्या ज्योत्सना अग्रवाल ने कहा कि घर छोड़ने वाली किशोरियों से दार्जिलिंग के कुछ होटलों में देह व्यापार कराया जा रहा है। पुलिस को सूचित करने के बाद कई लड़कियों को बरामद कर लिया। सम्मेलन में जिले के अतिरिक्त जिलाधिकारी अमियास शेरिंग ने कहा कि प्रशासन, स्वयंसेवी संगठनों क मिलकर तस्करी के खिलाफ कार्य करना होगा।
बासुदेब पाल, सिलीगुड़ी
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