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तिरुअनन्तपुjम से प्रदीप कृष्णन
टीपी. चन्द्रशेखरन हत्या मामले में अदालत के फैसले ने माकपा के फासिस्ट और स्टालिनवादी चेहरे को एक बार फिर से उजागर कर दिया। केरल में रा.स्व.संघ और भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं की हत्या में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाने वाली पार्टी को कालीकट सत्र न्यायालय ने हिंसक हत्या में संलिप्तता का दोषी पाया है।
22 जनवरी को फैसला सुनाते हुए अदालत ने 3 माकपा नेताओं सहित 12 लोगों को माकपा के विद्रोही नेता चन्द्रशेखरन की हत्या में दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा दी है। ये तीन माकपा नेता पार्टी की कण्णूर इकाई के हैं। न्यायाधीश नारायण पिशारोड़ी ने माना कि अपराध के पीछे उद्देश्य विशुद्ध रूप से राजनीतिक था।
51 वर्षीय चन्द्रशेखरन, जिन्होंने रिवोल्यूशनरी मार्कसिस्ट पार्टी बनाई थी, माकपा की जनविरोधी गतिविधियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। 4 मई 2012 को जब वे मोटर साईिकल से घर लौट रहे थे तब हत्यारों ने उन पर 51 घातक वार किए थे।
कोझीकोड जिले और आसपास लोकप्रिय चन्द्रशेखरन ने माकपा से सीधी टक्कर ली थी। पार्टी ने उन्हें 2008 में निष्कासित कर दिया था। पार्टी के राज्य सचिव पिनरई विजयन ने चन्द्रशेखरन को सार्वजनिक रूप से बुरा भला कहा था। चन्द्रशेखरन की पत्नी के. के. रेमा ने कहा है कि माकपा इस सबसे खुद को अलग नहीं दिखा सकती भले ही पार्टी के 2-3 नेताओं को छोड़ दिया गया हो। 3 बड़े नेताओं को दोषी पाया गया है, इसलिए वह कैसे कह सकते हैं कि इस हत्या में उनकी कोई भूमिका नहीं थी? रेमा अब इसके पीछे के षड्यंत्र की जांच के लिए सी.बी.आई. की दखल चाहती हैं। उनका कहना है कि यह सारा काण्ड पार्टी के शीर्ष नेताओं की जानकारी के बिना नहीं हुआ होगा।
हालांकि राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अच्युतानंदन ने फैसले का स्वागत करते हुए सी.बी.आई. जांच की मांग का समर्थन किया है, लेकिन पिनरई विजयन का कहना है कि पार्टी को इस हत्या काण्ड से जोड़ने की साजिश रची जा रही है।
भाड़े के 7 हत्यारों के साथ की स्थानीय माकपा नेताओं को सजा होना लोकसभा चुनाव में वाममोर्चे की सम्भावनाओं को निश्चित रूप से नुकसान पहुंचाएगा। हत्याकाण्ड में शुरुआत से ही शक की सुई माकपा पर थी, क्योंकि चन्द्रशेखरन पार्टी के पूर्व सदस्य थे और उन्होंने नेतृत्व से अलग हटते हुए कोझीकोड जिले में अपने इलाके में एक अलग कम्युनिस्ट पार्टी बना कर पार्टी के बड़े नेताओं को खुली चुनौती दी थी। चन्द्रशेखरन ने अपने साथियों और राज्य सरकार को बताया था कि उनकी हत्या की जा सकती है। और आखिरकार उनकी हत्या हो गई। राज्य में भाजपा के समर्थन में साफतौर पर एक सर्वे ने बताया है कि वाममोर्चे का 9 प्रतिशत समर्थन कट चुका है। और भाजपा के प्रति समर्थन 2009 में 6 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत तक जा पहुंचा है।
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