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हत्या का मामला होगा वापस
राष्ट्रीय जांच एजेंसी को नहीं मिला कोई ठोस साक्ष्य
बहुचर्चित सुनील जोशी की हत्या मामले में 6साल बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने माना है कि मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सहित अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर गलती की थी। एनआईए का मानना है कि सुनील जोशी हत्याकांड में मध्य प्रदेश पुलिस ने गलत लोगों को गिरफ्तार किया है। एनआईए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, आनंद राज कटारिया और रामचन्द्रन पटेल पर हत्या का मामला वापस लेने के लिए विशेष अदालत में आवदेन भी करेगी। इससे माना जा रहा है कि जल्द ही साध्वी प्रज्ञा इस मामले में मुक्त हो जाएंगी। वह इस समय जेल में बंद हैं, जबकि परमार, कटारिया और पटेल जमानत पर रिहा हो चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश पुलिस ने वर्ष 2011 में सुनील जोशी हत्याकांड में साध्वी प्रज्ञा, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, आनंद राज कटारिया और रामचन्द्रन पटेल को आरोपी बनाकर चार्जशीट दाखिल की थी। बताया गया है कि निजी शत्रुता के चलते इनकी हत्या की गई थी। एनआईए की जांच में उपरोक्त नामों से से किसी को भी हत्या में शामिल नहीं पाया गया। जोशी की देवास में 29 दिसंबर, 2007 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। एनआईए की जांच के मुताबिक जोशी की हत्या लोकेश शर्मा और राजेंद्र पहलवान ने की थी, जो समझौता ब्लास्ट में आरोपी हैं। सूत्रों के मुताबिक इस हत्याकांड में इन दोनों की मदद दिलीप जगताप और जितेंद्र शर्मा नामक दो लोगों ने की थी। अभी ये चारों गिरफ्तार हैं। जितेंद्र को हाल ही में मध्य प्रदेश के महू से गिरफ्तार किया गया है। इसी गिरफ्तारी के बाद एनआईए ने दावा किया कि मामले में जांच पूरी हो गई है।
एनआईए सूत्रों के मुताबिक इन लोगों को इस बात का डर था कि जोशी समझौता बम धमाके में इनकी मिलीभगत का भंडाफोड़ कर देंगे। बताया जाता है कि लोकेश और राजेंद्र का जोशी से रुपयों के लेन-देन का भी विवाद था। एनआईए ने इन चारों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय की मंजूरी मांगी है। मंजूरी मिलने के बाद ही इस मामले में चार्जशीट फाइल की जाएगी। जांच एजेंसी हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियारों की फोरेंसिक रपट पर भी गौर कर रही है।
साध्वी ने स्वयं को बताया था निर्दोष
साध्वी प्रज्ञा जोशी हत्याकांड के बाद से लगातार अपना पक्ष रखकर कह रहीं थीं कि वे निर्दोष हैं, लेकिन केन्द्र सरकार की हठधर्मिता की वजह से पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। उल्टा 'भगवा आतंकवाद' की दलील देकर उन्हें जेल से छूटने तक नहीं दिया गया। गंभीर बीमारियों की वजह से लगातार बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर भी उन्हें कोई राहत नहीं दी गई। पिछले 6 वर्षों में लगातार उनका स्वास्थ्य गिरता रहा और उनकी परेशानियां बढ़ती चली गईं और अब वह पांव से चल भी नहीं पाती हैं। अदालत में सुनवाई के दौरान भी उन्हें व्हील चेयर पर लाया जाता है। इसके बावजूद साधु-संतों पर आरोप मढ़ने वाली संप्रग सरकार अपने पक्षपातपूर्ण रवैये को छोड़ने को तैयार नहीं है। अब साध्वी प्रज्ञा को संबंधित मामले में एनआईए ने स्वयं कोई साक्ष्य नहीं मिलने के संकेत दिए हैं। वहीं दुर्भावना से ग्रस्त केन्द्र सरकार हिन्दू साधु-संतों को झूठे मामलों में फंसाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है।
प्रतिनिधि
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