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अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्म भूमि-बाबरी विवाद का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान निकालने के नाम पर चल रहे हस्ताक्षर अभियान को मुस्लिम समुदाय के असहयोग से करारा झटका लगा है।
अभियान के 4 सूत्री प्रस्ताव पर मुस्लिम समुदाय की सहमति न मिल पाने के कारण 10 हजार हस्ताक्षरों को रविवार को अधिग्रहित परिसर के अभियोग के तहत मामले के प्रबंधक (रिसीवर) और फैजाबाद के आयुक्त को नहीं सौंपा जा सका है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पुलोक बसु अयोध्या विवाद के ह्यसौहार्दपूर्णह्ण समाधान के लिए पिछले ढाई वर्षों से प्रयासरत हैं। उनके संयोजन में पिछले छह महीने से चल रहे हस्ताक्षर अभियान में मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सादिक अली उर्फ बाबू खां ने 29 दिसम्बर को तुलसी स्मारक भवन में हुई समाधान समिति की बैठक में ही मुस्लिम समुदाय के अधिकांश लोगों द्वारा शामिल नहीं होने पर दुख: जताया।
न्यायमूर्ति बसु मंदिर-मस्जिद विवाद के सभी पक्षों से कई बार मिलकर वे उनसे सहयोग की मांग भी कर चुके हैं। बाबरी ढांचे के वादी हाशिम अंसारी व हाजी महबूब, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, निर्मोही अखाड़ा के वकील आर. एल. वर्मा से लगातार चर्चा के बाद इस तरह मुस्लिम समुदाय के हाथ खड़ा करने से उनकी कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। समाधान समिति की अगली बैठक आगामी 8 फरवरी को बुलाई गई है। समाधान समिति के प्रवक्ता ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि हस्ताक्षर अभियान के एक बिंदु पर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों की असहमति सामने आई है। इससे प्रयासों में बाधा जरूर आई है, लेकिन आगे भी प्रयास जारी रहेंगे।
प्रतिनिधि
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