कर्नाटक में मन्दिरों पर कब्जे की सरकारी साजिश
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वक्फ बोर्ड सूचना के अधिकार से बाहर क्यों?
हिन्दू धर्म, हिन्दू धर्म स्थलों को अपमानित और प्रताडि़त करने में लगी है संप्रग सरकार।
कर्नाटक की सरकार ने हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों पर सरकारी अतिक्रमण कर उसमें हस्तक्षेप की तैयारी की।
गत दिनों कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम तुष्टीकरण व ईसाइयों को खुश करने के लिए प्रदेश के 77000 मन्दिरों को सूचना के अधिकार के तहत लाने का निर्णय लिया है। कर्नाटक सरकार ने मन्दिरों को ह्यबह्ण और ह्यसह्ण की श्रेणी में बांटा है। ह्यरिलीजियस इंडोब्मेन्ट डिर्पाटमेन्टह्ण के अनुसार प्रदेश के कुछ मन्दिरों को पहले ही ह्यअह्ण श्रेणी में सूचना के अधिकार के तहत लिया जा चुका है। सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी मन्दिरों में जनसूचना अधिकारी की नियुक्ति की जाए एवं मन्दिरों में पुजारियों की नियुक्ति कैसे होती है एवं उनके क्या पैमाने हैं,चढ़ावे का पूरा ब्योरा, मन्दिर की आय-व्यय के विषय में जानकारी एवं पुजारी को प्रति महीने कितना पैसा दिया जाता है सभी कुछ संरक्षित कर सूचना के अधिकार के तहत मांगे जाने पर प्रार्थी को उपलब्ध करानी होंगी। सूचना का अधिकार कानून-2005 के तहत राज्य सरकार जिन स्थानों को सूचना के अधिकार के तहत अपने अधिकार क्षेत्र में लेती है उन्हें केन्द्रीय सूचना आयोग के निर्णय के अनुसार संबंधित संस्थान सूचना देने के लिए बाध्य हो जाता है और सूचना न देने पर उस संस्थान के विरुद्घ कार्यवाही की जाती है।
उल्लेखनीय है कि लम्बे समय से केन्द्र और प्रदेशों की कांग्रेस सरकारें हिन्दू मन्दिरों पर अपनी नजर गढ़ाये हुए हैं। मन्दिरों पर चढ़ने वाले चढ़ावे को किस प्रकार हथियाकर उसका दुरुपयोग किया जाए एवं मन्दिरों को सरकारी नियंत्रण में कैसे लिया जाए, इसके लिए कांग्रेस सरकारें नित नए प्रयास करती रहती हंै। कर्नाटक की कांंग्रेस सरकार ने मन्दिरों को सूचना के अधिकार के तहत लाकर ऐसा ही कार्य किया है। मन्दिरों में यह कानून लागू हो जाने से कई समस्याएं उत्पन्न होंगी,साथ ही सरकार का पूरा प्रयास यह है कि किस प्रकार हिन्दुओं के धर्मस्थलों पर सरकारी दादागीरी थोपी जाए । सरकार की मंशा साफ है कि वह इस कानून की आड़ में मन्दिरों पर चढ़ने वाले चढ़ावे को जानकर भविष्य में उस धन का दुरुपयोग करने के उपाय खोज सकेगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह प्रक्रिया मंदिरों के लिए ही क्यों अपनाई गई है, इसे वक्फ बोर्ड पर लागू क्यों नहीं किया गया? जबकि कर्नाटक में ईसाइयों व मुस्लिमों की संख्या भी बहुतायत में है तो उनके चर्च व मस्जिदें भी प्रदेश में काफी मात्रा में होगीं। लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने इन मजहबी स्थलों को इस कानून के तहत शामिल नहीं किया है। सूत्रों की माने तो इन लोगों को अल्पसंख्यक बताकर इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाता है, लेकिन मंदिरों को विशेष रणनीति अपनाकर इस दायरे में लाया जाता है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों पर सरकारी अतिक्रमण कर उसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है साथ ही संप्रग सरकार संविधान के मूलमंत्र धर्मनिरपेक्ष की बात तो करती है, लेकिन इसके विपरीत वह सदैव हिन्दू धर्म, हिन्दू धर्म स्थलों को अपमानित और प्रताडि़त करने में लगी रहती है।
इस पूरे प्रकरण पर विहिप के केन्द्रीय मन्त्री श्री कोटेश्वर शर्मा ने कहा कि कर्नाटक की सरकार हिन्दुओं के साथ दोहरा रवैया अपना रही है। अगर उसने प्रदेश के मन्दिरों को सूचना के अधिकार के तहत लिया है तो वक्फ बोर्ड को भी इस कानून के तहत लेना था, क्योंकि सरकार वक्फ बोर्ड को भी अनुदान देती है इसलिए सरकार को चाहिए था कि वह वक्फ बोर्ड को भी उसमें शामिल करती ताकि लोग उससे भी जुड़ी सूचना प्राप्त कर सकते।
कर्नाटक में ईसाई मिशनरियों के मतान्तरण कार्य को हवा देने के लिए 15 जनवरी को 4 दिन के प्रवास पर बंेगलूरू आ रहे ईसाई करण में लगे अमरीकी बेनी हिन का विश्व हिन्दू परिषद ने विरोध किया है। विहिप ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार से मांग की है कि बेनी हिन को बेंगलूरू आने पर तुरन्त गिरफ्तार किया जाए क्योंकि वे यहां आकर सिर्फ लोगों की भावनाओं को ठेस ही नहीं पहंुचाते बल्कि लोगों को लालच व चकाचौंध दिखा कर मतान्तरित करने का प्रयास करते हैं। उल्लेखनीय है कि अमरीकी मिशनरी प्रचारक बेनी हिन 2005 में भी बंेगलूरू आये थे,तब हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने उनके कार्यक्रमों के विरुद्घ प्रदर्शन किये थे।
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