भगवाध्वज को बांधा रक्षा सूत्र
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भारत में रक्षा बंधन की परम्परा अनादिकाल से है। इस अवसर पर ऋषि-मुनि व सन्त परम्परा, संस्कृति, धर्म, राष्ट्र व समाज की रक्षा के लिए संकल्प लेते थे। वह परम्परा आज भी कायम है। इस बंधन को भाई-बहनों के प्रेम का बंधन भी कहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि आज इस त्योहार को भी भौतिकवाद से जोड़ दिया गया है। देश में त्योहारों को भौतिकवाद से जोड़ने का एक षड्यंत्र चल रहा है। इस बंधन को एक धारा उस ओर मोड़ना चाहती है, जिसे ‘गिफ्ट’ की दुनिया कह सकते हैं। इस दुनिया में जीने वाले लोग भौतिकता से भरे हुए माहौल में जी रहे हैं।
उक्त बातें 21अगस्त को इलाहाबाद में प्रयाग संगीत समिति में आयोजित ‘रक्षा बंधन उत्सव’ में संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख राममाधव ने कहीं। उन्होंने कहा कि रक्षासूत्र हमारी सामाजिक समरसता का दिवस है। देश की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आज देश को एक नयी सोच व नयी दिशा देने वाले नेतृत्व की आवश्यकता है। हमारा देश कमजोर नहीं है, हमारा नेतृत्व कमजोर है। अब इसे बदलने का समय आ गया है। देश के सामने कमजोर नेतृत्व बदलने का विकल्प भी तैयार है। अब आवश्यकता है कि हम सभी उस दिशा में प्रयास करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती ने कहा कि सृष्टि का जो क्रम है अगर उसका हम सब ध्यान रखें तो सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। लेकिन आज समाज में राग द्वेष फैलाया जा रहा है, समाज को तोड़ने का षड्यंत्र चल रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र भगवाध्वज को पू. ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती, मुख्य अतिथि राममाधव के साथ अन्य अतिथियों ने ‘रक्षासूत्र’ बांधकर की। इस अवसर पर भारी संख्या में नगरवासी मौजूद थे।
स्वामी विवेकानंद संदेश यात्रा का शुभारम्भ पूर्ण श्रद्घा, हर्षोल्लास एवं उत्साह के साथ तीन स्थानों पर हुआ। स्वामी विवेकानंद के आह्वान (भारत जागो-विश्व जगाओ) के साथ यह यात्राएं भारत-पाकिस्तान सीमा वाघा (अटारी), हुसैनीवाला और चंडीगढ़ से शुरू हुई। पूरे पंजाब में युवाओं को स्वामी विवेकानंद का संदेश देती हुई यह यात्राएं क्रमश: जालन्धर, बठिंडा एवं लुधियाना में संपन्न होंगी।
यह संदेश यात्रा देशभर में इस वर्ष मनाए जा रहे स्वामी विवेकानंद सार्द्घशती समारोह के अंतर्गत युवा जागरण के उद्देश्य से निकाली गई। प्रत्येक यात्रा में संदेश रथ के अतिरिक्त स्वामी विवेकानंद साहित्य रथ, प्रदर्शनियां और भारी संख्या में युवाओं की टोलियां चलीं। यात्रा का आयोजन स्वामी विवेकानंद सार्द्घशती समारोह समिति पंजाब ने किया है। इस यात्रा के प्रमुख वक्ताओं में ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा, पूर्व आई़ए़ एस़ अधिकारी चन्द्रशेखर तलवाड़, प्रख्यात लेखक साहित्यकार एवं अनुसंधानकर्ता डा़ हरमहेन्द्र सिंह बेदी, पी़ टी़ यू के कुलपति डाक्टर रजनीश अरोड़ा, अमृतसर में डा़ विनय कपूर, मैट्रो एनकाऊंडर के सम्पादक राकेश शान्तिदूत एवं अन्य शामिल रहे।
अमृतसर जिला स्थित वाघा-अटारी अंतरराष्टÑीय सीमा पर यात्रा को झंडी दिखा कर विश्व विख्यात पर्यावरणवादी संत बलबीर सिंह सींचेवाल ने रवाना किया। उनके साथ राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक श्री किशोरकांत, माछीवाड़ा से स्वामी सूर्य प्रताप जी, डा़ हरमहेन्द्र सिंह बेदी थे।
चंडीगढ़ में यात्रा श्रीरामकृष्ण आश्रम से शुरू हुई। इस मौके पर स्वामी विवेकानंद सार्द्घशती समारोह समिति के सचिव श्री चन्द्रशेखर तलवार, राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ के सह प्रांत प्रचारक श्री सतीश एवं अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। फिरोजपुर स्थित हिन्द-पाक सीमा के हुसैनीवाला से यात्रा की शुरुआत यहां स्थित शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि से हुई। यात्रा में युवाओं के भीतर राष्टÑभक्ति का भाव जगाने के उद्देश्य से स्वामी विवेकानंद और शहीद भगत सिंह को युवाओं के आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। राकेश सैन
संत गोपालदास का संकल्प अटल-
गोचर भूमि के लिए अनशन
106 दिन से गोचर भूमि खाली कराने को लेकर कर रहे हैं अनशन
प्रदेश में 4 लाख 25 हजार एकड़ गोचर भूमि निर्धारित
2 लाख गोसेवक खून से हस्ताक्षर कर संत गोपाल दास को सौंपेंगे पत्र
हरियाणा प्रदेश में गोचर भूमि को खाली कराने की मांग पर संत गोपालदास पिछले 106 दिन से अनशन कर रहे हैं। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका उपचार किया जा रहा है। लेकिन जिस पुण्य कार्य के लिए वे आंदोलन की राह पर हैं और जीवन न्योछावर करने का संकल्प ले चुके हैं उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हुड्डा सरकार बेफिक्र बनी हुई है। उसने कई बार प्रतिनिधियों को भेज कर संत की बात मानने का आश्वासन दिया है, लेकिन हर बार वायदा खिलाफी की है। जमीन को कहीं पट्टे पर दिया जा रहा है, तो कहीं औद्योगिक इकाइयों को स्थापित किया जा रहा है। यही कारण है कि अब यह आंदोलन उग्र रूप धारण करता जा रहा है। पाञ्चजन्य से बातचीत करते हुए संत गोपाल दास के सहयोगी धनंजय ने कहा कि वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। संत का संकल्प अडिग है कि जब तक गोचर भूमि खाली नहीं होगी वे अनशन नहीं तोडेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार हर बार वायदा खिलाफी करती है, झूठे आश्वासन देकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जाती है और अब तो पिछले कई दिनों से सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। उन्होंने रोष जताया कि सरकार गोभक्तों की धरपकड़ कर रही है और उन पर दबाव बनाने के लिए परेशान किया जा रहा है। गत दिवस प्रशासन ने मुख्यमंत्री के पानीपत कार्यक्रम की आड़ में संत गोपाल दास के गांव राजाखेड़ी से कई दर्जन लोगों को जबरन उठाया और उनके साथ बदसलूकी की। धनंजय ने कहा कि प्रदेश में सवा 4 लाख एकड़ गोचर भूमि है जबकि पूरे देश में तीन करोड़ बत्तीस लाख पचास हजार एकड़ गोचर भूमि निर्धारित की गई है, इसके बावजूद गाय की दुर्दशा हो रही है। हर दिन गोतस्करी में हजारों गायों का कत्ल हो जाता है। अंग्रेजी शासन के दौरान जहां करीब 350 कत्लखाने थे, उनकी संख्या बढ़कर आज दो लाख से भी ज्यादा हो गई है। उन्होंने रोष जताया कि भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद यहां गाय का रोज अपमान हो रहा है। सरकार गाय का महत्व न समझकर चमड़े के व्यापार को बढ़ावा देने में लगी है। निर्यात होने वाला चमड़ा 90 प्रतिशत से ज्यादा गाय का होता है। अब गोतस्करी में पकड़े जाने वाले गोधन को भैंस या कटड़ा बताकर गुमराह किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में जनता हमारे साथ है, हर इलाके में संत के समर्थन में कहीं अनशन तो कहीं प्रदर्शन किए जा रहे हैं। जनजागरण अभियान की शुरुआत हो चुकी है, 2 लाख गोभक्तों ने खून से हस्ताक्षर किया पत्र संत को सौंपने का निश्चय किया हुआ है। जिसके प्रारंभ में 1008 सेवकों का पत्र सौंपा जा चुका है। यही नहीं गोपुत्र सेना और आजाद सेना के कार्यकर्ता लोगों को गाय पालन से होने वाले लाभ और किसानों को इसका महत्व बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक गाय पालन से एक परिवार का पोषण संभव है और एक एकड़ से ज्यादा प्राकृतिक खेती भी की जा सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने नकारात्मक रवैया नहीें छोड़ा तो गोसेवक प्रदेश के हर कोने में आंदोलन की राह पर उतरने के लिए मजबूर होंगे।
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