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उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार माफिया और कट्टरवादियों के इशारे पर चलती है। इस वजह से इस सरकार के हर काम और निर्णय में इन तत्वों की छाप दिखती है। पिछले दिनों अखिलेश सरकार ने गौतम बुद्ध नगर की उप जिलाधिकारी (एसडीएम) दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित कर दिया। इस निलंबन की सफाई में सरकार ने कहा कि ग्रेटर नोएडा में प्रशासन द्वारा एक मस्जिद की दीवार को गिराए जाने में निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। इस कारण उन्हें निलंबित किया गया। सरकार की इस सफाई को कोई मानने के लिए तैयार नहीं है। उल्लेखनीय है कि नोएडा और उसके आसपास में हिंडन और यमुना नदी के किनारे खनन माफिया बेरोकटोक बालू का खनन करते हैं। इस अवैध धंधे में बड़े नेता से लेकर कई अपराधी भी शामिल हैं और वे लोग रोजाना लाखों का कारोबार कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से एसडीएम नागपाल ने इन माफियाओं के खिलाफ अभियान चला रखा था। वह किसी की भी नहीं सुन रही थीं। इसलिए खनन माफिया उनके पीछे पड़े थे। वे लोग किसी भी सूरत में इस ईमानदार अधिकारी को वहां से हटवाना चाहते थे। इसी बीच ग्रेटर नोएडा में एक अवैध मस्जिद का मामला सामने आया और कथित तौर पर प्रशासन ने उसकी एक दीवार गिरा दी। मुस्लिम वोट के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे अनुकूल माहौल समझकर उन्हें निलंबित कर दिया।
जबकि नोएडा के जिलाधिकारी के अनुसार एसडीएम ने किसी मस्जिद की दीवार गिराने का आदेश नहीं दिया था, बल्कि ग्रामीणों ने खुद ही वह दीवार गिरा दी थी।
अपने एक साथी के निलंबन से राज्य का आईएएस एसोसिशन सरकार से नाराज हो गया है। एसोसिशन के पदाधिकारियों ने राज्य के कार्यवाहक मुख्य सचिव से मिलकर इस निलंबन को वापस लेने का आग्रह किया है। इस मामले को केन्द्र सरकार तक भी पहुंचा दिया गया है। अब दुर्गा का निलंबन वापस होता है या केन्द्र सरकार भी उ.प्र. सरकार की राह पर चलेगी यह देखने वाली बात होगी। प्रतिनिधि
थ् उत्तर प्रदेश सरकार ने मस्जिद की आड़ में इन्हें निलंबित किया है, पर उसकी नजर खनन माफिया को खुश करना है।
थ् दुर्गा 2010 बैच की आईएएस अधिकारी हैं।
थ् इनकी पहली नियुक्ति के 10 महीने बाद ही इन्हें निलंबित किया गया।
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