|
+ÆEò-ºÉxnù¦ÉÇ l14 जुलाई,2013 : सरकार की दाढ़ी में तिनका
'सरकार की दाढ़ी में तिनका' सम्पादकीय पढ़कर पता चला कि सरकार किस तरह जांच एजेंसियों को कब्जे में लिए हुए है। सरकार के प्रति लोगों में नकारात्मक धारणा पहले से है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन 'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल' की सर्वे रपट ने इसे अधिक सकारात्मक रूप से सामने रखा है। भारत में राजनीतिक दलों की छवि का पुलिस से भी अधिक खराब हो जाना बताता है कि लोगों में उनके प्रति कितनी दुर्भावना आ चुकी है। सरकार की वोट बैंक और तुष्टीकरण की नीतियों ने भ्रष्टाचार में भारी वृद्धि की है।
–राममोहन चंद्रवंशी
हरदा (म.प्र.)
q देश की सुरक्षा से जुड़े गंभीर विषय पर सरकार नरम रुख क्यों अपनाए हुए है? आखिर क्यों वह 'इशरत जहां एनकाउंटर' को फर्जी बताने पर तुली हुई है? इसके पीछे सरकार की एक ही मंशा झलकती है और वह है वर्ग विशेष की सहानुभूति पाकर वोट बैंक को खिसकने से बचाना। इसके लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके सरकार देश की सुरक्षा को ही खतरे में डाल रही है।
–हरिहर सिंह चौहान
जंबरी बाग नसिया, इन्दौर (म.प्र.)
q सरकार अपने फायदे के लिए जांच एजंेसियों का इस्तेमाल करती है। यह बात अनेक बार साबित हो चुकी है। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय सरकार को फटकार भी लगा चुका है। लेकिन बहुत अचरज होता है जब न्यायालय के आदेश पर सीबीआई को आजाद करने की कवायद शुरू होती है और सीबीआई निदेशक ही सीबीआई की स्वायत्तता को 'हितकारी'
नहीं मानते।
–प्रदीप कुमार गैरोला
देहरादून (उत्तराखंड)
q भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस अपने काले कारनामों से देश को भी डुबोना चाहती है। कोयले की कालिख ने कांग्रेस का दामन सदैव के लिए काला कर दिया है। कैग की रपट को झूठा करार देना राष्ट्रघाती विचारधारा है। कोयला खदान आवंटन में अनियमितताओं से देश को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हुई है। फिर भी कांग्रेस देश को भ्रमित करने की साजिश करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
–रमेश कुमार मिश्र
अंबेडकर नगर (उ.प्र.)
नरेन्द्र मोदी को
घेरने की साजिश
'अपने ही बुने जाल में…' को पढ़कर यह कहना उचित होगा कि सीबीआई द्वारा प्रस्तुत इशरत जहां मुठभेड़ के आरोप पत्र में इशरत जहां और उसके तीन साथियों की वास्तविक पृष्ठभूमि का खुलासा न करके सीबीआई गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को फंसाने के लिए ही जाल बुन रही है। आरोप पत्र में यह बात सामने न आना कि यदि मुठभेड़ फर्जी थी तो दोषी ठहराये गये अधिकारियों और पुलिस अफसरों की मुठभेड़ के पीछे क्या मंशा थी? सीबीआई की नीयत पर सवाल खड़ा करते हैं। केन्द्र सरकार द्वारा इस मामले में जो हलफनामा अगस्त, 2009 में प्रस्तुत किया गया था उसमें इशरत और शेख को लश्कर का साथी बताया गया था। साथ ही शेख और मुजम्मिल के आपसी सम्पर्क का भी खुलासा किया गया था। ठीक डेढ़ माह बाद जो दूसरा हलफनामा केन्द्र सरकार द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया उसमें केन्द्र सरकार और उसके विशेष नुमाइंदों ने गिरगिट की भांति रंग बदलते हुए लिखा कि इशरत और शेख के आतंकी सगंठन से जुड़ाव होने के पुख्ता सबूत नहीं हैं। जांच और कार्रवाई का कार्य राज्य सरकार का है।
–निमित जायसवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
सौदे के बराबर घोटाला
संप्रग सरकार नए-नए घोटालों के लिए विख्यात हो चुकी है। 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल, कोयला खदान आवंटन के बाद अब एक नया घोटाला 'जेट-एतिहाद सौदे' के रूप में सामने आया है। 2058 करोड़ रुपए के इस सौदे को नागरिक उड्डयन क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा सौदा कहा जा रहा है। लेकिन सौदे पर उठ रहे सवालों से लगता है कि जितना बड़ा यह सौदा है उतना बड़ा ही यह घोटाला है। इस सौदे से संयुक्त अरब अमीरात की कम्पनी एतिहाद एयरवेज को ही लाभ होगा, भारत को शायद ही इससे कोई फायदा हो सके।
–सुहासिनी वलसंगकर
दिलसुखनगर, हैदराबाद (आं.प्र.)
वोट लेने का हथकंडा
आजादी के इतने साल बाद भी भारत की बहुत बड़ी आबादी अपने लिए दो समय के खाने की व्यवस्था करने में भी सक्षम नहीं हो सकी हैं। लोगों को सरकार द्वारा भिक्षा के रूप में सस्ता अनाज दिया जाना है। इस प्रकार देशवासी स्वावलंबी बनने के बजाय भिखारी ही बनेंगे। संवेदनहीन राजनेता समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं चाहते। उन्हें तो सिर्फ वोट चाहिए, इसके लिए वे तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। उन्हीं हथकंडों में से एक है 'खाद्य सुरक्षा विधेयक'। इससे किसी का कोई भला नहीं होने वाला।
–प्रबोध चंद्र शंगारी
तिलक नगर जयपुर (राजस्थान)
सेवा पर राजनीति
'मोदी को रेम्बो किसने बनाया' लेख उत्तराखंड आपदा, नरेन्द्र मोदी की भूमिका, कांग्रेस का आचरण और मीडिया के व्यवहार को रेखांकित करता है। आपदा के दौरान राजनीतिक लाभ लेने और प्रचार पाने की मानसिकता में आकंठ डूबी कांग्रेस ने सेवा को गौण कर दिया। मानवता और उनसे जुड़े मूल्यों की रक्षा करना सभी का कर्तव्य है, परन्तु सेवा को वोट में बदलने की सोच घृणित है। श्रेय लेने की होड़ और अन्यों को निकृष्ट सिद्ध करने की कुटिल नीति लोकतंत्र को कमजोर कर
रही है।
–मनोहर 'मंजुल'
पिपल्या बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़ (म.प्र.)
सेवा के अग्रदूतों को नमन
उत्तराखंड में आई प्राकृतिक के बाद वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्यों की जानकारी 'साहसिक और ऐतिहासिक अभियान पर सेवा के अग्रदूत' रपट पढ़कर मिली। अपनी जान की परवाह किए बगैर दुर्गम स्थानों से पीड़ितों को सुरक्षित निकालना और पीड़ितों के लिए जरूरत की सामग्री पहुंचाने जैसे सेवा कार्य स्वयंसेवकों ने नि:स्वार्थ भाव से किए। सेवा के इन अग्रदूतों को मेरा शत-शत नमन।
–सूर्य प्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा (म.प्र.)
धारा 370 समाप्त हो
'जम्मू–कश्मीर के लोगों के हित में होगा धारा 370 को हटाना' लेख पढ़कर पता चला कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए धारा 370 कितनी खतरनाक है। इसलिए जरूरी है कि संविधान में संशोधन करके धारा 370 को पूरी तरह समाप्त किया जाए। देश की एकता, अखंडता व संप्रभुता की रक्षा के लिए डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सिद्धांतों पर अमल करके देश की बिगड़ती हुई तस्वीर को सुधारा जा सकता है। जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं के साथ जो घोर अन्याय, अत्याचार हो रहा है उससे पूरे देश में रोष व्याप्त है।
–देशबंधु
उत्तम नगर (नई दिल्ली)
q कश्मीर विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की उपस्थिति में राष्ट्रगान 'वंदेमातरम' का अपमान किया गया। यह बहुत ही शर्मनाक है। राष्ट्रगान का यह अपमान यदि भारत के किसी अन्य हिस्से में हुआ होता तो अपमान करने वाले व्यक्ति को जेल में ठूंस दिया जाता। लेकिन कश्मीर में जो यह घिनौनी करतूत हो सकी उसके लिए धारा 370 का होना पूरी तरह जिम्मेदार है।
–परमानंद रेड्डी
देवेन्द्र नगर, रायपुर (छत्तीसगढ़)
आतंकी साजिश का मोहरा बनती सीबीआई
'बेशर्म सरकार' की 'बेशर्म सीबीआई' कोयला खदान आवंटन घोटाले की जांच में सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद आजादी के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाकर अपने आडंबर से फिर से बाहर आ गई है। रेल घूसकांड में पूर्व रेलमंत्री पवन बंसल को बचाने और इशरत जहां मुठभेड़ में नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाकर कांग्रेस की स्वामीभक्ति में आतंकियों की साजिश का मोहरा बन रही है। इससे वह कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक को भरने की असफल कोशिश कर रही है। 'आईबी' की सूचना पर गुजरात पुलिस द्वारा इशरत और उसके तीन साथियों को मार गिराने के साहसिक कदम को सीबीआई द्वारा उलटने की हरकत ने मीडिया और जनता को आश्चर्य में डाल दिया है। सत्ता के दुरुपयोग की ऐसी काली करतूतें इस बात की गवाह हैं कि केन्द्र, विपक्षी राज्य सरकारों के साथ तालमेल बैठाने की जगह घालमेल और साजिश से काम लेता है। इशरत जहां मुठभेड़ को आनन-फानन में सरकार के दबाव मंे सीबीआई ने फर्जी तो करार दिया परन्तु फर्जी कराने में गुप्त रखीं वास्तविकताओं का उसके पास जवाब नहीं है। मुठभेड़ को फर्जी साबित कर इसमें मारे गए आतंकियों को निर्दोष साबित करने की कोशिश की जा रही है। इस सबके बाद भविष्य में यदि कांग्रेस कसाब और अफजल को शहीद का दर्जा देने और इनकी फांसी के लिए भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दोषी सिद्ध करने पर तुल जाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
–हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिंड (म.प्र.)
टिप्पणियाँ