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कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के कई मंत्रियों पर आरोप
सत्ता से चिपके रहने की लालसा जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस पर कितनी भारी पड़ेगी इसका परिणाम आने वाले समय में ही सामने आएगा। किन्तु जनता तथा देश को इससे कितना नुकसान हो रहा है, यह अभी से स्पष्ट दिखाई देने लगा है।
जम्मू-कश्मीर में सत्ता कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के हाथों में है। 25 सदस्यों में से मंत्रिमंडल में कांग्रेस के 12 और उसकी सहयोगी पार्टी का एक सदस्य होने के अतिरिक्त नेशनल कान्फ्रेंस के भी 12 ही मंत्री हैं। किन्तु घटनाचक्र कहिए या किसी चलन का परिणाम, कांग्रेस के अधिकतर मंत्री कई तरह के आरोपों के घेरे में फंस गए हैं। इनमें भ्रष्टाचार से लेकर कई तरह की अनियमितताएं और अश्लीलता के आरोप आदि शामिल हैं।
कांग्रेस के नेता जनहित के बजाय अपने स्वार्थ सिद्ध करने तथा अपनी कुर्सियां बचाने के लिए चिंतित दिखाई देते हैं, क्योंकि ये आरोप कई प्रकार की छानबीन के दायरे में आ गए हैं जिसके कारण नेशनल कान्फ्रेंस के नेतृत्व का दबाव उनकी मानसिकता को प्रभावित करता दिखाई देता है।
इसके विपरीत नेशनल कान्फ्रेंस के कुछ मंत्रियों को छोड़कर अनेक पर आरोप लगे हैं, लेकिन नेशनल कान्फ्रेंस का नेतृत्व उनकी तरफ से आंखें मूंदे हुए है। इसके साथ ही नेशनल कान्फ्रेंस ने अपनी साम्प्रदायिक सोच के एजेंडे को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है जो इस पार्टी का मुख्य लक्ष्य रहा है। इसमें स्वायत्तता से लेकर जम्मू-कश्मीर के साथ भेदभाव और सुरक्षा बलों को प्रताड़ित करने जैसे कृत्य शामिल हैं। विशेष प्रतिनिधि
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