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बारिश के मौसम में ताल-तलैया सब लबालब हैं। नदियां ऊफन रही हैं। सब ओर पानी ही पानी है। इसलिए आएदिन कहीं न कहीं कोई पानी में डूब रहा है, गिर रहा है। पानी में डूब जाना एक सामान्य दुर्घटना है। पानी में डूबा व्यक्ति बचने के लिए हाथ-पैर फेंकता है, छटपटाता है जिससे नाक और मुंह के द्वारा पेट में पानी भर जाता है। पानी भर जाने से श्वास रूक जाती है और बेहोशी आ जाने के कारण मृत्यु हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को निम्न तरीकों से बचाया जा सकता है-
प्राथमिक उपचार– डूबे व्यक्ति को सुरक्षित ढंग से पानी से बाहर निकालकर उसके पेट के अंदर भरा हुआ पानी निकालने का प्रयास करना चाहिए। नाक में कीचड़ आदि लगा हो तो कपड़े से साफ कर दें। दांतों के बीच कोई कड़ी वस्तु फंसा दें ताकि दांत पर दांत बैठकर मुंह बंद न हो जाए। रोगी को पेट के बल लिटाकर उसके कमर के नीचे दोनों हाथ डालकर बार-बार ऊपर उठाएं। इससे फेफड़ों में जमा पानी बाहर निकल आएगा। डूबे व्यक्ति को पेट के बल अपने सिर पर रखकर एक ही स्थान पर गोलाई में घूमाने से भी पेट में गया पानी निकल जाएगा।
देखें कि श्वास ठीक से चल रही है कि नहीं। नाड़ी की गति है कि नहीं, हृदय धड़क रहा है या नहीं। श्वास रुक-रुककर चल रही हो तो सुंघनी आदि कोई ऐसी वस्तु सुघाएं कि छींक आ जाए। चूने में नौसादर मिलाकर सुंघा सकते हैं। छींक आने से श्वास ठीक से चलने लगेगा। सीने को बार-बार दबाएं एवं छोड़ें। पेट के बल उलटा लिटाकर पेट के नीचे गोल तकिया दख दें। पीठ को लगातार दबाएं तथा छोड़ें। इससे फेफड़े की हवा बाहर निकलेगी, छोड़ने पर हवा भीतर जाएगी। यदि इससे भी पूरी तरह से श्वास न चले तो मुंह में मुंह लगाकर कृत्रिम श्वसन देकर श्वास चलाने का प्रयास करें। पानी में डूबे व्यक्ति का यह उपचार तभी सार्थक होता है जबकि डूबे व्यक्ति को बाहर निकालने पर उसका शरीर गर्म हो और हाथ-पैर शिथिल न पड़ गये हों। सफलता के चिह्न न दिखायी पड़ने पर तत्काल समीप के किसी अस्पताल में ले जाएं। n
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