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सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा–
देहदान ही श्रेष्ठ दान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत के पटना प्रवास के अवसर पर गत 22 जुलाई को दधीचि देहदान समिति की ओर से संकल्प उत्सव आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री भागवत ने कहा कि मनुष्य दया भाव से ही श्रेष्ठ बनता है। पशु स्वाभाविक रूप से हिंसक होता है। वह किसी पर न दया करता है न क्रूरता करता है। दुर्भाग्य से आज मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते बर्बर हो गया है। संग्रह की होड़ में वह समाज के प्रति अपने नैतिक सरोकारों को भूल गया है। लेकिन मूलत: मनुष्य में दया भाव होता है। इस भावना को कायम रखने के लिए दान ही एकमात्र साधन है। मनुष्य का सबसे बड़ा कर्म दान है। दान में भी श्रेेष्ठ है देहदान।
पटना के तारामंडल सभागार में दधीचि देहदान समिति, बिहार प्रदेश के इस प्रथम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि आज मनुष्य अपनी परंपरा का निर्वहन करना भूल गया है। कथा, प्रवचन एवं भाषण देने वालों की संख्या में ही सिर्फ वृद्धि हुई है, जबकि इंसान अपनी इंसानियत भूल गया है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मकाण्ड बेड़ी न बने। यह तभी संभव है जब सिद्धांत को व्यवहार में उतारा जाय। समस्याओं के समाधान के लिए अपनी जड़ों को तलाशने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर लोग आध्यात्मिकता को भूल गए तो नैतिक सरोकार भी समाप्त हो जाएगा।
सरसंघचालक ने कहा कि भारत में प्रत्येक समस्या के निदान का रास्ता है। हमें अपने कल्याण के लिए बाहर देखने की आवश्यकता नहीं है। हमें अपनी परंपराओं को ठीक से समझकर उन्हें व्यवहार में उतारना होगा। धर्म सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि वह आचरण में प्रकट होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत ने जिस प्रकार से जीवन जीने की शिक्षा दी थी उसे आज पश्चिम के लोग अपने आचरण में अधिक ला रहे हैं। हमें अपनी परंपरा को आत्मसात करने की जरूरत है। बुद्ध के जैसा जीवन जीना पड़ेगा। इसके लिए अपने अंदर करुणा को जागृत करना होगा। श्री भागवत ने कहा कि उनकी इच्छा भी देहदान करने की है, परंतु उनका शरीर संघ का है। उन्होंने सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी के सामने इस संबंध में प्रस्ताव भी रखा है। अनुमति मिलने पर वे अपना देहदान करना चाहते हैं।
इस अवसर पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी ने कहा कि देहदान आज समय की मांग है। मेडिकल के छात्रों को अध्ययन करने के लिए मनुष्य का शरीर उपलब्ध नहीं है। अनेक छात्र एक शरीर पर किसी प्रकार अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने वर्तमान परिस्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि देहदान करने के बावजूद पार्थिव देह को सही तरीके से सहेजने की ठीक व्यवस्था नहीं है। दान की महत्ता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आज दुनिया के बड़े उद्योगपति अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा दान करते हैं। अजीम प्रेमजी सरीखे कई उद्योगपति बिना प्रचार के अपने दान के माध्यम से समाज परिवर्तन का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने देहदान के लिए जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता बतायी। उन्होंने समिति से आग्रह किया कि बिहार में प्रत्येक वर्ष देहदानियों का सम्मेलन होना चाहिए, जिससे लोग इस बारे में जागरूक हो सकेंगे तथा देहदानियों की जानकारी नये लोगों को भी प्राप्त होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समिति के प्रदेश संयोजक श्री गंगा प्रसाद ने देहदान की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नानाजी देशमुख द्वारा शुरू की गई परंपरा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। दधीचि देहदान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने देहदान की संकल्पना पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला।
समारोह में श्री मोदी, श्री गंगा प्रसाद, विधान पार्षद किरण घई, प्रख्यात उद्यमी एवं भाजपा नेता आर.के. सिन्हा एवं ए.एम. रहमान ने देहदान करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में कुल 65 लोगों ने देहदान संकल्प पत्र भरे। पटना से संजीव कुमार
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