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मजहब के नाम पर इस्लामी कट्टरवादियों को भड़काना कितना आसान है, यह जम्मू कश्मीर के रामबन में घटी ताजा हिंसक घटनाओं से एक बार फिर सामने आ गया है। सीमा सुरक्षा बल को सूचना मिली थी कि रामबन के गूल-संगलदान क्षेत्र में आतंकवादी अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। आतंकवादियों पर नजर रखने मे उद्देश्य से सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने कुछ स्थानों पर नई सुरक्षा चौकियां स्थापित कीं। ऐसी ही एक सुरक्षा चौकी एक मस्जिद के सामने भी जरूरी लगी, जो वहां बनायी गयी। पर परेशानी यह कि उस मस्जिद के ऊपर लगी तेज रोशनी वाली लाइट सीधे इस चौकी पर पड़ रही थी, जिसके कारण वह आतंकवादियों की सीधी नजर में आती थी, सैनिकों की जान को भी खतरा था। इसलिए सुरक्षा बलों ने उस मस्जिद के मौलवी से कहा कि यह तेज लाइट बंद रखें या दूसरी तरफ घुमा लें। इससे मस्जिद की सुरक्षा भी बढ़ेगी और हम भी सुरक्षा की दृष्टि से उसकी निगरानी कर सकेंगे।
पर मौलवी साहब अड़ गए। मस्जिद के ऊपर लगी लाइट को बंद रखना या उसका रुख बदलने से भी 'इस्लाम खतरे में आ गया।' जब सुरक्षा बलों ने देखा कि मौलवी साहब किसी भी तरह समझ नहीं रहे हैं तो सुरक्षा के लिहाज से थोड़ी कड़ाई दिखाई। बस, फिर क्या था। मौलवी साहब ने रातों-रात स्थानीय लोगों को भड़का दिया कि फौजियों ने मस्जिद और पवित्र कुरान शरीफ का अपमान कर दिया। भोर होते ही कुछ स्थानीय युवक एकत्र होकर पुलिस सुरक्षा बलों के विरुद्ध प्रदर्शन करने लगे। पुलिस ने उन्हें समझा बुझाकर वापस भेज दिया कि 'ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।' पर कुछ देर बाद आसपास के स्थानों से और बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए और उग्र प्रदर्शन करने लगे। देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गयी। हिंसक प्रदर्शनकारियों की ओर से गोलियां भी चलाई जाने लगीं। स्थानीय पुलिस तथा सीमा सुरक्षा बल के अनेक जवान इस पथराव व गोलीबारी में घायल हुए। समझाने-बुझाने के जब सब प्रयास विफल हो गए तो सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने आत्मरक्षार्थ गोली चलाई, जिसमें 4 उन्मादी मारे गए और कुछ घायल भी हुए। इसकी प्रतिक्रिया में पूरी कश्मीर घाटी में प्रदर्शन हुए, कश्मीर घाटी में कर्फ्यू लगाना पड़ा। इसका असर श्री अमरनाथ की यात्रा पर भी पड़ा और यात्रा कुछ दिनों के लिए रोक दी गई। इस बीच राज्य मंत्रिमंडल की आनन- फानन में बैठक बुलाई गई। मरने वाले उपद्रवियों के परिजनों के लिए 5 लाख रुपए और परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी की घोषणा हुई। रामबन के पुलिस आयुक्त का तबादला कर दिया गया। गूल के एक मुस्लिम पुलिस अधिकारी के विरुद्ध मामला दर्ज करा दिया गया और राज्य मंत्रिमंडल ने सीमा सुरक्षा बल की यह कहकर निंदा की कि उसने शांति और धैर्य से काम नहीं किया, बेवजह अत्यधिक बल प्रयोग किया। मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने बैठक में वही भाषा बोली, जो बाहर अलगाववादी बोलते हैं।
मारा गया जैश कमांडर
जम्मू कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों को 23 जुलाई को बड़ी कामयाबी मिली जब उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर कारी यासिर को मार गिराया। कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक अब्दुल गनी ने बताया की यासिर घाटी में जैश का सबसे प्रमुख आतंकी था। वह सीमा पार पकिस्तान की ओर से आने वाले आतंकवादियों की मदद करता था। लोलाव के जंगलों में उसके छिपे होने की खबर लगी तो सेना और राज्य पुलिस के जवानों ने उसे घेर लिया और 2 घंटे की मुठभेड़ के बाद उसे मार गिराया।
अब यह बात साफ हो गई है कि सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसाने का षडयन्त्र कैसे और कौन रचता है। रामबन में पथराव करने वाले जो दो युवक पकड़े गए वे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के निकले। मोहम्मद अफजल और मोहम्मद इब्राहिम ने अनंतनाग पुलिस को बताया कि वे यहां मजदूरी करने आये थे पर उनके मालिकों ने भीड़ में शामिल होकर सेना के जवानों पर पथराव करने के काम में लगा दिया। सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक पथराव करने पर 300 रूपए की दिहाड़ी मिलती है। अनंतनाग पुलिस ने खोजबीन कर निकाला की अधिकांश पत्थरबाज राज्य के बाहर से आये मजदूर ही होते हैं। इनको मिलने वाली दिहाड़ी का इंतजाम अलगाववादी नेता करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं की घाटी में प्रदर्शन होते रहे और उनके अलगाववाद की दुकान चलती रहे। जम्मू कश्मीर से विशेष प्रतिनिधि
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