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भारतीय लोकजीवन में कौओं का बड़ा महत्व रहा है। पहले आम जनता के लिए न आने-जाने की अच्छी व्यवस्था थी और न ही डाक की। उस समय किसी के आगमन की जानकारी नहीं मिल पाती थी। किन्तु जब किसी के घर की छत पर बैठकर कौआ कांव-कांव करता था तो लोग समझ जाते थे कि आज उनके घर कोई आने वाला है। ऐसी धारणा अभी भी है। मानव जाति पर कौओं का बड़ा उपकार है। कौए कीड़े-मकोड़े और गन्दगी को खाकर प्रदूषण को दूर करने में योगदान देते हैं। श्राद्ध के अवसर पर इनकी उपस्थिति शुभ मानी जाती है। कहते हैं कि इन्हें भोजन देने से मृत आत्मा को शान्ति मिलती है तथा स्वर्ग में जाने की संभावना बढ़ जाती है।
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में कौए नहीं पाए जाते हैं। यह कथा है कि वनवास के समय चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के किनारे सीता जी ठहरी हुई थीं। उस समय किसी कौए ने सीता जी के पैर पर चोंच मार दी थी। भगवान श्रीराम ने बाण से उस कौए को घायल कर दिया था। माना जाता है कि इस कारण कौओं को मन्दाकिनी के उस पवित्र तट स्फटिक शिला से सदा के लिए निर्वासित होना पड़ा है।
ऐसा अनुमान है कि भारत में सबसे अधिक कौए कोलकाता में पाए जाते हैं। इस बात की पुष्टि अंग्रेज लेखकों ने की है। सन् 1940 में कोलकाता में भयंकर तूफान आया था। उसमें करीब डेढ़ लाख कौए मरे थे। कौए अपने अन्दर की प्रेरणा से भावी घटनाओं का आभास लगा लेते हैं। 'बिहार के इतिहास' में लिखा है कि राज्य में सबसे बड़ा भूकम्प जनवरी 1934 में आया था। कहा जाता है कि भूकम्प आने से आधा घंटा पहले कांव-कांव करते सैकड़ों कौए आसमान में उड़ रहे थे। यह देखकर लोग चकित थे। कुछ देर बाद धरती हिलने लगी। इस भूकम्प में सैकड़ों लोग मारे गए थे। तब लोगों को समझ में आया कि कौए क्यों चिल्ला रहे थे।
ऐसे परोपकारी जीव को एक बार भाषा की नासमझी के कारण बेरहमी से मारा गया था। इस बात की चर्चा दरभंगा रियासत के इतिहास में है। घटना 1815 की है। नेपाल तथा अंग्रेजों के बीच लड़ाई चल रही थी। कर्नल ओलाहरण के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज की एक टुकड़ी नेपाल जा रही थी। रास्ते में दरभंगा में उनका पड़ाव हुआ। दरभंगा के तत्कालीन राजा छत्र सिंह ने कर्नल का खूब स्वागत किया।
राजा ने कर्नल को उपहार भेंट किया तो उन्होंने मना कर दिया। कर्नल ने कहा कि महाराज आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो 'कौआ' दीजिए। राजा ने तुरन्त कुछ लोगों को कौआ लाने भेजा। कुछ समय बाद दो बोरियों में भरकर मृत कौए लाए गए।
उन मृत कौओं को देखकर कर्नल को बड़ा दुख हुआ। उन्हें अहसास हुआ कि भाषा न समझ पाने के कारण इन कौओं की जान चली गई।
दरअसल कर्नल ने कहवा (कॉफी) की मांग की थी। आज जब कौए विलुप्त हो रहे हैं तब इस घटना की बड़ी याद आती है। उमेश प्रसाद सिंह
थ् भारत में सबसे अधिक कौए कोलकाता में पाए जाते हैं
थ् कौए का दिमाग मनुष्य के बराबर चलता है
थ् इस्रायल में कौवों की कुछ प्रजातियों को इतना प्रशिक्षित किया जाता है कि वे मछली पकड़ने में सहायक होते हैं।
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