प्रत्यक्षविदेशीनिवेश
|
टेलीकॉममें 100 फीसदीएफडीआईकोमंजूरी
अत्याधुनिकरक्षाउपकरणोंमेंबढ़ेगाविदेशीपूंजीनिवेश
बीमाक्षेत्रमेंअब 26 नहीं46 फीसदीएफडीआईकोहरीझंडी
गतकुछमाहसेसरकारआर्थिकसुधारोंकोआगेबढ़ानेकेनामपरटेलीकॉम, रक्षा, बीमासमेतकईक्षेत्रोंमेंएफडीआईकोबढ़ावादेनेकीकोशिशोंमेंजुटीथी।लेकिनसरकारकेबाहरसेनहींबल्किभीतरसेभीइनप्रयासोंकाभारीविरोधहोरहाथा।गौरतलबहैकिगृहमंत्रालयनेटेलीकॉममेंविदेशीनिवेशकीसीमाको 100 प्रतिशततकबढ़ानेकापुरजोरविरोधकियाथा।गृहमंत्रालयकाकहनाथाकिटेलीकॉम, रक्षा, अंतरिक्ष, नागरिकउड्ययनजैसेसंवेदनशीलक्षेत्रोंमेंएकसीमासेआगेविदेशियों, खासतौरपरचीन, पाकिस्तान, बंगलादेश, सऊदीअरबऔरइंडोनेशियाजैसेदेशोंकोअनुमतिदेनेसेदेशकीसुरक्षापरसंकटपैदाहोसकताहै।इसीतर्जपररक्षामंत्रालयनेभीइनप्रयासोंकाखासाविरोधकियाथाऔरयहकहाथाकिइसनीतिसेदेशकीअभेद्यताखंडितहोगी।लेकिनदुर्भाग्यपूर्णहैकिसरकारद्वारा 16 जुलाई 2013 को 13 क्षेत्रोंमेंएफडीआईयानीप्रत्यक्षविदेशीनिवेशकेलिएसीमाओंकोआगेबढ़ादियागया।
13 क्षेत्रोंमेंबढ़ेगाविदेशियोंकाशिकंजा
गौरतलबहैकिअबटेलीकॉममें 100 प्रतिशतएफडीआईकोअनुमतिदेदीगईहै।अतिआधुनिकरक्षाउपकरणोंकेसंदर्भमेंभीएफडीआईकीसीमाकोबढ़ादियागयाहै।बीमाक्षेत्रमें 26 प्रतिशतकीसीमाकोबढ़ाकर 49 प्रतिशतकरदियागयाहै, हालांकिबीमाक्षेत्रमेंएफडीआईसीमाकोबढ़ानेकेलिएसंसदकीअनुमतिलेनीजरूरीहोगा।तमामविरोधोंकेबावजूदसरकारद्वाराएफडीआईसीमाकोबढ़ानाइसलिएभीदुर्भाग्यपूर्णहैकिऐसाइसलिएनहींकियाजारहाकिइससेदेशप्रगतिकरेगा, बल्किएफडीआईकोइसलिएबढ़ायाजारहाहैताकिदेशकेसामनेजोदेनदारीकासंकटखड़ाहै, उससेनिपटाजासके।
रुपएकीकमजोरीसेबेबसअर्थव्यवस्था
आजरुपयाअपनेऐतिहासिकन्यूनतमस्तर 61.21 रुपएप्रतिडालरपरपहुंचचुकाहै।ऐसेसबलोगजोरुपएकीगिरावटकोज्यादागंभीरतासेनहींलेरहेथे, अबचिंतितदिखाईदेरहेहैं।रुपएमेंआईइसभारीकमजोरीकेकारणआमआदमी, सरकारऔरअर्थशास्त्रीसकतेमेंहैं।पहलेसेहीभारीमुद्रास्फीतिकीमारझेलरहीअर्थव्यवस्थाअबरुपएमेंकमजोरीकेकारणआयातितवस्तुओंकीकीमतोंमेंवृद्धिकेअतिरिक्तदंशसेत्रस्तहै।हमारेतेल, कच्चेमाल, सोना–चांदी, मशीनरीइत्यादिकेआयातकुछइसकिस्मकेहैंकिमुद्राकेअवमूल्यनकेबावजूदघटतेनहींहैं।दूसरीओरहमारेनिर्यातभीअवमूल्यनकेकारणबढ़तेनहींहैं।ऐसेमेंनिकटभविष्यमेंचालूखातेपरघाटेकीस्थितिऔरबदतरहोसकतीहै।इनसबकेकारणदेशपरविदेशीकर्जऔरज्यादाबढ़नेकासंकटआसकताहै।
यदिकुलविदेशीऋणऔरजीडीपीकाअनुपातदेखेंतो 2005-06 मेंविदेशीऋणकुलजीडीपीकामात्र 17.2 प्रतिशतहीथा।जबकिमार्च 2012 मेंयह 19.7 प्रतिशतऔरदिसम्बर 2012 में 20.6 प्रतिशतपहुंचगयाथाऔरयहलगातारबढ़ताहीजारहाहै।जहांकुलविदेशीऋणोंमेंअल्पकालिकऋणोंकाअनुपात 2006 में 14.2 प्रतिशतथा, वहदिसम्बर 2012 तकबढ़कर 24.4 प्रतिशतहोगयाथा।इसकेअतिरिक्तअल्पकालिकतौरपरलिएगएनएऋणोंकाअनुपाततोबढ़कर 44.1 प्रतिशतहोगयाहै।विदेशीमुद्राभंडारमार्च 2012 मेंकुलऋणोंका 85 प्रतिशतसेअधिकहुआकरताथा, जोअबघटकर 78.6 प्रतिशतहीरहगयाहै।अल्पकालिकऋणोंकेअनुपातकेरूपमेंतोयहऔरभीकमरहगयाहै।
वर्ष 2008 मेंदेशकेपासइतनीविदेशीमुद्राहुआकरतीथी, जिससेहमतीनसालतकलगातारआयातकरसकतेथे।लेकिनअबविदेशीमुद्राभंडार 6 महीनेकेआयातकेलिएभीपर्याप्तनहींहै।
विदेशीनिवेशनहींहैसंकटकीदवा
संकटकीदवाखोजनेकेलिएजरूरीहैकिसंकटकाकारणस्पष्टहो।मुख्यप्रश्नयहहैकिइतनेकमसमयमेंदेशकीयहदुर्दशाकैसेहोगई? वित्तमंत्रीअपनापल्लाझाड़तेहुएकहतेहैंकिकच्चेतेल, कोयलेऔरसोने–चांदीकेआयातकेबढ़नेकेचलतेऐसाहुआहै।लेकिनइससेवित्तमंत्रीयासरकारअपनीगलतियोंकोछुपानहींसकती।सोने–चांदीकेआयातकाबढ़नाएकदिनमेंनहींहुआहै।पिछलेदोसालोंसेसोने–चांदीकाआयातपहलेसेकईगुणाबढ़गयाहै, 2011-12 मेंयह 60 अरबडालरतकपहुंचगयाथा।इसआयातकेबढ़नेकीजानकारीसरकारकोपहलेसेहीथी, तोउसेरोकनेकाप्रयासक्योंनहींकियागया? चीनलगातारशत्रुताभावरखतेहुएभारतपरसामरिकदबावबनारहाहै।उसकेबावजूदभारतसरकारचीनसेआयातोंपररोकलगानातोदूर, ऐसालगताहैकिउन्हेंप्रोत्साहनदेनेकाकामकररहीहै।चीनसेव्यापारघाटा 40 अरबडालरतकपहुंचचुकाहै।
एफ.डी.आईसेबढ़ाभुगतानसंकट
सरकारजिसनीतिकोरामबाणबताकरदेशपरलादनेकीकोशिशकररहीहै, वहभीभुगतानसंकटकामुख्यकारणहै।गौरतलबहैकिअप्रैल 2008 सेमार्च 2013 केपांचवर्षोंकेदौरानदेशकोकुल 158.8 अरबडॉलरकीएफ.डी.आई. प्राप्तहुई, लेकिनसाथहीसाथइसदौरान 128.2 अरबडॉलरविदेशीकंपनियोंकेमाध्यमसेरॉयल्टी, डिविडेंड, ब्याज, वेतनइत्यादिकेरूपमेंविदेशोंकोदेदिएगए।पिछलेसालएफ.डी.आई. तोमात्र 22.4 अरबडॉलरआयी, लेकिनविदेशोंकोआयअंतरण 32.2 अरबडॉलरकाहुआ।लेकिनइसएफ.डी.आई. केबदलेमेंदेशकेमहत्वपूर्णक्षेत्रों, कंपनियों, बाजारोंऔरसंसाधनोंपरविदेशीकाबिजहोगए।पिछलेडेढ़दशककेविदेशीनिवेशकाखामियाजाआजदेशभुगतरहाहैऔरआजआमंत्रितएफ.डी.आई. काखामियाजाहमारीआनेवालीपीढ़ियांभुगतेंगी।
आज जरूरत इस बात की है कि सरकार उपभोक्ता वस्तुओं, टेलीकॉम, पावर प्लांट और अन्य वस्तुओं (खासतौर पर चीन से) के आयातों पर पाबंदी लगाएं। विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेशों पर तीन साल के 'लॉक-इन पीरियड' का प्रावधान लागू किया जाए और विदेशी कंपनियों द्वारा अनधिकृत रूप से किए जा रहे विदेशी मुद्रा अंतरणों पर प्रभावी रोक लगाई जाए। यदि सरकार ने ये कदम जल्दी नहीं उठाए तो देश विदेशी शिकंजे में फंस सकता है और आज की यह गलती गुलामी की दस्तक साबित हो सकती है। डॉ. अश्विनी महाजन
टिप्पणियाँ