संघ शिक्षा वर्गों में मजबूत होता
|
राष्ट्रभक्ति का भाव-
रा.स्व.संघ के देशभर में चल रहे संघ शिक्षा वर्गों में प्रशिक्षण के दौरान स्वयंसेवकों में राष्ट्रभक्ति का भाव मजबूत हो रहा है। गत दिनों देश के अलग–अलग स्थानों पर संपन्न हुए कुछ संघ शिक्षा वर्गों की रिपोर्ट
पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र
मेरठ में गत 17 जून को पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के संघ शिक्षा वर्ग (द्वितीय वर्ष) का समापन समारोह संपन्न हुआ। वर्ग में उत्तराखण्ड, ब्रज और मेरठ प्रांत के कुल 214 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत थे, जबकि अध्यक्षता न्यायमूर्ति (से.नि.) नरेन्द्र स्वरूप गुप्ता ने की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि हिन्दुत्व ही भारत का स्वत्व है। भारत को जोड़ने वाला सूत्र, इसकी सुरक्षा की गारंटी तथा इसके परमवैभव का मार्ग हिन्दुत्व ही है। हिन्दू हित में ही विश्व का भी हित है। हिन्दुत्व में ही देश का सम्मान है और तभी भारत विश्वगुरु बन सकता है। मंच पर पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक श्री दर्शन लाल अरोड़ा, उत्तराखंड के सह प्रांत संघचालक तथा वर्ग के सर्वाधिकारी श्री गजेन्द्र सिंह एवं मेरठ महानगर संघचालक श्री विनोद भारतीय भी आसीन थे।
दिल्ली प्रांत
गत 15 जून को दिल्ली के हरि नगर स्थित श्री श्याम खाटू स्टेडियम में दिल्ली प्रान्त के संघ शिक्षा वर्ग का समापन समारोह आयोजित हुआ। तपती गर्मी के बाद एक सुहावनी शाम को आयोजित इस समारोह में स्वयंसेवकों ने विभिन्न खेलों और शारीरिक कार्यक्रमों के प्रदर्शनों से लोगों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। स्वयंसेवकों के समर्पण और निष्ठा को देखकर समारोह के अध्यक्ष और पूर्व आई ए एस अधिकारी श्री दिनेश त्यागी बड़े प्रसन्न हुए।
समारोह के मुख्य वक्ता और राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख श्री महावीर ने कहा कि संघ शिक्षा वर्ग राष्ट्र निर्माण का महायज्ञ है। इसमें स्वयंसेवकों को देश प्रेम की शिक्षा मिलती है, संस्कार मिलते हैं और समस्याओं से जूझने की हिम्मत मिलती है। इस अवसर पर दिल्ली प्रान्त के संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा, प्रान्त कार्यवाह श्री विजय कुमार सहित हजारों की संख्या में महिलाएं, बच्चे और स्वयंसेवक उपस्थित थे।
उत्तर–पूर्व क्षेत्र
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के संघ शिक्षा वर्ग (प्रथम एवं द्वितीय वर्ष) का समापन गत 15 जून को बोकारो में हो गया। समारोह में प्रशिक्षणार्थी स्वयंसेवकों ने विभिन्न प्रकार के शारीरिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री अनिल त्रिपाठी थे, जबकि वक्ता रा.स्व.संघ के अ.भा. बौद्धिक प्रमुख श्री वी भागैया थे।
श्री भागैया ने कहा कि देशहित के लिए शिक्षा, संस्कार एवं राष्ट्रवाद के विकास का समावेश बहुत आवश्यक है। देश के हर नागरिक को अनुशासन का पालन कर आदर्श स्थापित करने की जरूरत है, ताकि दुनिया में देश का मान बढ़े।
धन्यवाद ज्ञापन वर्गाधिकारी श्री अभय सावंत ने किया। इस अवसर पर विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री जगन्नाथ शाही, धनबाद के सांसद श्री पी एन सिंह सहित बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
चित्तौड़ प्रांत
'संघ के प्रशिक्षण वर्गों से युवाओं में राष्ट्रसेवा की भावना जाग्रत होती है। युवाओं में राष्ट्रसेवा करने की प्रेरणा जाग्रत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रतिवर्ष प्रशिक्षण वर्ग आयोजित करता है'। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख श्री राजेन्द्र कुमार ने गत दिनों चित्तौड़ प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग (प्रथम वर्ष) के समापन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। समारोह के मुख्य अतिथि तृतीय पीठ श्री द्वारकाधीश मंदिर, कांकरोली के युवाचार्य डा. वागीश कुमार गोस्वामी थे। समारोह में स्वयंसेवकों ने दंड, नियुद्ध, योगासन, घोष आदि का सुंदर प्रदर्शन किया।
उत्तर एवं दक्षिण बिहार प्रांत
गत दिनों उत्तर एवं दक्षिण बिहार का संघ शिक्षा वर्ग संपन्न हुआ। उत्तर बिहार का वर्ग कटिहार में लगा। यहां प्रथम वर्ष (विशेष और सामान्य) के शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण लिया। दक्षिण बिहार का वर्ग कैमूर में लगा। यहां दक्षिण बिहार के शिक्षार्थियों ने प्रथम वर्ष की शिक्षा प्राप्त की।
'सरस्वती नदी और उसकी सभ्यता' पर परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा-
सरस्वती नदी सभ्यता की खोज ने इतिहास को नया आयाम दिया
गत 16 जून को नई दिल्ली में भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति, दिल्ली प्रांत द्वारा 'सरस्वती नदी और उसकी सभ्यता' पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं पुरात्व विभाग के सेवानिवृत विभाग प्रमुख प्रो. टीपी वर्मा थे।
प्रो. वर्मा ने पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से सरस्वती नदी और उसकी सभ्यता के विषय में विस्तृत जानकारी दी तथा वर्तमान में सरस्वती नदी पर हो रहे शोध और उसके निष्कर्षों पर चर्चा की।
प्रो. वर्मा ने कहा कि हमें उस विदेशी धारणा को दूर करना होगा जो सभ्यता के पूरे कालखण्ड को महज 10 हजार साल के अन्दर समेट देती है। जबकि आज वो खुद सभ्यता के काल को लाखों वर्ष पूर्व मानती है।
प्रो. वर्मा ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने इतिहास की एक अक्षय निधि हमारे लिए विरासत में छोड़ी, जिसे विदेशी शासकों ने क्षुद्र स्वार्थवश नकारकर एक विकलांग इतिहास सबके समक्ष रखा। हम अपने इतिहास को विश्व परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करके एक इतनी बड़ी रेखा खींचें कि पश्चिम का विकलांग इतिहास स्वत: प्रभावहीन हो जाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. बृजमोहन पाण्डेय (पूर्व निदेशक, भारतीय पुरातत्व संस्थान एवं पूर्व संयुक्त महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने की। प्रो. पाण्डेय ने प्रो. वर्मा के प्रस्तुतीकरण पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि सरस्वती नदी सभ्यता की खोज ने इतिहास को नये आयाम दिये हैं। मंच संचालन दिल्ली प्रदेश महामंत्री श्री अरुण पाण्डेय ने किया।
टिप्पणियाँ