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आवरण कथा 'आई पी एल पर डॉन का डाका' का सार यह है कि क्रिकेट में जो बुराइयां आई हैं उनके पीछे दाऊद इब्राहीम का हाथ है। दाऊद की नजर हर उस चीज पर है जिससे पैसा बनाया जा सके। क्रिकेट से भी उसने खूब पैसा कमाया है। खिलाड़ियों को डरा धमाकर वह अपने पाले में कर लेता है। खिलाड़ी भी सोचते हैं कि दाऊद की बात मान लेने में ही भलाई है। इससे जान तो बचती ही है ऊपर से पैसे भी मिल जाते हैं। भारत में दाऊद के गुर्गों पर कड़ी नजर रखी जाए तो केवल क्रिकेट ही नहीं अन्य क्षेत्रों में भी दाऊद की पकड़ ढीली होगी।
–गणेश कुमार
कंकड़बाग, पटना (बिहार)
q आज क्रिकेट के जरिए बहुत लोग रातों-रात करोड़पति बन रहे हैं। आई पी एल ने तो क्रिकेट का स्तर ही गिरा दिया है। जब टीम के मालिक लोग ही सट्टेबाजी में संलग्न हैं तो फिर खिलाड़ी पीछे क्यों रहें? भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बी सी सी आई) में वे लोग बैठे हैं जिन्होंने शायद ही कभी बल्ला पकड़ा हो। क्या ये लोग बी सी सी आई में रहकर देश की सेवा कर रहे हैं? क्रिकेट से गंदगी तभी खत्म होगी जब इसको संचालित करने वाले लोग खेल को बढ़ावा देने की भावना से इससे जुड़ेंगे।
–राममोहन चन्द्रवंशी
अभिलाषा निवास, टिमरनी
जिला–हरदा (म.प्र.)
q भारत में क्रिकेट इंग्लैंड से भी अधिक लोकप्रिय हो चुका है। जब हमारी क्रिकेट टीम कोई प्रतियोगिता जीतती है तो लोग सड़कों पर उतरकर खुशी मनाते हैं। खेल के प्रति लगाव के कारण लोग ऐसा करते हैं। जो खिलाड़ी सट्टेबाजी में शामिल होकर लोगों की खेल भावना के साथ खिलवाड़ करते हैं उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए। यह भी पता लगाना चाहिए कि दाऊद इब्राहीम के साथ किन-किन खिलाड़ियों के संबंध हैं।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया, इन्दौर (म.प्र.)
q यह बहुत ही खतरनाक बात है कि क्रिकेट में सट्टेबाजी के जरिए जो पैसा कमाया जा रहा है उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा आतंकवादी गतिविधियों में लग रहा है। यह जानते हुए भी कुछ क्रिकेटर मैच फिक्सिंग में शामिल हो रहे हैं। हो सकता है कि उन्होंने अपनी जान बचाने लिए ऐसा किया होगा। पर उन खिलाड़ियों को यह बात पुलिस को जरूर बतानी चाहिए थी। सही लिखा गया है कि शायद हम अपनी नई पीढ़ी को यह संस्कार नहीं दे पा रहे हैं कि सबसे पहले अपनी मातृभूमि के बारे में सोचे उसके बाद अपने बारे में।
–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा
जिला–रतलाम-457222(म.प्र.)
q क्रिकेट का चिरहरण हो रहा है और भारत सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। कोई भी क्रिकेट मैच बिना सरकारी सहयोग के सम्पन्न नहीं हो सकता है। मैदान की सुरक्षा में हजारों की संख्या में पुलिस तैनात होती है। बहुत ही कम कीमत पर पानी उपलब्ध कराया जाता है। किसी स्टेडियम को विकसित करने में सरकार हजारों करोड़ रु खर्च करती है। इसके बावजूद बी सी सी आई को तरह-तरह की छूट और रियायतें इस सूचना के अधिकार के तहत क्यों नहीं लाया जाता है? .
–गोपाल
विवेकानंद मिशन, गांधीग्राम
जिला–गोड्डा (झारखण्ड)
q मैच फिक्सिंग में शामिल होकर कुछ खिलाड़ियों ने अपना ही भविष्य खराब कर लिया है। इन खिलाड़ियों को शायद यह नहीं पता है कि इन लोगों ने क्रिकेट का भी उतना ही नुकसान किया है जितना कि अपना। जब भी कोई क्रिकेट मैच होगा लोगों के मन में यह बात जरूर घूमेगी कि कहीं यह मैच 'फिक्स' तो नहीं है? यह अविश्वास का संकट शायद ही कभी दूर होगा।
–विकास कुमार
शिवाजी नगर, वडा, जिला–थाणे (महाराष्ट्र)
q क्रिकेट के फिक्सिंग प्रकरणों ने क्रिकेट के खिलाड़ियों का नशा काफी कुछ उतार दिया है। वास्तव में क्रिकेट के नाम पर अब तक केवल अन्य खेलों की बर्बादी ही हुई है। एक अरब 25 करोड़ का देश है भारत। ओलम्पिक में स्वर्ण पदक कितना ला पाते हैं? इसके लिए क्रिकेट का नशा पैदा किया जाना ही उत्तरदायी रहा है। ओलम्पिक में क्रिकेट के लिए कोई जगह नहीं है, फिर भी उसके प्रति युवाओं में दीवानगी पैदा करना कौन सी खेल नीति है।
–डा प्रणब कुमार बनर्जी
पेण्ड्रा रोड
बिलासपुर-495119(छत्तीसगढ़)
q बीसीसीआई को आरटीआई के तहत लाया जाए। मगर इसके पदाधिकारी अपने प्रभाव के कारण इसे आरटीआई के अन्तर्गत नहीं जाने दे रहे हैं। सट्टेबाजी की बीमारी क्रिकेट पर इतनी बुरी तरह हावी हो चुकी है कि खिलाड़ियों में इसका 'वायरस' प्रवेश कर चुका है। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने आइपीएल क्रिकेट में सट्टेबाजी का ऐसा जाल बिछाया कि बालीवुड के लोग उसके और अपने काले धन को बेझिझक इसमें लगाने लगे। 'मैच फिक्सिंग' को देशद्रोह जैसे आपराधिक कृत्य की श्रेणी में रखा जाए। यदि फिक्सिंग के आरोपी पर लगे सभी आरोप सही सिद्ध हो जाएं तो उसकी सारी सम्पत्ति जब्त करने का भी प्रावधान हो।
–निमित जायसवाल
ग 39, ई.डब्लू.एस., रामगंगा विहार
फेस प्रथम, मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.)
बेहद शर्म की बात
सम्पादकीय 'यूपीए रिपोर्ट कार्ड यानी दाग अच्छे हैं' में जिन तथ्यों की चर्चा की गई है उनसे मैं सहमत हूं। मनमोहन सरकार के लिए यह बहुत ही शर्म की बात है कि उसके खाते में गिनाने के नाम पर सिर्फ घोटाले ही घोटाले हैं। इस सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर दिया है। हाल के वर्षों में रु. इतना कमजोर कभी नहीं हुआ था जितना कि आज है। सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा देश भुगत रहा है। इस सरकार के काल में सबसे अधिक खुश हैं भ्रष्टाचारी और कालाबाजारी।
–देशबन्धु
आर जेड 127, प्रथम तल, सन्तोष पार्क
उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059
शिक्षा का उद्देश्य
पिछले कुछ अंकों से शिक्षा पर सामग्री प्रकाशित की जा रही है,यह सराहनीय प्रयास है। लेकिन आज की शिक्षा का उद्देश्य केवल इतना है कि बच्चे पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करने लगें। जबकि शिक्षा का उद्देश्य यह भी है कि बच्चे संस्कारित और चरित्रवान बनें। किन्तु इस ओर अधिकतर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है। इस कारण कुछ पढ़े-लिखे लोग भी अपनी सदियों पुरानी परम्परा और संस्कृति को ढकोसला मानते हैं और जब तब मुंह से अपशब्द भी निकालते हैं। हम अपने बच्चों के सामने रामकृष्ण परमहंस, गुरु गोविन्द सिंह, महाराणा प्रताप, शिवाजी जैसे महापुरुषों के आदर्शों को नहीं रख पा रहे हैं।
–काली मोहन सिंह
गायत्री मन्दिर, आरा
भोजपुर-802301 (बिहार)
कांग्रेस का यह हाल है
पिछले दिनों पाञ्चजन्य में यह पढ़कर बड़ा दु:ख हुआ कि 1984 के सिख नरसंहार के दोषियों को अब तक न सजा मिली है और न ही मृतकों के परिजनों को पूरा मुआवजा मिला है। 29 साल बाद भी पीड़ितों को मुआवजा तक न मिलना सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़ा करता है। कहा जाता है कि कांग्रेसी नेताओं की देखरेख में सिखों का संहार हुआ था। निश्चित रूप से कांग्रेस ने अपने नेताओं को बचाने का प्रयास किया है। इस कांग्रेस को और किसी नरसंहार पर कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है। कांग्रेसियों को केवल गुजरात के दंगे दिखते हैं, उन्हें सिखों का संहार और दर्द क्यों नहीं दिखता है?
–उदय कमल मिश्र
गांधी विद्यालय के समीप
सीधी-486661 (म.प्र.)
वोट पर नजर
पाञ्चजन्य अपने पाठकों को यह समाचार बराबर दे रहा है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार संदिग्ध आतंकवादियों को छोड़ने की बात कर रही है। किन्तु न्यायालय के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार भी यह बात अच्छी तरह जानती है कि आतंकवादियों को छोड़ना आसान नहीं है फिर भी वह ऐसा करना चाहती है। उसका उद्देश्य केवल इतना है कि मुसलमान उसके साथ बने रहें।
–प्रो. बी.आर. ठाकुर
सी-115, संगम नगर, इन्दौर (म.प्र.)
मुस्लिम लीग से सावधान
पाकिस्तान मुस्लिम लीग के नेता नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन गए हैं। पाञ्चजन्य ने बिल्कुल सही लिखा है कि उनके बयान और काम में कोई समानता नहीं रहती है। यह तो मुस्लिम लीग की परम्परा रही है। मुस्लिम लीग ने सदैव मजहबी उन्मादियों को उकसाया है। भारत में भी मुस्लिम लीग है। केरल में मुस्लिम लीग सरकार में भी शामिल रही है। वहां उन्होंने किस तरह का एकपक्षीय काम किया है यह सबको पता है। कहने का आशय है कि चाहे पाकिस्तान की मुस्लिम लीग हो या भारत की किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है।
–सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
द्वारकापुरम, दिलसुख नगर
हैदराबाद-6. (आं.प्र.)
ध्येयनिष्ठ बालेश्वर जी
श्री बालेश्वर अग्रवाल के न रहने का समाचार पढ़कर मर्माहत हुआ। 4 फरवरी, 1948 (रा.स्व.संघ पर प्रतिबंध) से लेकर 12 जुलाई, 1949 (प्रतिबंध हटने तक) के कालखण्ड में घटित घटनाएं एक-एक कर मानस पटल पर उभर आईं। प्रचारक जीवन में बड़ा ही संघर्षपूर्ण काल था वह। प्रतिबंध लगने के पश्चात् प्राय: प्रचारक अपने-अपने मूल स्थान को लौट गये थे। 1947 में बिहार के सौ प्रचारकों में मैं सबसे कम आयु (17 वर्ष) का युवक था। पटना के सलेमपुर अहरा, विजय निकेतन में जो छह-सात लोग रह गये थे उनके खर्च के लिए सूद ब्रदर्स रेलवे ठेकेदार के ईंट भट्ठे में मुझे खाना के साथ 100 रुपए की नौकरी मिली। 13 नवम्बर 1948 से सत्याग्रह आरम्भ हुआ। कारावास हुआ। मार्च 1949 में मोतीहारी जेल से रिहाई मिली। पटना वापस श्री प्रभाकर जी और श्री बालेश्वर जी, जो संघकार्य की निरंतरता बनाए रखने में संलग्न थे, के पास आये। श्री प्रभाकर जी के सम्पादकत्व में 'प्रवर्तक' साप्ताहिक शुरू हुआ, वहीं श्री बालेश्वर जी द्वारा एक समाचार एजेंसी 'हिन्दुस्थान समाचार' की स्थापना हुई। इन दोनों कर्मनिष्ठ व्यक्तित्व के अधीन हम सात लोगों को काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। बालेश्वर जी जहां साइकिल पर पटना, दानापुर, पटना सिटी के व्यवसायी संस्थानों में 'प्रवर्तक' के लिए विज्ञापन देने का आग्रह करते थे, वहीं 'हिन्दुस्थान समाचार' में बिहार के जिलों का समाचार का संकलन और आर्यावर्त, प्रदीप, विश्व मित्र समाचार पत्रों में वितरण का प्रबंध प्रभाकर जी हम लोगों द्वारा कराते थे। बालेश्वर जी हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत थे। संघ पर से प्रतिबंध हटने तक हिन्दुस्थान समाचार बिहार के सभी जिलों में पहुंच चुका था और अवैतनिक संवाददाता कार्यरत हो चुके थे। आज श्री बालेश्वर जी हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी कर्मठता हमें अभी भी प्रेरित करती है।
–बलदेव प्रसाद सिन्हा
लालकोठी रोड, कटिहार-845105 (बिहार)
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