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सम्पादकीय 'दाग और दादागिरी' में कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी की मूल प्रवृत्ति दिखती है। यह तो कांग्रेस का स्वभाव रहा है कि वह लाख गलती करने के बावजूद अपनी गलती कभी स्वीकार नहीं करती है। उल्टे जो उसकी गलतियों को उजागर करता है उसे डराने-धमकाने की कोशिश करती है। कोयले की कालिख से पूरी तरह काली हो चुकी कांग्रेस अभी भी अपने आपको सफेद बता रही है।
–गोपाल
स्वामी विवेकानन्द मिशन, गांधीग्राम जिला–गोड्डा (झारखण्ड)
nEòÉèxÉ नहीं जानता है कि कांग्रेस में भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे तक और नीचे से ऊपर तक पनप चुका है। नेहरू के समय ही कांग्रेस के लोगों ने जीप घोटाला किया था। कांग्रेसी उसी परम्परा को अभी भी बड़ी ईमानदारी से निभा रहे हैं। देश के किसी भी कोने में घोटाला हो उसमें कांग्रेसी जरूरी मिल जाएंगे। कई घोटालों में पार्टी की अध्यक्षा के रिश्तेदार भी शामिल हैं।
–आदित्य आलोक
संस्कृति भवन, राजेन्द्र नगर
लखनऊ-227004 (उ.प्र.)
n कांग्रेस पार्टी से नैतिकता, ईमानदारी, देशभक्ति की अपेक्षा करना व्यर्थ है। भ्रष्टाचार में रंगे हाथों पकड़े जाने पर भी कोई कांग्रेसी अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं होता है। आम जनता के लिए जो योजनाएं बनती हैं उन पर किसी कांग्रेसी की नजर पड़ ही जाती है। कांग्रेसी भ्रष्टाचार के कारण ही आज देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी जैसी समस्याएं विद्यमान हैं।
–प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर
1-10-81, रोड नं.-8बी द्वारकापुरम दिलसुखनगर
हैदराबाद-60 (आं.प्र.)
भाजपा मंथन करे
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों पर अच्छा विश्लेषण पढ़ने को मिला। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत इसलिए नहीं हुई कि सत्तारूढ़ भाजपा से लोग नाराज थे। भाजपा की गुटबाजी के कारण कांग्रेस वहां बाजी मार गई। कर्नाटक भाजपा में इतनी गुटबाजी है कि पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बनाए गए। लोगों को यह अच्छा नहीं लगा और उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया।
–रामावतार
अरावली अपार्ट, कालकाजी, नई दिल्ली
nEòxÉÉÇ]õEò चुनाव में भ्रष्टाचार का कोई मुद्दा नहीं रहा। यदि भ्रष्टाचार मुद्दा होता तो भ्रष्टाचारी कांग्रेस की सरकार वहां नहीं बनती। मुझे लगता है कि भाजपा नेतृत्व ने कुछ ऐसी गलतियां कीं जिनका परिणाम उसे भुगतना पड़ा। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने को अन्दर से मजबूत करे।
–दिनेश गुप्ता
पिलखुवा (उ.प्र.)
n¦ÉÉVÉ{ÉÉ नेतृत्व बहुत गंभीरता से इस बात पर मंथन करे कि कर्नाटक में उसकी हार किन कारणों से हुई। कर्नाटक में लिंगायतों का समर्थन जिस पार्टी को मिलेगा वह जीत जाएगी। भाजपा में येद्दयुरप्पा के न रहने से भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ।
–संजय अग्रवाल
स्मृति, अग्रसेन रोड, धरमपेठ, नागपुर-440010
हिन्दू एकजुटता जरूरी
उत्तर प्रदेश सरकार का मुस्लिम एजेण्डा न्यायालय में ध्वस्त हो गया। न्यायालय ही है जो सरकारों को रास्ते पर लाता है। किन्तु उ.प्र. की सपा सरकार तो वोट के लिए जानबूझकर मुस्लिम एजेण्डा अपनाती है। सपा को यह मालूम है कि मुस्लिम एकजुट होकर वोट करते हैं। यदि हिन्दू भी एकजुट हो जाएं तो सरकारें मुस्लिम एजेण्डा नहीं अपनाएंगी। किन्तु दुर्भाग्य से पूरे देश में हिन्दू बंटे हुए हैं और राजनीतिक दल मुस्लिमों के पीछे भाग रहे हैं।
–वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी एक्स., कृष्ण नगर दिल्ली-110051
उपहास और अपमान
1984 के सिख नरसंहार के दोषियों को अब तक सजा नहीं मिली है। यह हमारी पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र का उपहास है। सिख समाज ने इस देश और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने लालों की कुर्बानी दी है। ऐसे वीर और देशभक्त समाज को न्याय न मिलना उसका अपमान ही है।
–बी.एल. सचदेवा
263, आई एनए मार्केट, नई दिल्ली-23
चिन्ता का विषय
'गैर–इस्लामी देशों में तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी' शीर्षक से प्रकाशित लेख दर्शाता है कि आने वाले समय में कई देशों में मुस्लिमों की आबादी वहां की सत्ता को प्रभावित करने लगेगी। भारत में इसके लक्षण दिखने लगे हैं। प्राचीन भारत के देश- जैसे- अफगानिस्तान, इण्डोनेशिया, मलेशिया, पाकिस्तान, बंगलादेश और आज के भारत की मुस्लिम आबादी को जोड़ें यह संख्या विश्व की कुल मुस्लिम आबादी 1 अरब, 60 करोड़ की आधी हो जाती है। यानी समस्त मुसलमानों से प्रति दूसरा मुसलमान हिन्दू से परिवर्तित है। यह हिन्दू आबादी मुसलमान न बनी होती तो आज हिन्दू जनसंख्या विश्व में दूसरे क्रमांक पर रहती। गिरती हिन्दू जनसंख्या चिन्ता का विषय है।
–कृष्णवल्लभ पालीवाल
129-बी, एमआईजी
राजौरी गार्डन, नई दिल्ली-110027
n<º±ÉÉ¨É का यह स्वभाव रहा है कि वह जिस भी देश में गया वहां उसने उस देश की संस्कृति एवं पूर्वजों को बदल दिया। क्योंकि इस्लाम सहअस्तित्व में विश्वास नहीं करता। इसी कारण आज पूरा विश्व सांस्कृतिक टकराव की ओर अग्रसर है। म्यांमार में बौद्ध व रोहिंग्या मुसलमानों का संघर्ष भी इसी का परिणाम है। इस्लामी जिहादी संगठन पूरी दुनिया में कट्टरपन का विषैला बीज बो रहे हैं।
–रमेश कुमार मिश्र
ग्राम–कान्दीपुर, पो.-कटघरमूसा, जिला–अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)
बर्क को न छोड़ना
पिछले दिनों बसपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने लोकसभा के अन्दर वन्देमातरम् का बहिष्कार किया। उन्होंने तर्क दिया कि वे पहले मुसलमान हैं, फिर सांसद। यह भी कहा कि वन्देमातरम् मुस्लिम विरोधी है, इसलिए उसका बहिष्कार किया। कुछ मुस्लिम नेता अपनी नेतागिरि चमकाने के लिए जब-तब ऐसी हरकतें करते रहते हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई जरूर हो।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरी बाग नसिया, इन्दौर (म.प्र.)
nÊEòºÉÒ भी तथाकथित सेकुलर दल ने बर्क की इस हरकत का विरोध नहीं किया। जिन लोगों की नजर में राष्ट्र गौण है, कट्टरता और मजहबी उन्माद प्रमुख है, उन्हें भारतीय कहलाने का हक नहीं है। यह बात केवल बर्क पर ही लागू नहीं होती है, बल्कि उन सभी ताकतों पर भी लागू होती है, जो इस देश के मान-बिन्दुओं का अपमान
करती हैं।
–मनोहर मंजुल
पिपल्या, बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)
n¤ÉEÇò कितने सच्चे अथवा झूठे मुसलमान हैं, यह तो समीक्षा का विषय है। वैसे लोकसभाध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार को इस संबंध में उनसे स्पष्टीकरण की मांग तो तत्काल करनी ही चाहिए। बर्क संभवत: यह नहीं जानते हैं कि मुस्लिम बच्चे विद्यालयों में सरस्वती-पूजा करते हैं और स्वामी विवेकानन्द की सार्द्ध जयन्ती के अवसर पर आयोजित निबंध लेखन में प्रतिभागी बनकर पुरस्कृत होते हैं। बर्क क्षुद्र स्वार्थजीवी हैं, मजहबी नहीं।
–डा. प्रभात कुमार
र्वा नं. 3, बीच बाजार, पत्रा–सोहसराय
जिला–नालन्दा-803118 (बिहार)
n¤ÉEÇò का कहना है कि वन्देमातरम् इस्लाम के खिलाफ है, इससे प्रतीत होता है कि शायद उनका मानसिक सन्तुलन बिगड़ गया है। जिसका मानसिक सन्तुलन बिगड़ गया हो वह संसद में बैठकर संसद का महौल कभी भी खराब कर सकता है। संसद की कार्यवाही में कभी भी अशोभनीय विघ्न डाल सकता है। जनता जिस प्रतिनिधि को चुनकर संसद या विधानसभा में भेजती है वह वहां बैठकर मजहब या जाति के आधार पर राष्ट्रगीत पर आपत्ति करे ऐसे व्यक्ति की सदस्यता को खत्म कर उसके चुनाव लड़ने पर ही रोक लगा देनी चाहिए।
–निमित जायसवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
असली 'हीरो'
देश में लाखों ऐसे लोग हैं जो सितारों की चकाचौंध से दूर रहकर मौन रूप से देश के लिए, समाज के लिए, मानवता के लिए गुमनामी में जीते हुए राष्ट्रसेवा में लगे हैं। उनकी खबर न मीडिया, न प्रशासन, न समाजसेवी, न राजनेता कोई नहीं लेता। आज हर तरफ बेरोजगारी की मार से युवा वर्ग हताश और निराश है। सरकारें आश्वासन और प्रलोभन देने के अलावा कुछ भी नहीं कर रही हैं। ऐसी परिस्थिति में यदि कोई व्यक्ति इस सिद्धान्त पर कार्य करते हुए आगे बढ़ता है कि – 'हम रोजगार या आजीविका के लिए किसी के पास नहीं जायेंगे, बल्कि खुद रोजगार पैदा करेंगे और दूसरों को भी रोजगार देंगे'। यही लोग देश के असली हीरो हैं, न कि फिल्मी अभिनेता या कोरे आश्वासन देने वाले नेता। पाञ्चजन्य से मेरी प्रार्थना है कि हर अंक में ऐसे ही एक पुरोधा की अतुलनीय जानकारी प्रकाशित करने की कृपा करें। इससे देश के लोगों को कुछ नया करने की प्रेरणा मिलेगी।
–अमरनाथ
ग्रा.-महदेइयां, पो. भीटी रावत
जिला–गोरखपुर-273209 (उ.प्र.)
संकट में देश
आज देश भयंकर संकट से गुजर रहा है। आगामी लोकसभा चुनावों में राष्ट्रभक्त जनता का दायित्व है कि भारत की अस्मिता व अस्तित्व की रक्षा हेतु संप्रग सरकार को उखाड़ फेंके। मत भूलों की वीर शिवाजी का जन्म भी भयंकर विपरीत परिस्थितियों में हुआ था। उस समय चारों ओर मुगलों का अत्याचार था। इन जुल्मों से जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी। तभी महान माता जीजाबाई के वीर पुत्र शिवाजी ने 'हिन्दवी साम्राज्य' का संकल्प लिया और अपनी मां की प्रेरणा व दिशा निर्देश में साहस व वीरता के साथ जनता का स्वाभिमान जगाकर राष्ट्र का विकास किया था। आज भारत के भूमिपुत्रों को ऐसी सरकार बनानी होगी जोकि भारतीय सोच की हो तथा जो हिन्दू धर्म व संस्कृति की रक्षा करने के साथ-साथ नागरिकों व देश की सीमाओं की भी रक्षा करने में समर्थ हो। आज देश को एक ऐसी सरकार चाहिए जो राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा करते हुए भारत भूमि के संसाधनों का दोहन न करे अर्थात देश की संपदा पर डाका न डाले व स्विस बैंकों में जमा धन वापस लाये तभी वास्तव में राष्ट्र का विकास हो पायेगा और लोकतंत्र जीवित रह पायेगा।
–विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज, गाजियाबाद (उ.प्र.)
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