वीरो कोल्ही की गजब कहानी
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बंधुआ मजदूरी से चुनावी उम्मीदवारी तक
पाकिस्तान के सिंध सूबे में पाकिस्तानी हिन्दुओं की कितनी बुरी स्थिति है, उसकी खबरें हम लगातार छापते ही आ रहे हैं। लेकिन इसी सिंध सूबे में बंधुआ मजदूरी से मुक्त हुई गरीब हिन्दू महिला वीरो कोल्ही की कहानी उसकी गजब की जीवटता बयां करती है। अब तक अपने जैसी कितनी ही महिलाओं को निर्दयी जमींदारों की बंधुआ मजदूरी से आजाद कराने वाली वीरो पाकिस्तान में 11 मई को होने जा रहे चुनावों में सूबे की असेम्बली के लिए बतौर निर्दलीय उम्मीदवार खड़ी हुई हैं। उम्मीदवारी का पर्चा भरते हुए अपनी जमापूंजी के ब्योरे में वीरो ने लिखा-दो पलंग, पांच गद्दे, बर्तन और बैंक में जमा 2800 रुपए। वीरो को पूरा भरोसा है कि इलाके की सताई, जमींदारों के जुल्मों से पीड़ित जनता उनके साथ खड़ी होगी। हिन्दू महिलाओं को जमींदारों के चंगुल से बचाने की मुहिम में जुटीं वीरो हैदराबाद (सिंध) के बाहरी इलाके में मिट्टी और बांस से बने एक कमरे के घर में रहती हैं। वे कहती हैं, 'जमींदार हमारा खून चूस रहे हैं। उनके मैनेजर दलालों की तरह बर्ताव करते हैं-हमारी बेटियों को ले जाकर जमींदार को दे देते हैं।'
20 पोते-पोतियों वाली वीरो जानती हैं कि जिस चुनावी मैदान में वे उतरी हैं उसमें एक से एक पैसे वाले और रौब-दाब वाले मौजूद हैं, लेकिन उनके माथे पर शिकन तक नहीं है। बस अपना नाम लिखने लायक पढ़ी वीरो 1990 के दशक में बंधुआ मजदूरी से आजाद हुई थीं और उसके बाद से पुलिस और अदालतों के चक्कर काट- काटकर उन्होंने अपने सूबे में हजारों मजबूर और बंधुआ मजदूरी में लगे गरीब हिन्दुओं को खुली हवा में सांस लेने का रास्ता दिखाया है।
अगर वे चुनाव जीत जाती हैं तो क्या करेंगी? इस सवाल के जवाब में वीरो कहती हैं, 'पहले हम जमींदारों को कानून का पालन करने को कहेंगे, अगर वे नहीं मानते तो हम उन्हें अदालत में ले जाएंगे। हम तब तक लड़ाई जारी रखेंगे जब तक कि आखिरी बंधुआ मजदूर को आजाद नहीं करा लेते।'
एशिया–प्रशांत में तनाव के पीछे अमरीका
चीनी सैन्य दस्तावेज ने छापा
थलसेना की सचल इकाइयों में 850,000 सैनिक, नौसेना में 235,000 नौसैनिक और वायुसेना में 398,000 वायुसैनिक हैं।
चीन के रक्षा मंत्रालय ने 16 अप्रैल को एक 40 पन्ने का राष्ट्रीय प्रतिरक्षा दस्तावेज जारी किया है। इसमें अपनी सामरिक मजबूती का बखान करने के साथ ही उसने परोक्ष रूप से अमरीका को भी नसीहत दी है कि इस इलाके में अपनी शह पर तनाव न पैदा करे। उसका कहना है कि अमरीका एशिया-प्रशांत में अपनी फौजी उपस्थिति मजबूत करके और इलाके में अपने सहयोगियों को फौजी सहारा देकर तनाव पैदा कर रहा है। दस्तावेज में छपा है कि एक देश ने एशिया-प्रशांत में अपने फौजी गठजोड़ मजबूत कर लिए हैं, इलाके में अपनी फौजी मौजूदगी बढ़ा ली है और वह रह-रहकर हालात को और गर्मा रहा है। इसलिए चीन के पास अपनी राष्ट्रीय एकजुटता, भौगोलिक अखंडता और विकास के कामों की हिफाजत करने का चुनौती भरा काम है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन की अमरीका की आड़ में अपनी फौजी तैयारी और साम्राज्यवादी सोच को जायज ठहराने की कोशिश हो सकती है। क्योंकि चीनी फौज के दैनिक अखबार ने एक आलेख में छापा है कि 'पश्चिम चीन पर हावी होने की कोशिश कर रहा है। इसको रोकना ही होगा।' पिछले महीने राष्ट्रपति झाई ने अपने भाषण में कहा भी था कि बुरी मंशा रखने वाली पश्चिमी ताकतों ने हमारे देश का पश्चिमीकरण करने और इसे तोड़ने की अपनी रणनीति तेज कर दी है और वे हमारे देश को बढ़ने से रोकने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं।' बहरहाल, 2011 के बाद अब छपे रक्षा मंत्रालय के उस दस्तावेज ने चीनी फौज के आकार और बनावट पर भी खुलकर छापा है। पीएलए की दुनिया में सबसे बड़ी माने जाने वाली थलसेना की सचल इकाइयों में 850,000 सैनिक, नौसेना में 235,000 नौसैनिक और वायुसेना में 398,000 वायुसैनिक हैं। हालांकि कुछ विदेशी कूटनीतिकों का मानना है कि चीन ने आंकड़े पूरी तरह सही नहीं दिए हैं।
चीन के केन्द्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष खुद राष्ट्रपति झाई हैं। उन्होंने सेना से युद्ध लड़ने और जीतने की क्षमता बढ़ाने का आह्वान किया हुआ है। इसलिए विदेशी कूटनीतिकों का मानना है कि सेना के आंकड़े जारी करना शायद झाई के उसी आह्वान से जुड़ी हुई बात है। आलोक गोस्वामी
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