कश्मीर की पुलिस, जम्मू-लद्दाख की अनदेखी
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पहचान दिखाने के लिए बढ़ाई दाढ़ी, साम्प्रदायिक होता 'बल'
जम्मू–कश्मीर के कई पुलिसकर्मियों ने अचानक लंबी-लंबी दाढ़ियां रखनी शुरू कर दी हैं। इस संबंध में यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने पुलिस में भर्ती के लिए पुरानी प्रणाली के अतिरिक्त एक नया क्रम हाल ही में शुरू किया है, जिसे 'आन द स्पाट' भर्ती कहा जा रहा है। इसके अंतर्गत छानबीन की प्रणाली में परिवर्तन के अतिरिक्त शैक्षिक योग्यता घटाकर मैट्रिक तथा मीडिल पास को पुलिस में भर्ती की छूट मिल गई है। इस नई नीति के अंतर्गत गत दो वर्षों में लगभग 3 हजार पुलिसकर्मी भर्ती किए गए हैं जिनमें 1300 से अधिक श्रीनगर के निवासी हैं। कहा जा रहा है कि जो नए पुलिसकर्मी भर्ती किए जा रहे हैं उनमें आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों के अतिरिक्त सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसाने वाले युवक बड़ी संख्या में शामिल हैं।
सरकारी रपट के अनुसार वर्ष 2011 में शुरू हुई इस नई नीति के अंतर्गत 1837 पुलिसकर्मी भर्ती किए गए जिनमें 1663 मुसलमान, 166 हिन्दू तथा 5 सिख हैं। 2012 में 1032 पुलिसकर्मी भर्ती किए गए जिनमें 768 मुसलमान, 252 हिन्दू तथा 12 सिख हैं। n विशेष प्रतिनिधि
आचार्य विष्णुकांत शास्त्री का पुण्य स्मरण
'आचार्य शास्त्री का व्यक्तित्व ऋषितुल्य था, वे सही अर्थों में संत थे उनका सान्निध्य हर किसी को प्रेरणा देता था'। उक्त उद्गार हैं बंगला साहित्यकार श्री गुरुपद विश्वास के। वे गत 17 अप्रैल को श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा कोलकाता (प.बंगाल) में आयोजित आचार्य विष्णुकांत शास्त्री की 8वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रख्यात समाजसेवी श्री रुगलाल सुराणा ने कहा कि आज के प्रदूषित वातावरण में आचार्य शास्त्री की स्मृति हमें आगे बढ़ाने की प्रेरणा देती है। प्रतिष्ठित कवि श्री रामेश्वर मिश्र 'अनुरोध' ने कहा कि आचार्य शास्त्री हिन्दीभाषी समाज के शलाका पुरुष थे। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्या श्रीमती गौरी चौधरी ने कहा कि आचार्य शास्त्री के मन में कार्य के प्रति सच्ची लगन एवं विद्या के प्रति निष्ठा थी। लोकप्रिय साहित्यकार डा. ऋषिकेश राय ने कहा कि विशेषज्ञता के आज के दौर में आचार्य शास्त्री का व्यक्तित्व बहुआयामी था। प्रसिद्ध कवि श्री जय कुमार ने उनके आत्मीय स्वभाव को याद ÊEòªÉÉ* n प्रतिनिधि
'पत्थरबाज पुलिसकर्मी'
योजना कोई भी हो, जम्मू-कश्मीर में राज्य की उस योजना का लाभ सिर्फ घाटी, यानी कश्मीर को ही मिलता है, जम्मू और लद्दाख के हाथ सिर्फ उपेक्षा ही आती है। चाहे विकास के काम हों या राहत के, केन्द्र की योजना हो राज्य की, यह भेदभाव सब तरफ दिखता है और पुलिस की भर्ती में तो यह और भी साफ-साफ नजर आता है। 'आन द स्पाट' भर्ती की नई नीति के अन्तर्गत दो वर्ष में चुने गए 3000 पुलिसकर्मियों में से 1300 अकेले कश्मीर घाटी के हैं। और तो और, इस नई भर्ती में बहुत से ऐसे युवक भी भर्ती किए गए जिन्हें पाकिस्तान ने कथित रूप से 'गुमराह' कर दिया था और वे 2010 में सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसा रहे थे। अकेले खानयार, जोकि पत्थरबाजों का केन्द्र था और जिसके आसपास के इलाके में सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 112 लोग मारे गए थे, उस खानयार के 150 लड़के जम्मू-कश्मीर पुलिस में भर्ती किए गए, जबकि वहां कुल 327 उम्मीदवार थे। कुछ ऐसे भी उम्मीदवार भर्ती के लिए आए थे, जिन पर मुकदमें दर्ज थे। इस भर्ती प्रक्रिया को भले राज्य सरकार 'विश्वास बहाली' का कदम बता रही हो, पर जम्मू और लद्दाख के लोगों का ऐसी पुलिस पर से विश्वास उठ रहा है।
संस्कार भारती की प्रबंधकारणी समिति की बैठक सम्पन्न, डा. कृष्ण गोपाल ने कहा-
कला के माध्यम से संस्कृति बचाएं
ललितकला, साहित्य एवं रंगमंच को समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती ने कलाकारों की गुणवत्ता का विकास, कला- प्रस्तुति की प्रभावी भूमिका तथा उनके प्रचार प्रसार के लिए तीन वर्षीय योजना तय की है। यह योजना उत्तर-प्रदेश के जालौन जनपद के अर्न्तगत उरई नगर के पद्मश्री शैलेन्द्रनाथ श्रीवास्तव नगर में आयोजित अखिल भारतीय प्रबन्ध कारणी समिति की बैठक, प्रशिक्षण तथा कार्यशाला के अवसर पर घोषित की गई। इस आयोजन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल तथा संस्कार भारती के अखिल भारतीय मार्गदर्शक श्री मधुभाई कुलकर्णी ने विशेष उद्बोधन प्रदान किया।
बैठक में डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि गुलामी के हजारों वर्षों में कलाएं नष्ट की गई, पुस्तकालय जला दिये गए, मूर्तियां तथा मंदिर तोड़े गये लेकिन कला की भावना अभी भी जीवित है। उन्होंने कलाकारों का आह्वान किया कि वे देश के मौलिक, सांस्कृतिक, वैदिक ज्ञान को, कला के माध्यम से, जन जन तक ले जाएं, उनके माध्यम से संस्कार जगाएं तथा भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित संस्कारित समाज की रचना करें।
संस्कार भारती के अखिल भारतीय मार्गदर्शक मधु भाई कुलकर्णी ने कहा कि इस विवेकानंद सार्द्धशती वर्ष में सभी विधाओं के माध्यम से विवेकानन्द का चित्र जनता के मध्य इस तरह उभरे जैसे राम और कृष्ण के चित्र।
उक्त आयोजन में देश के सभी प्रान्तों से लगभग एक सौ कलाकारों ने भाग लिया। बाबा योगेन्द्र जी, निवर्तमान अध्यक्ष राजदत्त, बांकेलाल गौड, गणेश पंत रोड़े, प.रा. कृष्णमूर्ति, अमीर चन्द्र कामता नाथ वैशम्पायन, डा. रवीन्द्र भारती, रविदेव, चन्द्रकान्त थरोटे, डा. वीणा श्रीवास्तव, माधवी कुलकर्णी आदि की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
जयराम पाटिदार को 'पुरुषोत्तम सम्मान'
स्वामी विश्वेशतीर्थ ने कहा-
वस्तुत: गाय को राष्ट्रीय पशु होना चाहिए। शेर के राष्ट्रीय पशु होने की वजह से आज लोगों का व्यवहार आक्रामक हो रहा है।रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैयाजी जोशी ने मध्य प्रदेश के एक
किसान जयराम पाटिदार को जैविक खेती के लिए 'पुरुषोत्तम सम्मान' से सम्मानित किया है। कृषि अनुसंधान प्रतिष्ठान, कुरुवल्ली (कर्नाटक) द्वारा आयोजित सम्मान समारोह का आयोजन गत 10 अप्रैल को तीर्थहल्ली (कर्नाटक) में हुआ। इस अवसर पर पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ जी महाराज, प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री सुब्बाराव, न्यासी श्री ए.एस. आनंद एवं श्री वी.के. अरुण कुमार भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भैयाजी जोशी ने कहा कि पंचवर्षीय योजनाएं भारत की सही स्थिति जाने बिना तैयार की जाती हैं, इसी वजह से आज गांवों की दुखद स्थिति है। 'हरित क्रांति' के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं, यह सही समय है कि पंचवषीय योजनाओं पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि हमने हरित क्रांति लाने के लिए अत्यधिक रसायनों का उपयोग किया, लेकिन इसकी वजह से हमने स्वदेशी कृषि तकनीक के मूल विचारों को खो दिया। दिशााहीन कृषि नीतियों के चलते आज किसान हताश हैं।
स्वामी विश्वेशतीर्थ जी ने कहा कि पर्यावरण अभियान तब शुरू हुआ था जब भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना नदी में कालिया नाग को हराया था। आज स्थिति यह है कि लोग कह रहे हैं कि यमुना का पानी उपयोग के लायक नहीं है, यह जहरीला हो गया है। सम्मान प्राप्त करने के बाद श्री जयराम पाटिदार ने कहा कि मुझे कठिन परिश्रम और गाय की सेवा करके बहुत आत्मिक शांति मिलती है। n |ÉÊiÉÊxÉÊvÉ
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