अमरीका में व्हार्टन को खरी-खरी
|
अमरीका में व्हार्टन को खरी–खरी
मोदी को न बोलने देने पर भारतीय अमरीकियों ने जताया विरोध
200 से ज्यादा ने मोदी समर्थक रैली में भाग लिया
23 मार्च को अमरीका के फिलाडेल्फिया नगर में पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय परिसर में एक गजब की रैली निकाली गई जिसमें 200 से ज्यादा भारतीय अमरीकियों ने बैनर, पोस्टर और नारों के जरिए व्हार्टन में मौजूद सेकुलर तत्वों को यह जता दिया कि बौद्धिक क्षेत्र में उनकी नफरती हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। यहां बता दें कि र्व्हाटन इंडिया इकोनोमिक फोरम ने पिछले दिनों गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने सम्मेलन में बोलने का न्योता भेजा, लेकिन ऐन वक्त पर चार सेकुलर सोच के प्रोफेसरों के दबाव में मोदी के वहां बोलने पर पाबंदी लगा दी। इसी के विरोध में 'अमरीका में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' का नारा बुलंद करते हुए 200 से ज्यादा भारतीय अमरीकियों ने मोदी के समर्थन में डब्ल्यूआईईएफ की उस इमारत तक शांतिपूर्ण रैली निकाली जहां उस दिन भारत के आर्थिक विकास पर एक दिन का सेमिनार चल रहा था। रैली का आयोजन 'अमेरिकन्स फॉर फ्री स्पीच' के झंडे तले किया गया था। रास्ते भर पास से गुजरने वाले अमरीकियों ने उस रैली के प्रति समर्थन जताया और सेकुलरों को लानत भेजी। बड़े-बड़े नारे लिखे नरेन्द्र मोदी के फोटो, हिन्दुओं के खिलाफ नफरत भड़ाकाने के विरोध वाले बैनर और जिहाद के खिलाफ उठ खड़े होने का आह्वान करते पोस्टर लिए प्रदर्शनकारी मोदी के खिलाफ साजिश रचाने वालों की मुर्दाबाद कर रहे थे। मोदी का बुलावा खारिज कर देने के पीछे विश्वविद्यालय के छात्रों का क्या तर्क था, इसे साफ करने के लिए आयोजकों ने विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष एमी गुटमैन को बोलने के लिए बुलाया था, लेकिन वह आई ही नहीं। इंडिया इकोनोमिक फोरम वहां के छात्रों की बनाई, उन्हीं के द्वारा चलाई जा रही संस्था है।
इस 'व्हार्टन सत्याग्रह' को विश्वविद्यालय से जुड़े कई लोगों ने अपना समर्थन दिया। कड़कड़ाते जाड़े के बावजूद इसमें शामिल होने को लोग न्यू जर्सी और दूसरे तमाम शहरों से आए थे। आयोजकों में से एक प्रसाद यालामंची का कहना था कि यह सत्याग्रह तो इस देश में आगे होने वाले सत्याग्रहों में पहला ही है।
अभी 28 मार्च को मोदी से मिलने गांधीनगर (गुजरात) आए तीन अमरीकी रिपब्लिकन सांसदों और कारोबारियों के दल ने मुख्यमंत्री को अमरीका आने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि वे मोदी को वीसा दिए जाने के लिए अमरीकी प्रशासन से बात करेंगे।
चोरी और सीनाजोरी
चीन ने वादा तोड़ा, पाकिस्तान से परमाणु
करार किया, पर बात खुली तो मुकर गया
चीन के लाख न चाहने पर भी यह बात उजागर हो ही गई कि उसने पाकिस्तान में एक नया पावर प्लांट बनाने के लिए उस मुल्क से गुपचुप करार किया है। वाशिंगटन से छपी एक खबर में यह चौंकाने वाली बात उजागर हुई है। उसके मुताबिक, 23 मार्च को बीजिंग और पाकिस्तान के बीच चश्मा में 1000 मेगावाट का रिएक्टर बनाने का करार हुआ है। खबर में विदेश विभाग के एक अफसर के हवाले से कहा गया है कि चीन का यह कदम उस न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) को उसके किए वादे से मुकरना होगा, जिसमें चीन 2005 में शामिल हुआ है। इसके तहत बीजिंग ने वादा किया था कि वह पाकिस्तान को पहले बेचे दो रिएक्टरों के अलावा और रिएक्टर नहीं बेचेगा। एनएसजी की पिछली बैठक में पाकिस्तान के साथ चीन की बढ़ती परमाणु नजदीकियों की बाबत 46 सदस्य देशों ने चर्चा की थी। अब अगली बैठक में अमरीका इस गुपचुप लेनदेन का मुद्दा जरूर उठाएगा।
चीन अपने किए पर विरोध होता देख सतर्क हो गया है और बयान देने शुरू कर दिए हैं कि उसने एनएसजी से किया कोई वादा नहीं तोड़ा है, यह रिएक्टर तो पुराने करार के तहत ही लगाया जाने वाला है। 25 मार्च को विदेश विभाग के प्रवक्ता होंग ली ने इस पर चुप्पी तोड़ी। उन्होंने मीडिया को चाशनी लपेटे बयान दिए कि, 'चीन ने (वायदा खिलाफी वाली) रपट देखी है। यह सारा परमाणु लेनदेन 'शांतिपूर्ण' इस्तेमाल के लिए है और यह आईएईए के सुरक्षा उपायों के अधीन ही है। इससे एनएसजी के कायदे नहीं टूटते।'
भारत भी चीन द्वारा पाकिस्तान को परमाणु मदद बढ़ाने पर चिंता जता चुका है। चीन पाकिस्तान के चश्मा इलाके में अब तक चार पावर प्लांट जमाने में मदद दे चुका है। 300 मेगावाट के चश्मा I और II चालू हो चुके हैं, जबकि 340 मेगावाट के चश्मा III और IV के 2016 में काम शुरू करने की उम्मीद है।
n +ɱÉÉäEò गोस्वामी
टिप्पणियाँ