भविष्य भाजपा काराम मंदिर, समान नागरिक संहिता, धारा 370 जैसे मुद्दों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता यथावत-राजनाथ सिंह, वरिष्ठ नेता, भारतीय जनता पार्टी
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भविष्य भाजपा काराम मंदिर, समान नागरिक संहिता, धारा 370 जैसे मुद्दों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता यथावत-राजनाथ सिंह, वरिष्ठ नेता, भारतीय जनता पार्टी

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Jan 12, 2013, 12:00 am IST
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दिंनाक: 12 Jan 2013 15:21:03

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश की जमीन से जुड़े नेता हैं। मात्र 26 साल की उम्र में 1977 में मीरजापुर से विधायक चुने गए राजनाथ सिंह ने 1991 में राज्य के शिक्षा मंत्री के तौर पर वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल कर और नकल विरोधी कानून बनवाकर बहुत ख्याति प्राप्त की। वह उ.प्र. के मुख्यमंत्री भी रहे। अनेक बार विधान परिषद् और राज्यसभा के भी सदस्य रहे। इस समय गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य हैं। बीते दिनों उनके लखनऊ प्रवास के दौरान पाञ्चजन्य संंवाददाता ने उनसे बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं उस बातचीत के प्रमुख अंश–

–शशि सिंह

थ् कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी, जनता ऊब गयी है थ् सिर्फ बड़े–बड़े घोटाले मनमोहन सरकार की उपलब्धि थ् केंद्र के साथ ही उ.प्र. में अगली सरकार हमारी

थ् चर्चा है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विरुद्ध भाजपा विपक्ष की भूमिका में जरूर है, लेकिन उसके हिसाब से वह आंदोलनात्मक भूमिका नहीं निभा पा रही है।

द्ध वस्तुत: केंद्र में कांग्रेस की गठबंधन सरकार जरूर है लेकिन वह सरकार की तरह काम ही नहीं कर पा रही है। जिस तत्परता से उसे देश के हालात संभालने चाहिए, कांग्रेस वैसा नहीं कर पा रही है, वह कर भी नहीं सकती है, क्योंकि उसमें राष्ट्रीय दृष्टि का अभाव है। उसके कई नेता बड़े घोटालों में फंसे हैं। उनके भ्रष्टाचार का मामला न्यायालयों तक पहुंच चुका है। एक परिवार (सोनिया गांधी) का वर्चस्व पूरी सरकार पर साफ देखा जा सकता है। इस परिवार के रिश्तेदारों (दामाद) तक पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। देश की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुकी है। वित्तीय घाटा बढ़ चुका है। यहां तक कि सेना के आधुनिकीकरण की योजना के खर्च तक में कटौती करनी पड़ी है। श्री अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में बनी राजग सरकार के समय वित्तीय हालात नियंत्रण में थे। करोड़ों की संख्या में रोजगार का सृजन हुआ था। आर्थिक मंदी का खतरा कहीं से नहीं था। आधारभूत ढांचे के लिए काफी पैसा खर्च किया गया था। आतंकवाद काबू में था। वैसी सरकार 10 साल और रहती तो भारत विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन जाता। पर आज संसद से लेकर सड़क तक आंदोलनों का सिलसिला चल रहा है। अगर विपक्ष के रूप में हम सक्रिय भूमिका न निभाते तो यह सरकार बेलगाम हो चुकी होती।

थ् लेकिन 'इंडिया शाइनिंग' का आपका नारा तो 2004 के लोकसभा चुनाव में ही विफल हो गया था।

द्ध राजग सरकार की उपलब्धियों को जिस पैमाने में जनता के बीच प्रचारित किया जाना चाहिए था, हम नहीं कर पाए। यह हमारी रणनीतिक चूक हो सकती है, लेकिन संप्रग की दो सरकारों के कुशासन को देखकर जनता को अब अटल सरकार के सुशासन की याद आ रही है। दूसरी बार बनी मनमोहन सरकार तो केवल घोटालों के कारण चर्चा में है। घोटालों के अलावा इसकी और कोई उपलब्धि नहीं है।

थ् लेकिन असली विपक्ष होने का दावा तो गैरभाजपा, गैरकांग्रेस दल कर रहे हैं। तीसरे मोर्चे की बातें होने लगी हैं।

द्ध इस तरह की चर्चा में दम नहीं है। जनता तो यह देखेगी कि केंद्र में कांग्रेस का विकल्प कौन है, कौन अच्छा शासन दे सकता है। केवल भारतीय जनता पार्टी ही है जो केंद्र में सुशासन दे सकती है। उसने दिया भी है। तीसरा मोर्चा बन भी जाए तो भी भाजपा के सामने टिक नहीं पाएगा।

थ् सपा–बसपा ने उत्तर प्रदेश का राजनीतिक मैदान मार लिया है, भाजपा के लिए यहां क्या बचा है?

द्ध सपा-बसपा की कोई नीति नहीं है। दोनों व्यक्ति विशेष के इर्द-गिर्द सिमटी हैं। बसपा का अन्यायी शासन लोगों ने पांच साल तक झेला, उसके बाद चुनाव में सपा को पूर्ण बहुमत दिया। सपा सरकार भी बसपा सरकार जैसे ही जनविरोधी काम कर रही है। कानून-व्यवस्था के हालत खराब हैं। डकैती, दुराचार और कत्ल जैसे अपराध मीडिया की सुर्खियां बन रहे हैं। अभी तक इस सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया जो व्यापक जनिहत में कहा जा सके। सरकार बने एक साल भी नहीं हुआ कि स्थान-स्थान पर साम्प्रदायिक दंगे हो गए। सरकार दंगों को रोकने में विफल रही। वह उन्हें रोक भी नहीं सकती क्योंकि तुष्टीकरण में लगी है। वोट बैंक को ध्यान में रखकर काम कर रही है। कानून-व्यवस्था और सामाजिक समरसता की ओर उसका ध्यान ही नहीं है। इसलिए सपा-बसपा से लोग ऊब चुके हैं। सपा-बसपा का कांग्रेसी विरोध सिर्फ दिखावा है। यहां विरोध करती है और केंद्र सरकार उनके साथ के बिना चल नहीं सकती। इसलिए जब भी चुनाव होंगे, उ.प्र. में भाजपा की सरकार बनेगी।

थ् आपकी पार्टी पर अपने ही मुद्दों से भटकने का आरोप लगता है।

द्ध जब भी साझा सरकार बनती है तो न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाया जाता है। उसी आधार पर सरकार चलायी जाती है। केंद्र में राजग शासन था, भाजपा के पास अपने बल पर पूर्ण बहुमत नहीं था। इसलिए लोगों को लगता है कि अपने मूल मुद्दों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कम हो गई, लेकिन ऐसा नहीं है। राम मंदिर, समान नागरिक संहिता, धारा 370 जैसे मुद्दों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता यथावत है। लेकिन ये ऐसे मुद्दे हैं जिनके बारे में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार में ही कुछ कर सकती है। जैसे ही हमें केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर मिलेगा, हम अपनी प्रतिबद्धता वाले मुद्दों को वरीयता देंगे।

थ् भाजपा अनुशासित पार्टी होने का दावा करती है, लेकिन वहां गुटबाजी की खबरें आती रहती हैं। खुलेआम नीति विरोधी बयान आते हैं, ऐसा क्यों?

द्ध मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आज भी अगर देश में कोई पार्टी सबसे ज्यादा अनुशासित है तो वह भारतीय जनता पार्टी ही है। यह भी दावा करता हूं कि देश की सबसे ज्यादा लोकतांत्रिक पार्टी भी यही है। पार्टी में अपनी बात कहने का सबसे ज्यादा अवसर भाजपा में ही है। बाकायदा हर मुद्दे पर गहन मंथन होता है। कांग्रेस सहित एक नेता-एक विचार वाले दलों में तो बहुत अनुशासनहीनता है। कांग्रेस तो कई बार विभाजित भी हो चुकी है। भाजपा का वैसा विभाजन कभी नहीं हुआ, और होगा भी नहीं।

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